दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस फिर नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली। इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले रात के समय उसी प्रकार दीये की रोशनी से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को।
क्या है इसकी कथा-
इस रात दीये जलाने की प्रथा के संदर्भ में
कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं।
एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दु्र्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है।
इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक दूसरी कथा यह है कि रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है।
यह सुनकर यमदूत ने कहा कि हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक बार एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था,यह उसी पापकर्म का फल है। इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा। तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा।
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया।
इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।
रूप चौदस एवं नरक चतुर्दशी की शुभकामनाएं
Two days before Deepawali, Dhanteras then Narak Chaturdashi or Choti Deepawali. It is called Chhoti Deepawali because a day before Deepawali, at night, the darkness of the night is driven away from the beam of light by the light of diyas in the same way as on the night of Deepawali.
What is its story
With reference to the practice of lighting diyas on this night There are many legends and folk beliefs.
According to a legend, on this day, Lord Krishna had killed the tyrannical and wicked evil demon Narakasura and freed sixteen thousand and one hundred girls from the prison house of Narakasura and gave them respect. A procession of diyas is decorated on this occasion.
Another legend in the context of fasting and worship of this day is that there was a virtuous and pious king named Ranti Dev. He had not committed any sin even unknowingly, but when the time of death came, the eunuchs stood before him. Seeing the eunuch in front, the king was surprised and said that I have never committed any sinful act, then why have you people come to take me because your coming here means that I will have to go to hell. Please be kind to me and tell me due to which crime of mine I am going to hell.
Hearing this, the eunuch said, O king, once a brahmin had returned hungry from your door, this is the result of that sinful act. After this the king asked the eunuch for one year’s time. Then the eunuchs gave the king one year’s time. The king reached the sages with his troubles and told them all his story and asked them what is the way to get rid of this sin.
Then the sage told them to observe a fast on the Chaturdashi of Krishna Paksha of Kartik month and offer food to the brahmins and apologize for their crimes against them. The king did as the sages told him.
Thus the king was freed from sin and he got a place in the world of Vishnu. From that day onwards fasting on Kartik Chaturdashi day is prevalent in Bhulok for freedom from sin and hell.
Happy Roop Chaudas and Narak Chaturdashi