प्रेम पाना नहीं चाहता प्रेम देना जानता है। प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में भक्त मिट जाना चाहता है। प्रेम शब्दों से परे हैं प्रेम मौन है प्रेम में दिपक और आरती की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि प्रभु प्रेमी एक पल के लिए भी अपने स्वामी से दूर नहीं रहता है। उसका हर भाव परमात्मा से प्रारम्भ होकर परमपिता परमात्मा में सिमट जाता है। जय श्री राम
अनीता गर्ग
Doesn’t want to get love, knows how to give love. The devotee wants to perish in the love of Lord Pran Nath. Love is beyond words, love is silent, there is no need of lamps and aartis in love. Because the lover of the Lord does not stay away from his master even for a moment. His every emotion starts with the Supreme Soul and gets reduced to the Supreme Father, the Supreme Soul. Long live Rama Anita Garg