।।श्रीहरिः।।
ताज बीबी भगवान् श्रीकृष्ण की परम भक्त थीं। उनके पिता का नाम पढ्न खान था। ताज बीबी का विवाह बादशाह अकबर के साथ हुआ था।
अकबर के मंत्री बीरबल की बेटी शोभावती और जैमल की बेटी लीलावती की गुसाईं श्री विट्ठलनाथ जी के चरणों में अनन्य निष्ठा थी और वे दोनों श्री कृष्ण की भक्त थीं। दोनों गोवर्धन में श्रीनाथजी के दर्शनों के लिए आया करती थीं। लीलावती और शोभावती ताज बीबी के पास आती थीं जिससे ताज बीबी को सत्संग और श्री कृष्ण चरित्र श्रवण का अवसर मिलता था जिससे ताज बीबी के हृदय में श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा प्रकट हो गयी।
बीरबल की बेटी शोभावती जब ताज बीबी से मिलने आती तो अक्सर वृन्दावन और गुसाईं श्री विट्ठलनाथ जी की चर्चा किया करती थी। शोभावती ने ताज बीबी को ब्रज धाम और गुसाईं श्री विट्ठलनाथ जी की इतनी महिमा बताई की ताज बीबी को ब्रज धाम और गुसाईं श्री विट्ठलनाथ जी के दर्शनों की लालसा होने लगी।
बादशाह अकबर में गुसाईं श्री विट्ठलनाथ जी के प्रति अगाध श्रद्धा थी और वे गुसाईं जी के दर्शनों के लिए समय-समय पर गोवर्धन आया करते थे। एक बार ताज बीबी अकबर से अनुमति लेकर गुसाईं जी के दर्शन करने गोवर्धन आयीं। गुसाईं जी के दर्शन कर ताज बीबी कुछ समय के लिए गोवर्धन में ही रुक गयीं और गुसाईं जी के सत्संग में भाग लेने लगी।
ताज बीबी ने ब्रज में अनेक लीला स्थलियों एवं मंदिरों के दर्शन किये। ब्रज धाम के लता कुंजों का दर्शन कर ताज बीबी का मन ब्रज से बाहर जाने को नहीं हुआ लेकिन फिर भी अकबर के आदेशानुसार कुछ दिन बाद दिल्ली लौट आयी। ताज बीबी ब्रज से लौट तो आयी लेकिन उनका मन ब्रज में ही रमण कर रहा था। वह मुख से श्री कृष्ण नाम का जप करने लगी।
ताज बीबी ब्रज से श्री कृष्ण का एक चित्र अपने साथ लायी थी जिसको पुष्प एवं फल अर्पण कर उसकी सेवा करने लगी। अब ताज बीबी श्री कृष्ण के रूप में आसक्त होने लगी और विचार करने लगी की “कैसे ब्रज धाम का अखंड वास प्राप्त हो ? यदि बादशाह अकबर से इसकी अनुमति माँगूँ तो वे जाने नहीं देंगे।”
ऐसा विचार कर एक समय ताज बीबी गुसाईं जी के दर्शन करने गोवर्धन आयी। गुसाईं जी के दर्शन कर ताज बीबी ने गुसाईं जी से कहा “महाराज, ऐसी कृपा कीजिये की मेरे पति मेरी अभिलाषा को पूर्ण करें।”
गुसाईं जी ने कहा “अपने पति के प्रत्येक आदेश का पालन करो, तुम्हारी अभिलाषा पूर्ण होगी।”
इसके बाद ताज बीबी दिल्ली लौट आयी और अकबर के प्रत्येक आदेश का पालन करने लगी। एक दिन अकबर ने विचार किया की ताज बीबी मेरी हर आज्ञा का पालन करती है, मुझे भी उसकी इच्छा पूर्ण करनी चाहिए। ऐसा विचार कर अकबर ने ताज बीबी से पूछा “तुम्हारी क्या इच्छा है”
ताज बीबी ने विचार किया की यदि मैं ब्रजवास मांगू तो अकबर मना कर देंगे, इसलिए ताज बीबी ने कहा “महाराज, मुझे आगरा के महल में निवास करना है, मुझे आगरा भेज दीजिये।”
अकबर इस बात के लिए मान गया और ताज बीबी को यमुना के रास्ते नाँव से आगरा भेज दिया। आगरा ब्रज की सीमा पर स्थित है। इसलिए ताज बीबी अब अक्सर गोवर्धन, गोकुल, वृन्दावन, बरसाना आदि स्थानों के दर्शन के लिए आने लगी..!!
क्रमशः