निर्लेप भाव से माला जप

lightning ocean thunderstorm

किसी ने मुझसे पुछा कि मेरी दिन चर्या ऐसी है
मुझे कभी-2 प्याज लहसुन का बना भी खाना
पडता है…..??क्या मैं उस दिन भजन माला छोड़ दूँ..??

अब देखिये इसमे अनेक-अनेक मत है कि किसी भी स्थिति मे भजन ना छुटे यदि आप व्यवस्था बना सकते है !

तो अच्छा है! लेकिन अगर वो साधन नही बना पा रहे तो भी वो भजन माला ना छुटे भजन से ही मार्ग साधन निकलेगा …आचार विचार रखो अच्छी बात हैं।- जीवन शुद्ध होना ही चाहिए साधक भजन, छोड़ने का भाव भी मन मे ना लाये। अगर हम हाथ से माला नही कर रहे तो मन से तो कर सकते
सांसों की माला पर सिमरु मैं पी का नाम….

भक्ति का मार्ग पतित से पतित जीव को भी उठा कर प्रभु की गोद मे बिठा देती है. और वैसे भी,जीव अपने
आपको यह सोचे कि 24 अधिक स्नान कर लिया तो मैं शुद्ध हो गया तो यह जीव की भूल है इस शरीर के भीतर मल मूत्र तो सदा ही भरा रहता है और यह जो हाङ चाम है यह किस दृष्टि से पवित्र हो सकता है तो यह तो बस हरि नाम से ही पवित्र हो सकता है केवल हरि नाम…. हरि का नाम जपो मेरे भैया इसमें क्या बरस महीने हरि नाम नहीं तो जीना क्या

इस पर एक घटना याद आई ….एक संत के पास एक बार एक व्यक्ति गया जो बड़ा सेठ था और बोला महाराज हमारे पास भजन करने का समय तो नहीं है लेकिन हमारे लिए क्या मार्ग है वह बताएं
संत बोले दो चार मिनट भी नहीं थोड़ा सा समय भी नहीं तो सेठ बोले महाराज समय ही तो नहीं है ।

तो संत बता रहे हैं भाई वह व्यक्ति ऐसा था कि उसके
शौचालय में भी फोन लगा था वहां भी चैन नहीं था लेकिन संत की दयालुता देखो…. बोले जब वहां बैठे तभी नाम ले लिया करो दो-चार मिनट का ही सही किसी भी प्रकार से बस हरि नाम लेना चाहिए

तुलसीदास कहते है राम नहीं कह सकते तो मरा-मरा ही बोलो नाम की क्या महिमा है यह तो भगवान भी नहीं गा सकते….
तन मेरा मैला ..मन भी मेरा मेला
लेकिन हां शरीर को स्वच्छ रखना शरीर के प्रति हमारा कर्तव्य है जैसे भजन जरूरी है आत्मा के लिए वैसे ही भोजन जरूरी है शरीर के लिए तो भक्ति सर्वसमर्थ हैं

राधेकृष्ण



someone asked me that my daily routine is like this Sometimes I also eat 2 onions made with garlic It is read…..??Should I leave the bhajan mala on that day..??

Now see, there are many opinions in this that in any situation the bhajan should not be missed if you can make arrangements!

so it is good! But even if he is not able to make means, he should not leave the rosary of bhajans, only through bhajans, the path and means will emerge… It is a good thing to have ethical thoughts.- Life must be pure. If we are not doing garland with hands, then we can do it with heart. The name of P in Simru on the garland of breaths….

The path of devotion uplifts even the fallen from the fallen and makes them sit in the lap of the Lord. And anyway, the creatures themselves If you think that after taking more than 24 baths, then I have become pure, then it is the mistake of the living being, urine is always filled inside this body, and in what sense can this haang cham be pure, then it is just Only the name of Hari can be holy…. Chant Hari’s name, my brother, what is there in this month, if Hari’s name is not there, then what is there to live?

I remembered an incident on this… Once a person who was a big Seth went to a saint and said Maharaj, we do not have time to do hymns, but tell us what is the way for us. Saint said, not even two to four minutes, not even a little time, then Seth said Maharaj, there is no time at all.

So the saints are telling brother that person was such that his There was no peace in the toilet as well, but look at the kindness of the saint…. Said, while sitting there, take the name only for two-four minutes, in any way, just take the name of Hari.

Tulsidas says that if you can’t say Ram, then just say dead, what is the glory of the name, even God cannot sing it…. My body is dirty.. My mind is also fair But yes, keeping the body clean is our duty towards the body, just as hymns are necessary for the soul, similarly food is necessary for the body, so devotion is all-powerful. radhekrishna

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