भगवान् ने हमे पुरण बनाया है भगवान ने मानव जीवन दीया हैं । उस के साथ साथ मानव के खाने पीने सोने के सब साधन बनाऐ। भगवान् भारत की भूमि पर स्वयं प्रकट हुए और अनेक लिलाए की वेद और ग्रन्थों की रचना हुई। भगवान् अनेक बार पृथ्वी माता की रक्षा के लिए सन्तों को दर्श देने लिए प्रकट हुए। अनेक सन्त और महात्माओ ने अपने शरीर को तप में तपाया और मानव जाति में प्रेम विस्वास श्रद्धा और भक्ति का मार्ग दृढ़ किया। आज का समय ऎसा चल रहा है। मानव ने प्रभु प्राण नाथ प्यारे को सुविधा का साधन बना लिया। आज किरतन बहुत होते हैं। किरतन में प्रभु का प्रेम से हम सिमरन चिंतन और मन्न नहीं करते। वह भगवान जिसके लिए हम कीर्तन करते हैं। उसके आंख कान हाथ पैर शरीर रूप से पुरण है। भगवान् देखते और सुनते हैं। भगवान् से आप मोन बात करोगे तो वह आपकी मोन वाणी को सुन लेगा आप श्रद्धा प्रेम भक्ति के भाव से चाहे बैगर स्वर लहरी के प्रकट करोगे तो परम पिता परमात्मा भाव को सुनने के लिए तैयार खङा है। मानव रूप में जन्म लेकर हमे अपने अनेक जन्मों का हिसाब चुकाना होता है।अगले जन्म का मार्ग सदृढ करना होता है। यहां हर कोई अपने कर्म का भुगतान करने आया है। कोई को भगवान सुख के सब साधन देता है। तो कोई सारा जन्म परमात्मा के चिन्तन में बिताता है। सब कुछ परम प्रभु की कृपा पर निर्भर है। करने वाला यह भी नहीं जानता कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। डोलक की तीखी थाप में मै मेरे प्रभु भगवान को कैसे निहार पाऊगी। मै घर से भगवान् को कह कर चलुगी कि मैं कीर्तन में जा रही हूं। भगवान् को दिल मे बिठा कर भगवान की अन्तर्मन से स्तुति करते हुए चलुगी। कदम की ताल पर प्रभु प्राण नाथ प्यारे को ध्याते हुए हर सांस भगवान् नाथ के प्रेम में डुबकी लगाएगा। बाजार वृन्दावन की गलियां बन जाएगी। कृष्ण छवि दिखलाएगे। दिल में मन्दिर के घण्टे गुजेंगे। चलते चलते कीर्तन हो जाएगा।ध्यान गहरा हो जाएगा नैन मुदं जाएगे। मै मै ना रहकर प्रभु रूप हो जाऊगी। पृथ्वी प्रेम से सिंची जाएगी। देवी देवता प्रकट होकर फुल बरसाएगे। मै आऊगीं तो साथ में मेरे गुरूदेव आएगे। गुरुदेव श्रद्धा और विश्वास के सिहांसन पर विराजमान होगे। गुरुदेव मेंरे भगवान के सच्चे चिंतन पर ही ठहरेगे मै पलको में मेरे प्राण प्यारे को बसालुगी ।श्रद्धा के बैगर नैन नीर बहाएंगे। एक एक पल गुरुदेव को निहारूगी। हमने कीर्तन भगवान् को श्रद्धा और विश्वास और भाव की भेट करने के लिए किया है। जिससे भगवान की कृपा हमारे परिवार पर बनी रहे। आज इन्सान ने भगवान को भी अपनी सुविधाओं का साधन बना लिया है। मन्दिरों में दर्शन खत्म हो गये हैं। मुर्ति पुजा को अधिक महत्व दिया जाता है। पहले कहीं कोई एक मन्दिर होता था दो तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे। पुरे रास्ते भगवान् के नाम का सिमरण करते थे। पैर चलते चलते थक जाते दिल में उमंग जाग जाती कैसे जल्दी से मन्दिर में भगवान् के दर्शन करे। मै केदारनाथ गई तब बर्फीले तुफान में हम सब दोङ रहे हैं। कि अब भगवान के दर्शन कर ले मुख से ऊॅं नमः शिवाय की ध्वनि गुंजायमान हो रही है। जय श्री राम
अनीता गर्ग
