सखी का स्वामी शरीर से ऊपर है। कृष्ण कृष्ण भजते हुए गोपी कृष्ण बन जाती है। वह हर क्षण परमात्मा कृष्ण से खेल रही है।
गोपी भोजन करती है। तब सामने वाले की दृष्टि में वह भोजन करती है। पर अन्तर्मन से वह परमात्मा को भोग धराती है।
एक भक्त के दिल की धड़कन होते हैं भगवान भक्त रात दिन परम पिता परमात्मा, भगवान श्री राम के ध्यान में मग्न रहता है भक्त का भगवान् भक्त के रोम रोम में समा जाता है।
भक्त भगवान श्री हरि ईश्वर के ध्यान में अपने आप को भुल जाता है। उसे ऐसे लगने लगता है कि यह मै नहीं हूं यह परम पिता परमात्मा है ।
परमात्मा के द्वारा सबकुछ हो रहा है। मै तो हूं ही नहीं यह जगत भी परमात्मा का स्वरूप है आनंद मगन परम तत्व परमात्मा मे लीन वह भोजन करते हुए अपने प्राण प्रिय से कहती है। हे प्रभु देख मेरे पास आज यही भोजन बन पाया है मेरे भगवान पति को भोजन कराती है
तब अन्तर्मन के भाव से प्रभु मेरे स्वामी को भोजन परोस रही हूं। भोजन की प्लेट पकङती है तब ऐसे अहसास होता है। भगवान प्लेट में विराजते हैं। भाव गहरा हो जाता है।भक्त भगवान की लीला शब्दों से ऊपर की है भक्त के रोम रोम में परमतत्व के नाम की गुंज गुंजायमान है। जय श्री राम अनीता गर्ग
The master of the friend is above the body. Gopis become Krishna by worshiping Krishna Krishna. She is playing with the Supreme Soul Krishna every moment.
Gopi eats food. Then she eats in the sight of the person in front of her. But from the heart, she offers food to God.
God is the heartbeat of a devotee. The devotee remains engrossed in the meditation of the Supreme Father Supreme Soul, Lord Shri Ram day and night.
The devotee forgets himself in the meditation of Lord Shri Hari Ishwar. He starts feeling that it is not me, it is the Supreme Father, the Supreme Soul.
Everything is happening through God. I am not only this, this world is also the form of God, blissful, absorbed in the supreme element of God, she says to her beloved while eating food. O Lord, see that today I have been able to make this food, my God feeds my husband.
Then I am serving food to my Lord with a sense of conscience. This is the feeling when you hold the plate of food. God sits on the plate. The feeling becomes deep. The Leela of the devotee God is above the words, the echo of the name of Paramatattva is resonating in every pore of the devotee. Jai Shri Ram Anita Garg