कार्तिक मास के महीने में ब्रज में पूरे मास लोग यमुना स्नान करते हैं और महिलाएं लोकगीत गाती हैं। पेश हैं कार्तिक मास में गाए जाने वाले ब्रज के लोकगीत
जागिए ब्रजराज कुंवर भोर भयो अंगना
चिरई जागे चिरौटा जागे
पंछी चाले चुगना
गैल के बटोही जागे गोदी जागे ललना
संग की सखियां चाली हम हूं चाली जमन
यमुना स्नान ब्रजवासियों की दिनचर्या का मुख्य अंग रहा है। कातिक (कार्तिक) और माघ मास नहाने का विशेष महात्म्य है। एक कहावत है, आठ माघ नौ कातिक नहावै, दस वैषाख अलौनौ खावै, सीधौ वैकुंठ जावै। कार्तिक मास में पूरे महीने ब्रज वनिताएं नित्य ब्रह्म बेला में मथुरा स्थित विश्राम घाट पर कालिंदी में आस्था की डुबकी लगाती हैं। तुलसी और सालिगराम का पूजन करती हैं और गीत गाती हैं। गांवों में भी ब्रजांगनाएं कातिक स्नान, व्रत नियम करती हैं। मथुरा व आसपास के गांवों से कुछ गीतों का संकलन किया
In the month of Kartik, people in Braj take bath in Yamuna for the whole month and women sing folk songs. Presenting the folk songs of Braj sung in the month of Kartik
Wake up Brajraj Kunwar dawn dawned Angana
Chirai woke up Chirauta woke up
birds pecking
Gail’s passenger wakes up, Lallana wakes up at his lap.
My friends are crazy, I am crazy, the world is crazy
Bathing in Yamuna has been an important part of the daily routine of the people of Braj. Bathing in the months of Katik (Kartik) and Magh has special significance. There is a saying, Eight Magh nine Katik Nahavai, ten Vaishakh Alonau Khavai, Sidhau Vaikuntha Javai. Throughout the month of Kartik, Braj Vanitas daily take a dip of faith in Kalindi at Vishram Ghat in Mathura during Brahma Bela. Worship Tulsi and Saligrama and sing songs. Even in villages, Brajanganas observe ritual bath and fast. Compiled some songs from Mathura and surrounding villages