दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती हैं. इस तरह यह एक खुशियों का पर्व है जो हमारे जीवन में आनन्द बिखेर जाता हैं.
दिवाली हिन्दुओं का पवित्र त्योहार है जिसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता हैं.
यह पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं.
दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलता हैं.
लक्ष्मी पूजा, पटाखे, स्वादिष्ट व्यंजन दिवाली के मुख्य लक्षण हैं.
भगवान राम इसी दिन रावण को मारकर सीता के साथ अयोध्या आए थे.
दिवाली भारत में ही नहीं बल्कि दुनियां के लगभग सभी बड़े देशों में यह पर्व मनाया जाता हैं.
दिवाली को विजय का प्रतीक माना जाता है.
दिवाली के दिन घरो को दुल्हन की तरह सजाया जाता है.
दिवाली का पर्व हमारे लिए काफी महत्व रखता है.
इस बार दिवाली 2022 में 24 अक्टुम्बर को मनाई जाएगी.
भारत में अनेक धर्म के लोग रहते है. जो समय समय पर कोई न कोई पर्व मनाते है. उन्ही में से एक पर्व है. जिसका नाम है. दीपावली या जिसे हम साधारण भाषा में दिवाली भी कहते है. ये हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है.
दीपावली हिन्दूओ द्वारा शुरू किया गया पर्व है. जिसकी शुरुआत रामायण काल में की गई थी. जब राम ने लंकापति रावण को मारा था. उसकी ख़ुशी में दीपक जलाकर लोगो ने राम का स्वागत किया जिसे हम आज दीपावली पर्व के रूप में मनाते है.
इस पर्व को रोशनी का त्योहार कहा जाता है. न केवल ये वह रोशनी है, जो दीपक से बिखेरी जाती है. पर इसका प्रतीक ये है. कि रात के घोर अँधेरे में भी दीपक अपना प्रभुत्व दिखाकर सभी को उजागर कर सकता है.
अर्थात झूठ या अन्याय कितना भी शक्तिशाली हो सत्य और न्याय के सामने नहीं टिक सकता है. हमेशा सत्य की जीत होती है. इस पर्व पर माँ दुर्गा के अवतार माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
ये पर्व हमारे लिए बड़ा ही मनोहर होता है. जो सभी को अच्छा लगता है. इस पर्व का सभी को बेसब्री से इन्तजार रहता है.चाहे बूढ़े हो या बच्चे सभी इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है.
ये त्योहार हमारे लिए सभी गम को भुलाकर नए यादे दिलाता है. तथा नई उम्मीद के साथ एक नया जीवन देता है. तथा हमें खुशहाल कर देता है. इस पर्व को हम लाखो सालो से मनाते आ रहे है. ये पर्व प्रेम भाईचारे को बढाता है.
भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश हैं जहाँ विश्व के सभी धर्म, पंथ और मजहब के लोग निवास करते हैं. भारत में सर्वाधिक जनसंख्या हिन्दू धर्म की हैं. हिन्दुओं के कई त्योहार है जिनमें होली, दीपावली, रक्षाबन्धन तथा दशहरा मुख्य पर्व माने गये हैं. दिवाली को दीपों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता हैं.
प्राचीनकाल से यह पर्व मनाया जाता रहा हैं, इसे मनाने के पीछे प्रमुख कथा रामायण से जुडी हुई हैं जिसके अनुसार सीता हरण के बाद राम सीता की तलाश में जाते हैं.
विजयादशमी के दिन रावण का वध कर वे सीता समेत कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या पहुँचते हैं. वहां की जनता अपने राजा का स्वागत घी के दिए जला कर करती हैं. इस तरह से यह दीपों का त्योहार बन गया जिसे हर हिन्दू प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाता हैं.
बच्चें बूढ़े बालक स्त्रियाँ सभी आयु के लोग दिवाली पर्व को मनाते हैं. भारत में इस पर्व के मौके पर लम्बी सरकारी छुट्टियाँ भी रहती हैं जिससे नौकरी पेशे से जुड़े लोग भी अपने परिवार के साथ इस पर्व को मनाते हैं.
अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह पर्व अक्टूबर अथवा नवम्बर माह में पड़ता हैं. इसके आगमन से कई दिन पूर्व से ही लोग घर की साफ़ सफाई रंग रोगन तथा खरीददारी में लग जाते हैं.
दिवाली की शाम को घर घर घी के दिए लाइट आदि से जगमगाहट की जाती हैं. शुभ मुहूर्त के समय माँ लक्ष्मी, श्रीगणेश तथा सरस्वती जी की पूजा आराधना कर सुख सम्रद्धि की कामना की जाती हैं.
भारत विविधताओं से भरा देश हैं जहाँ विभिन्न धर्म, संस्कृति तथा भाषाभाषी लोग निवास करते हैं, सभी समुदायों के अपने अपने त्योहार हैं जिन्हें लोग मिलकर मनाते हैं.
दिवाली हिन्दू धर्म मानने वालों का सबसे बड़ा उत्सव हैं. जिसे भारत के साथ ही दुनिया भर में जहा भारतीय रहते हैं वहां धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाते हैं.
महत्व-हर त्योहार का अपना महत्व हैं. जिस प्रकार ईद मुसलमानों में भाईचारे का त्यौहार माना जाता हैं. उसी प्रकार दीपावली भी स्नेह का त्योहार हैं. इस दिन सभी व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों से मिलते हैं. और उन्हें शुभकामनाओं सहित मिठाई आदि भेट करते हैं. सांस्कृतिक पर्व की दृष्टि से यह त्योहार पौराणिक परम्पराओं को बनाए रखने वाला हैं.
दिवाली के पावन पर्व की शुरुआत आश्विन नवरात्र से ही हो जाती हैं. दशहरे के 20 वें दिन कार्तिक अमावस्या की रात को यह पर्व मनाया जाता हैं जो अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवम्बर माह में पड़ता हैं.
दीपावली को कृषि पर्व भी कहा जाता हैं. कृषक अपनी खरीफ की फसल को काटने के बाद शरद ऋतु से पूर्व अपने आराध्य ईश्वर को धन्यवाद देते हैं.
इस उत्सव को जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं जितने कि हिन्दू. जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी को इसी दिन मोक्ष मिला था इस घटना को जैनी क्षमा दिवस के रूप में मनाते है.
इसके अतिरिक सिख धर्म में भी दिवाली के दिन का ऐतिहासिक महत्व हैं इस दिन छठे सिख गुरु हर गोबिंद जी को मुगलों ने रिहा किया था, अतः सिख लोग इसे बंदी छोड़ पर्व के रूप में भी मनाते हैं.
हिन्दू धर्म की कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि जब रावण सीता का हरण का लंका ले गया तो भगवान राम ने लंका की चढ़ाई की और दशहरा के दिन रावण का वध कर सीता के साथ अयोध्या रवाना हुए थे.
माना जाता है, कि कार्तिक अमावस्या की रात को ही प्रभु राम सरयू के तट अयोध्या पहुंचे थे. अपने प्रिय राम के आगमन पर वहां के निवासियों ने घी के दिए जलाए तथा खुशियों के साथ राम को गले लगाया.
दिवाली की रात धन दात्री देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान हैं. सुख सम्पदा के लिए लक्ष्मी के साथ ही माँ सरस्वती तथा गणपति का भी पूजन किया जाता हैं. इस रात को घर में विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं दोस्तों रिश्तेदारों को पावन पर्व की बधाई के साथ उपहार भी आदान प्रदान किये जाते हैं.
दिवाली के एक माह पूर्व से ही लोग घरों की साफ़ सफाई तथा पर्व की तैयारी में लग जाते हैं. लोग अपने घरों दुकानों तथा ऑफिस आदि को सजाते संवारते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबसे स्वच्छ स्थल में वास करती हैं. रात में लोग माँ के स्वागत के लिए घरों के द्वार भी खुले छोड देते हैं.
दरअसल दिवाली का पर्व एक दिन का न होकर पंचदिवसीय पर्व हैं. इसका प्रथम दिवस धनतेरस के रूप में जाना जाता हैं. इस दिन कुबेर और धन्वन्तरि का जन्म हुआ था.
मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से धन 13 गुणा बढ़ जाता हैं. इसका दूसरा दिन छोटी दीपावली का होता हैं इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय दिलाई थी.
पर्व का तीसरा दिन मुख्य दिन होता हैं इस दिन दिवाली का उत्सव मनाते है तथा पूजा सम्पन्न होती हैं. घर घर घी के दिए जलाकर, पटाखे, फुलझड़ी जलाया उत्सव मनाया जाता हैं.
आज के समय में इको फ्रेंडली अर्थात प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने की बात कही जाती हैं. वर्तमान में मिट्टी के दीपकों का स्थान मोमबत्तियों तथा सजावट की लाइट्स ने ले लिया हैं.
उत्सव का चौथा दिन गौवर्धन पूजा के रूप में मनाते हैं. ऐसी मान्यता है कि कृष्ण जी ने इसी दिन इंद्र देव के अहंकार को मिटाकर अपनी अंगुली पर गौवर्धन पर्वत उठाया था. इस तरह इस दिन गायो व बछड़ों की पूजा भी की जाती हैं. दिवाली का पांचवा और आखिरी दिन भैया दूज का होता हैं. इस दिन बहिन भाई के यहाँ जाती हैं.
हमारे देश में प्रतिवर्ष अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं. हिन्दुओं के त्योहारों में रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली और होली ये चार प्रमुख त्योहार हैं. इनमें भी दीपावली प्रमुख त्योहार हैं.
इस त्योहार पर लोग दीपकों को पक्तियों में रखकर रौशनी करते हैं. इसलिए हम इसे दिवाली या दीपावली अर्थात दीपकों की पक्तियों को अवली कहते हैं.
मनाने का समय– यह कार्तिक मॉस की अमावस्या को मनाया जाता हैं. यह त्योहार अमावस्या के दो दिन पूर्व पूर्व त्रयोदशी से लेकर इसके दो दिन बाद द्वितीया तक चलता हैं. इस प्रकार यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता हैं.
मनाने का कारण-इस त्योहार के साथ हमारी अनेक ऐतिहासिक तथा धार्मिक परम्पराएं जुड़ी हुई हैं. हिन्दुओं की मान्यता है कि इसी दिन श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे. उनके आने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने अपने अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था.
पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्रमंथन से धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी. जैन धर्म वाले महावीर स्वामी से सम्बन्धित कथा कहते हैं. कुछ लोग इस दिन हनुमान जी की जयंती बताते हैं. मत चाहे जो कुछ भी हो, परन्तु उल्लास आनन्द की दृष्टि से मनाये जाने वाले त्योहारों में यह प्रमुख त्यौहार हैं.
मनाने की विधि– दीपावली से पहले धनतेरस के दिन गृहणियां नयें बर्तन खरीदना शुभ मानती हैं. रूप चौदस को घरों की सजावट कर छोटी दीपावली मनाई जाती हैं. अमावस्या को दीपावली का त्योहार उल्लास से मनाया जाता हैं.
दीपावली के दिन प्रत्येक घर में लक्ष्मी पूजन होता हैं. दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती हैं. लोग गोबर का गोवर्धन बनाकर उसे पूजते हैं. कहते है कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर ब्रज की मूसलाधार वर्षा से रक्षा की थी.
इसके बाद भाई दोज का त्योहार मनाते हैं. बहिनें अपने भाइयों के ललाट पर तिलक लगाती हैं. और उन्हें मिठाइयाँ खिलाती हैं. दीपावली के दिन व्यापारी लोग दावत पूजन भी करते हैं. और अपने बहीखाते भी बदलते हैं. इस प्रकार यह त्योहार पांच दिन तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं.
उपसंहार-हिन्दुओं में मनाए जाने वाले त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्व हैं. यह हमारी सांस्कृतिक मंगलेच्चा का प्रतीक हैं. स्वयं गरीबी को झेलते हुए भी भारतवासी बड़े उत्साह के साथ दीपावली का पर्व मनाते हैं. लक्ष्मी पूजा करते है और करते रहेगे.
