सभी देशवासियों को
आदि शंकराचार्य जन्मोत्सव
मंगलवार २५,अप्रैल २०२३ की
हार्दिक शुभकामनाएं…..!
आदि शंकराचार्य एक महान हिन्दू दार्शनिक एवं धर्मगुरु थे। आदि शंकराचार्यजी का जन्म ७८८ ईसा पूर्व केरल के कालड़ी में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इसी उपलक्ष में वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन आदि गुरु शंकराचार्य जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष आदिगुरू शंकराचार्य जयन्ती जन्मोत्सव मंगलवार २५,अप्रैल २०२३ को मनाई जाएगी।
हिन्दू धार्मिक मान्यता अनुसार इन्हें भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। यह अद्वैत वेदान्त के संस्थापक और हिन्दू धर्म प्रचारक थे। आदि शंकराचार्यजी जीवनपर्यंत सनातन धर्म के जीर्णोद्धार में लगे रहे उनके प्रयासों ने हिंदू धर्म को नव चेतना प्रदान की।
आदि शंकराचार्य जयन्ती के पावन अवसर पर शंकराचार्य मठों में पूजन हवन का आयोजन किया जाता है। देश भर में आदि शंकराचार्यजी को पूजा जाता है। अनेक प्रवचनों एवं सतसंगों का आयोजन भी होता है। सनातन धर्म के महत्व पर उपदेश दिए जाते हैं और चर्चा एवं गोष्ठी भी की जाती है।
मान्यता है कि इस पवित्र समय में अद्वैत सिद्धांत का पाठ करने से व्यक्ति को परेशानियों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन धर्म यात्राएं एवं शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। आदि शंकराचार्यजी ने अद्वैत वाद के सिंद्धांत को प्रतिपादित किया, जिस कारण आदि शंकराचार्यजी को हिंदु धर्म के महान प्रतिनिधि के तौर पर जाना जाता है। आदि शंकराचार्यजी को जगद्गुरु एवं शंकर भगवद्पादाचार्य के नाम से भी जाना जाता है।
आदि शंकराचार्यजी की जन्म कथा-
असाधारण प्रतिभा के धनी आदि जगदगुरू शंकराचार्य का जन्म वैशाख शुक्ल पंचमी के पावन दिन हुआ था। दक्षिण के कालाड़ी ग्राम में जन्में शंकरजी आगे चलकर ‘जगद्गुरु आदि शंकराचार्य’ के नाम से विख्यात हुए। इनके पिता शिवगुरु नामपुद्रि के यहाँ जब विवाह के कई वर्षों बाद भी कोई संतान नहीं हुई, तो इन्होंने अपनी पत्नी विशिष्टादेवी सहित संतान प्राप्ति की इच्छा को पूर्ण करने के लिए से दीर्घकाल तक भगवान शंकर की आराधना की। इनकी पूर्ण श्रद्धा एवं कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा।
शिवगुरु ने प्रभु शंकर से एक दीर्घायु सर्वज्ञ पुत्र की इच्छा व्यक्त की। तब भगवान शिव ने कहा कि, ‘वत्स, दीर्घायु पुत्र सर्वज्ञ नहीं होगा और सर्वज्ञ पुत्र दीर्घायु नहीं होगा। अत: यह दोनों बातें संभव नहीं हैं। तब शिवगुरु ने सर्वज्ञ पुत्र की प्राप्ति की प्रार्थना की और भगवान शंकर ने उन्हें सर्वज्ञ पुत्र की प्राप्ति का वरदान दिया तथा कहा कि मैं स्वयं पुत्र रूप में तुम्हारे यहाँ जन्म लूंगा।
इस प्रकार उस ब्राह्मण दंपती को संतान रूप में पुत्र रत्न की प्राप्त हुई और जब बालक का जन्म हुआ तो उसका नाम शंकर रखा गया। शंकराचार्य ने शैशव में ही संकेत दे दिया कि वे सामान्य बालक नहीं है। सात वर्ष की अवस्था में उन्होंने वेदों का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। बारहवें वर्ष में सर्वशास्त्र पारंगत हो गए और सोलहवें वर्ष में ब्रह्मसूत्र- भाष्य कि रचना की उन्होंने शताधिक ग्रंथों की रचना शिष्यों को पढ़ाते हुए कर दी। अपने इन्हीं महान कार्यों के कारण वह आदि गुरू शंकराचार्य के नाम से प्रसिद्ध हुए।
आदिगुरु शंकराचार्य जयंती का महत्व-
आदि शंकराचार्य जयन्ती के दिन शंकराचार्य मठों में पूजन हवन किया जाता है और पूरे देश में सनातन धर्म के महत्व पर विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं। मान्यता है कि आदि शंकराचार्य जंयती के अवसर पर अद्वैत सिद्धांत का प्रतिपादन किया जाता है।
जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य जयंती पर सनातन धर्म संस्कृति प्रेमिओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात् परमब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः।।
।। जय हो शिवावतार आदिगुरु शंकराचार्य ।।
to all countrymen Adi Shankaracharya Birth Anniversary Tuesday 25 April 2023 Heartiest congratulations…..!