भगवान् ने हमे पुरण बनाया है भगवान ने मानव जीवन दीया हैं । उस के साथ साथ मानव के खाने पीने सोने के सब साधन बनाऐ। भगवान् भारत की भूमि पर स्वयं प्रकट हुए और अनेक लिलाए की वेद और ग्रन्थों की रचना हुई। भगवान् अनेक बार पृथ्वी माता की रक्षा के लिए सन्तों को दर्श देने लिए प्रकट हुए। अनेक सन्त और महात्माओ ने अपने शरीर को तप में तपाया और मानव जाति में प्रेम विस्वास श्रद्धा और भक्ति का मार्ग दृढ़ किया। आज का समय ऎसा चल रहा है। मानव ने प्रभु प्राण नाथ प्यारे को सुविधा का साधन बना लिया। आज किरतन बहुत होते हैं। किरतन में प्रभु का प्रेम से हम सिमरन चिंतन और मन्न नहीं करते। वह भगवान जिसके लिए हम कीर्तन करते हैं। उसके आंख कान हाथ पैर शरीर रूप से पुरण है। भगवान् देखते और सुनते हैं। भगवान् से आप मोन बात करोगे तो वह आपकी मोन वाणी को सुन लेगा आप श्रद्धा प्रेम भक्ति के भाव से चाहे बैगर स्वर लहरी के प्रकट करोगे तो परम पिता परमात्मा भाव को सुनने के लिए तैयार खङा है। मानव रूप में जन्म लेकर हमे अपने अनेक जन्मों का हिसाब चुकाना होता है।अगले जन्म का मार्ग सदृढ करना होता है। यहां हर कोई अपने कर्म का भुगतान करने आया है। कोई को भगवान सुख के सब साधन देता है। तो कोई सारा जन्म परमात्मा के चिन्तन में बिताता है। सब कुछ परम प्रभु की कृपा पर निर्भर है। करने वाला यह भी नहीं जानता कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। डोलक की तीखी थाप में मै मेरे प्रभु भगवान को कैसे निहार पाऊगी। मै घर से भगवान् को कह कर चलुगी कि मैं कीर्तन में जा रही हूं। भगवान् को दिल मे बिठा कर भगवान की अन्तर्मन से स्तुति करते हुए चलुगी। कदम की ताल पर प्रभु प्राण नाथ प्यारे को ध्याते हुए हर सांस भगवान् नाथ के प्रेम में डुबकी लगाएगा। बाजार वृन्दावन की गलियां बन जाएगी। कृष्ण छवि दिखलाएगे। दिल में मन्दिर के घण्टे गुजेंगे। चलते चलते कीर्तन हो जाएगा।ध्यान गहरा हो जाएगा नैन मुदं जाएगे। मै मै ना रहकर प्रभु रूप हो जाऊगी। पृथ्वी प्रेम से सिंची जाएगी। देवी देवता प्रकट होकर फुल बरसाएगे। मै आऊगीं तो साथ में मेरे गुरूदेव आएगे। गुरुदेव श्रद्धा और विश्वास के सिहांसन पर विराजमान होगे। गुरुदेव मेंरे भगवान के सच्चे चिंतन पर ही ठहरेगे मै पलको में मेरे प्राण प्यारे को बसालुगी ।श्रद्धा के बैगर नैन नीर बहाएंगे। एक एक पल गुरुदेव को निहारूगी। हमने कीर्तन भगवान् को श्रद्धा और विश्वास और भाव की भेट करने के लिए किया है। जिससे भगवान की कृपा हमारे परिवार पर बनी रहे। आज इन्सान ने भगवान को भी अपनी सुविधाओं का साधन बना लिया है। मन्दिरों में दर्शन खत्म हो गये हैं। मुर्ति पुजा को अधिक महत्व दिया जाता है। पहले कहीं कोई एक मन्दिर होता था दो तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे। पुरे रास्ते भगवान् के नाम का सिमरण करते थे। पैर चलते चलते थक जाते दिल में उमंग जाग जाती कैसे जल्दी से मन्दिर में भगवान् के दर्शन करे। मै केदारनाथ गई तब बर्फीले तुफान में हम सब दोङ रहे हैं। कि अब भगवान के दर्शन कर ले मुख से ऊॅं नमः शिवाय की ध्वनि गुंजायमान हो रही है। जय श्री राम अनीता गर्ग