The festival of Diwali is celebrated with great pomp. On this day Goddess Lakshmi, the goddess of wealth is worshipped. In this way it is a festival of happiness which spreads joy in our life.
Diwali is the holy festival of Hindus which is also known as Prakash Parv.
This festival is celebrated on the day of Kartik Amavasya.
The festival of Diwali lasts for five days.
Lakshmi Puja, crackers, delicious dishes are the main features of Diwali.
Lord Rama came to Ayodhya with Sita on this day after killing Ravana.
Diwali is celebrated not only in India but in almost all the big countries of the world.
Diwali is considered a symbol of victory.
On the day of Diwali, houses are decorated like a bride.
The festival of Diwali holds a lot of importance for us.
This time Diwali will be celebrated in 2022 on 24th October.
People of many religions live in India. Who celebrates some festival from time to time. One of them is the festival. whose name is. Deepawali or what we also call Diwali in simple language. This is the main festival of Hindus.
Deepawali is a festival started by Hindus. Which was started in the Ramayana period. When Rama killed Lankapati Ravana. People welcomed Ram by lighting a lamp in his happiness, which we celebrate today as Diwali festival.
This festival is called the festival of lights. It is not only the light that is scattered by the lamp. But this is its symbol. That lamp can illuminate everyone by showing its dominance even in the darkest of night.
That is, no matter how powerful the lie or injustice, it cannot stand in front of truth and justice. Truth always wins. Maa Lakshmi, an incarnation of Maa Durga, is worshiped on this festival.
This festival is very beautiful for us. which is liked by all. Everyone eagerly waits for this festival. Whether old or children, everyone celebrates this festival with great enthusiasm.
This festival brings new memories for us by forgetting all the sorrow. And gives a new life with new hope. and makes us happy. We have been celebrating this festival for millions of years. This festival increases love and brotherhood.
India is the only country in the world where people of all religions, creeds and religions of the world reside. Most of the population in India is of Hindu religion. There are many festivals of Hindus in which Holi, Deepawali, Rakshabandhan and Dussehra are considered as the main festivals. Diwali is also known as the festival of lights.
This festival has been celebrated since ancient times, the main story behind celebrating it is related to Ramayana, according to which Rama goes in search of Sita after Sita’s abduction.
After killing Ravana on the day of Vijayadashami, they reach Ayodhya along with Sita on the day of Kartik Amavasya. The people there welcome their king by lighting ghee lamps. In this way it became the festival of lights which every Hindu celebrates every year with pomp.
Children, old children, women, people of all ages celebrate Diwali festival. In India, there are long government holidays on the occasion of this festival, due to which people associated with the job profession also celebrate this festival with their families.
According to the English months, this festival falls in the month of October or November. Many days before its arrival, people start cleaning the house, painting and shopping.
On the evening of Diwali, every house is lit up with ghee lamps etc. At the time of auspicious time, worship of Goddess Lakshmi, Shri Ganesh and Saraswati ji is worshiped and wishes for happiness and prosperity.
India is a country full of diversity where people of different religions, cultures and languages live, all communities have their own festivals which people celebrate together.
Diwali is the biggest festival of the followers of Hinduism. Which is celebrated with pomp and gaiety in India as well as all over the world where Indians live.
Significance- Every festival has its own importance. Just as Eid is considered a festival of brotherhood among Muslims. Similarly, Deepawali is also a festival of affection. On this day all the people meet their best friends. And offer them sweets etc. with best wishes. From the point of view of cultural festival, this festival is going to maintain the mythological traditions.
The holy festival of Diwali begins with Ashwin Navratri. This festival is celebrated on the night of Kartik Amavasya on the 20th day of Dussehra, which falls in the month of October or November according to the English calendar.
Diwali is also known as Krishi Parv. Farmers, after harvesting their Kharif crop, give thanks to their beloved God before autumn.
Followers of Jainism and Buddhism celebrate this festival with as much reverence and devotion as Hindus. Mahavir Swami, the originator of Jainism, got salvation on this day, Jains celebrate this event as Forgiveness Day.