Adi Shankaracharya was a great Hindu philosopher and religious teacher. Adi Shankaracharyaji was born in 788 BC in a Namboodiri Brahmin family at Kaladi in Kerala. On this occasion, Adi Guru Shankaracharya Jayanti is celebrated on Shukla Panchami of Vaishakh month. This year Adiguru Shankaracharya Jayanti Janmotsav will be celebrated on Tuesday, 25th April 2023.
According to Hindu religious belief, he is considered an incarnation of Lord Shankar. He was the founder of Advaita Vedanta and a propagator of Hindu religion. Adi Shankaracharyaji was engaged in the restoration of Sanatan Dharma throughout his life, his efforts gave new consciousness to Hinduism.
On the auspicious occasion of Adi Shankaracharya Jayanti, Pujan Havan is organized in Shankaracharya Maths. Adi Shankaracharyaji is worshiped all over the country. Many discourses and satsangs are also organized. Sermons are given on the importance of Sanatan Dharma and discussions and meetings are also held.
It is believed that by reciting Advaita Siddhanta during this auspicious time, one gets freedom from troubles. Religious processions and processions are also taken out on this day. Adi Shankaracharyaji propounded the principle of Advaita Vaad, due to which Adi Shankaracharyaji is known as the great representative of Hinduism. Adi Shankaracharyaji is also known as Jagadguru and Shankar Bhagavadpadacharya.
Birth story of Adi Shankaracharyaji- Adi Jagadguru Shankaracharya, rich in extraordinary talent, was born on the auspicious day of Vaishakh Shukla Panchami. Born in Kaladi village in the south, Shankarji later became famous as ‘Jagadguru Adi Shankaracharya’. When there was no child even after many years of marriage at his father Shivguru Nampudri, he along with his wife Vishishtadevi worshiped Lord Shankar for a long time to fulfill his desire to have a child. Pleased with his complete devotion and hard penance, Lord Shiva appeared to him in a dream and asked him to ask for a boon.
Shivguru expressed his wish to Prabhu Shankar to have a long life omniscient son. Then Lord Shiva said, ‘Vats, the long-lived son will not be omniscient and the omniscient son will not live long. So both these things are not possible. Then Shivguru prayed for the attainment of an omniscient son and Lord Shankar gave him the boon of having an omniscient son and said that I myself would be born in your place as a son.
In this way, that Brahmin couple got a son Ratna in the form of a child and when the child was born, he was named Shankar. Shankaracharya indicated in his childhood that he was not an ordinary child. At the age of seven, he had studied the Vedas completely. In the twelfth year he became proficient in all the scriptures and in the sixteenth year he composed Brahmasutra-Bhasya, he composed hundreds of texts while teaching his disciples. Because of his great works, he became famous by the name of Adi Guru Shankaracharya.
Importance of Adiguru Shankaracharya Jayanti- On the day of Adi Shankaracharya Jayanti, pujan havan is performed in Shankaracharya Maths and special programs on the importance of Sanatana Dharma are organized all over the country. It is believed that on the occasion of Adi Shankaracharya Jayanti, Advaita theory is rendered.
Happy Jagadguru Sri Shankaracharya Jayanti to all lovers of Sanatan Dharma and culture.
The teacher is Brahma, the teacher is Vishnu, the teacher is God and the teacher is Maheshwara. The spiritual master is directly the Supreme Brahman.
।। Jai ho Shivaavatar Adiguru Shankaracharya.