मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। राम ने 9 दिन तक मां दुर्गा की उपासनी की और फिर 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्त की, इसलिए इस त्योहार को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। रावण के बुरे कर्मों पर श्रीरामजी की अच्छाइयों की जीत हुई, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और उसके भाई कुंभकरण के पुतले भी फूंके जाते हैं।
मां दुर्गा ने किया था महिसाषुर का वध-
पौराणिक मान्यताओं में विजया दशमी को मनाने के पीछे एक और मान्यता यह बताई गई है कि इस दिन मां दुर्गा ने चंडी रूप धारण करके महिषासुर नामक असुर का भी वध किया था। महिषासुर और उसकी सेना द्वारा देवताओं को परेशान किए जाने की वजह से, मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया था और 10वें दिन उन्हें महिसाषुर का अंत करने में सफलता प्राप्त हुई। इसलिए भी शारदीय नवरात्र के बाद दशहरा मनाने की परंपरा है। इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति का भी विसर्जन किया जाता है।
विजया दशमी कथा-
एक बार पार्वती जी ने शिवजी से दशहरे के त्योहार के फल के बारे में पूछा। शिवजी ने उत्तर दिया, आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल में तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक काल होता है जो सब इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता है। इस दिन यदि श्रवण नक्षत्र का योग हो तो और भी शुभ है। भगवान रामचन्द्रजी ने इसी विजय काल में लंका पर चढ़ाई करके रावण को परास्त किया था। इसी काल में शमी वृक्ष ने अर्जुन का गांडीव नामक धनुष धारण किया था।
पार्वती जी बोलीं शमी वृक्ष ने अर्जुन का धनुष कब और किस कारण धारण किया था तथा रामचन्द्रजी से कब और कैसी प्रिय वाणी कही थी, सो कृपाकर मुझे समझाइये।
शिवजी ने जवाब दिया – दुर्योधन ने पांडवों को जुएँ में पराजित करके बारह वर्ष का बनवास तथा तेरहवें वर्ष में अज्ञात वास की शर्त रखी थी। तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जायेगा तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का बनवास भोगन होगा। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को शमी वृक्ष पर छुपाया था तथा स्वयं बृहन्नला के वेश में राजा विराट् के पास नौकरी की थी। जब राज्य की रक्षा के लिए विराट् के पुत्र कुमार ने अर्जुन को अपने साथ लिया तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपना धनुष उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजया दशमी के दिन रामचन्द्रजी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने रामचन्द्रजी की विजय का उद्घोष किया था। विजय काल में शमी पूजन इसलिए होता है।
दशहरा पर्व के चलते हथियारों के पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन हथियारधारी अपने-अपने हथियारों का पूजन करते हैं। इस पूजा-अर्चना के पूर्व हथियारों की साफ-सफाई सावधानी से करना ही अक्लमंदी है। इस दौरान जरा-सी लापरवाही अनहोनी को न्योता दे सकती है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। || विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ||
The day on which Maryada Purushottam Shri Ram killed Ravana was the tenth day of Shardiya Navratri. Rama worshiped Goddess Durga for 9 days and then conquered Ravana on the 10th day, hence this festival is celebrated as Vijayadashami. Shri Ram’s good deeds won over the evil deeds of Ravana, so it is also celebrated as the festival of victory of good over evil. On this day the effigies of Ravana along with his son Meghnad and his brother Kumbhakaran are also burnt.
Maa Durga had killed Mahisasura – Another belief behind celebrating Vijaya Dashami in mythological beliefs is that on this day Maa Durga took the form of Chandi and killed a demon named Mahishasura. As Mahishasura and his army harassed the deities, Goddess Durga fought with Mahishasura and his army for nine consecutive days and on the 10th day she was successful in killing Mahishasura. That is why there is a tradition of celebrating Dussehra after Shardiya Navratri. The idol of Maa Durga is also immersed on this day.
Vijaya Dashami story-
Once Parvati ji asked Shiva about the fruits of the festival of Dussehra. Shiva replied, ‘Ashwin Shukla Dashami’ in the evening at the time of star rise, there is a period called ‘Vijay’ which is the one who fulfills all desires. If Shravan Nakshatra is in yoga on this day, then it is even more auspicious. Lord Ramchandra ji defeated Ravana by climbing on Lanka during this victory period. It was during this period that the Shami tree held Arjuna’s bow named Gandiva.
Parvati ji said when and for what reason did the Shami tree hold Arjuna’s bow and when and what kind of lovely voice was spoken to Ramchandraji, so please explain to me.
Shiva replied – Duryodhana defeated the Pandavas in a yoke and had laid a condition for twelve years of exile and in the thirteenth year of unknown abode. If they are detected in the thirteenth year, they will again undergo exile for twelve years. Arjuna had hidden his Gandiva bow on the Shami tree in this unknown abode and himself took a job with King Virata in the guise of Brihanla. When Virat’s son Kumar took Arjuna with him to protect the kingdom, Arjuna lifted his bow from the Shami tree and conquered the enemies. On the day of Vijaya Dashami, the Shami tree declared the victory of Ramchandraji while Ramchandraji set out to climb Lanka. This is why Shami worship is done in the period of victory.
Worship of weapons has special significance due to Dussehra festival. On this day the weapon holders worship their weapons. It is wise to clean the weapons carefully before this worship. During this, a little carelessness can invite untoward incidents. On this day people start new work, weapon-worship is done. , Happy Vijayadashami ||