Apart from this, the day of Diwali also has historical significance in Sikhism.
According to the legends of Hindu religion, it is believed that when Ravana took Sita away to Lanka, Lord Rama marched to Lanka and on the day of Dussehra, after killing Ravana, he left for Ayodhya with Sita.
It is believed that on the night of Kartik Amavasya, Lord Rama reached Ayodhya on the banks of Saryu. On the arrival of their beloved Rama, the residents lit ghee lamps and embraced Rama with joy.
On the night of Diwali, there is a law to worship Goddess Laxmi ji, the wealth donor. Along with Lakshmi, Goddess Saraswati and Ganapati are also worshiped for happiness and wealth. On this night, different types of dishes are made in the house, gifts are also exchanged with the greetings of the holy festival to friends and relatives.
From a month before Diwali, people start cleaning their houses and preparing for the festival. People decorate their homes, shops and offices etc. It is believed that on this day Goddess Lakshmi resides in the cleanest place. At night, people also leave the doors of the houses open to welcome the mother.
Actually, the festival of Diwali is not a day but a five-day festival. Its first day is known as Dhanteras. Kuber and Dhanvantari were born on this day.
It is believed that by shopping on this day, wealth increases 13 times. Its second day is of Choti Deepawali, behind this it is believed that on this day Krishna killed Narakasura and gave victory of religion over unrighteousness.
The third day of the festival is the main day, on this day the festival of Diwali is celebrated and the worship is completed. The festival is celebrated by lighting ghee lamps, crackers, sparklers from house to house.
In today’s time, it is said to celebrate eco-friendly i.e. pollution-free Diwali. At present, earthen lamps have been replaced by candles and decoration lights.
The fourth day of the festival is celebrated as Gauvardhan Puja. It is believed that Krishna ji lifted the Gauvardhan mountain on his finger on this day after erasing the ego of Indra Dev. In this way, cows and calves are also worshiped on this day. Bhaiya Dooj is the fifth and last day of Diwali. On this day sister goes to brother’s place.
Many festivals are celebrated every year in our country. Rakshabandhan, Dussehra, Deepawali and Holi are the four major festivals of Hindu festivals. Among them, Diwali is also the main festival.
On this festival, people light up the lamps by placing them in rows. That’s why we call it Diwali or Deepawali i.e. the rows of lamps as Avali.
Time to celebrate- It is celebrated on the new moon day of Kartik month. This festival lasts from Trayodashi two days before Amavasya to Dwitiya two days after it. Thus this festival is celebrated for five days.
Reason for celebrating – Many historical and religious traditions are associated with this festival. Hindus believe that on this day Shri Ram returned to Ayodhya after completing fourteen years of exile. In the joy of his arrival, the people of Ayodhya welcomed him by lighting a lamp in their homes.
According to the legend, Lakshmi, the goddess of wealth, appeared on this day from the churning of the ocean. Jainism tells a story related to Mahavir Swami. Some people call this day the birth anniversary of Hanuman ji. Whatever may be the opinion, but these are the main festivals celebrated with the joy of gaiety.
Method of Celebration- On the day of Dhanteras before Deepawali, housewives consider it auspicious to buy new utensils. Chhoti Deepawali is celebrated by decorating houses on Roop Chaudas. The festival of Diwali is celebrated with gaiety on Amavasya.
Lakshmi Puja is performed in every house on the day of Deepawali. Govardhan Puja takes place on the second day. People worship it by making Govardhan of cow dung. It is said that on this day Shri Krishna lifted the Govardhan mountain on his finger and protected Braj from torrential rains.
After this, the brothers celebrate the festival of Dooj. Sisters apply tilak on the forehead of their brothers. and feeds them sweets. On the day of Deepawali, merchants also do Dawat Puja. And also change your bookkeeping. Thus this festival is celebrated with great pomp for five days.
Epilogue- Deepawali has special significance in the festivals celebrated among Hindus. It is a symbol of our cultural ambition. Despite facing poverty themselves, the people of India celebrate the festival of Diwali with great enthusiasm. Lakshmi worships and will continue to do so.