स्वंयभू का मतलब होता है स्वंय से प्रकट हमारे श्री राधारमण देव जु स्वंय से प्रकट है इसलिये ये किसी मूर्तिकार द्धारा वनाया गया विग्रह नहीं है ये विश्व के एकमात्र ऐसे ठाकुरजी है जिनकी अत्यंत सुंदर दंत राशि प्रदश्रित होती है वैष्णवो को हंसते हुये दर्शन देते है हमारे श्री जी राधारमण जी गौड़िया परम्परा मै एक आचार्य हुये श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी जी वो श्री धाम वृंदावन से पैदल नेपाल गये नेपाल मै एक बड़ी सुंदर नदी है गंडकी नदी इस नदी मै एक कुंण्ड है श्री दामोदर कुंड इस कुंड की मान्यता है कि कोई यहां तुलसी जी लेकर जाओ तो उसके हाथ मै शालिग्राम उछल उछल के आते है , श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी वहां तुलसी जी रखी तो उनके हाथ मै शालिग्राम उछल के आ गये वो उन शालिग्राम लेकर वृंदावन आ गये और उनकी सेवा करने लगे उनके लिये फूलों के अलंकार बनाते थे उस समय वृंदावन की प्राकृतिक छटा अवलोकनीय थी लताओ , पताओ और अनेक प्रकार के पुष्पों से सुसज्जित रहता था उन्ही पुष्पो को चुनकर अलंकार वनाकर गोसांई जी शालिग्राम को भाव से अर्पित करते , एकदिन नर्रसिंह चतुर्थदशी के दिन गोसांई जी भागवत के सप्तम स्कंध का पाठ कर रहे पाठ करते करते मन मै तीव्र उत्कंठा का उदय हुआ और भगवान से कहा आप प्रह्लाद के लिये खंभा फाड़कर आ गये क्या मेरे लिये शालिग्राम से नही आ सकते उसी दिन वो सारी रात भाव मै रोते रहे जव सुबह जमुना स्नान करके आये तो देखा शालिग्राम के स्थान पै स्वंयभू श्री राधारमण जु रखे थे उसी दिन आकाशवांणी हुई भगवान ने कहा मैने आपका श्रृंगार स्वीकार कर लिया है उनकी व्रज यात्रा अधूरी है जिसने राधारमण जी का दर्शन नहीं किया श्री राधारमण जु का दर्शन हो जाना ही उनकी कृपा का सबसे बड़ा प्रमाण है राधे राधे i
!!!—निताई गौर हरि बोल—!!!
!!!—Swayambhu Shri Radharaman—!!!
Swayambhu means self-manifested, our Shri Radharaman Dev, who is self-manifested, therefore it is not an idol made by any sculptor, he is the only Thakurji in the world whose teeth are very beautiful, he gives smiling darshan to Vaishnavas. Shri ji Radharaman ji became an Acharya in the Gaudiya tradition Shri Gopal Bhatt Goswami ji went to Nepal on foot from Shri Dham Vrindavan Gandaki river is a very beautiful river in Nepal There is a pond in this river Shri Damodar Kund It is believed that there is Tulsi here If you take it, the Shaligram jumps in his hand, Mr. Gopal Bhatt Goswami kept Tulsi Ji there, then the Shaligram jumped in his hand, he came to Vrindavan with those Shaligrams and started serving them, used to make flower ornaments for them. At that time the natural beauty of Vrindavan was observable, it used to be adorned with vines, leaves and many types of flowers. Gosai ji used to decorate Shaligram by choosing the same flowers, one day on the day of Narrasimha Chaturdashi, Gosai ji was reciting the seventh canto of Bhagwat. While reciting, there was intense yearning in my mind and said to God, you have come by breaking the pillar for Prahlad, can’t you come for me from Shaligram, the same day he kept crying in emotion all night, when Jamuna came after bathing in the morning, he saw the place of Shaligram On the same day that Swayambhu Shri Radharaman Ji was kept, God appeared in the sky and said that I have accepted your makeup, his Vraj Yatra is incomplete, who did not see Radharaman Ji, the biggest proof of his grace is to have the darshan of Shri Radharaman Ji Radhe Radhe i
!!!—Nitai Gaur Hari Bol—!!!