हिन्दू संस्कृति में यह दिन श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतीकात्मक जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवद्गीता के दर्शन मात्र का बड़ा लाभ होता है। यदि इस दिन गीता के श्लोकों का वाचन किया जाए तो मनुष्य के पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 दिसंबर को है। एक-दूसरे के प्राणों के प्यासे कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने से पहले योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने 18 अक्षौहिणी सेना के बीच मोह में फंसे और कर्म से विमुख अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को छंद रूप में यानी गाकर उपदेश दिया, इसलिए इसे गीता कहते हैं। चूंकि उपदेश देने वाले स्वयं भगवान थे, अत: इस ग्रंथ का नाम भगवद्गीता पड़ा। भगवद्गीता में कई विद्याओं का वर्णन है, जिनमें चार प्रमुख हैं- अभय विद्या, साम्य विद्या, ईश्वर विद्या और ब्रह्म विद्या। माना गया है कि अभय विद्या मृत्यु के भय को दूर करती है।
साम्य विद्या राग-द्वेष से छुटकारा दिलाकर जीव में समत्व भाव पैदा करती है। ईश्वर विद्या के प्रभाव से साधक अहंकार और गर्व के विकार से बचता है। ब्रह्म विद्या से अंतरात्मा में ब्रह्मा भाव को जगाता है। गीता माहात्म्य पर श्रीकृष्ण ने पद्म पुराण में कहा है कि भवबंधन (जन्म-मरण) से मुक्ति के लिए गीता अकेले ही पर्याप्त ग्रंथ है। गीता का उद्देश्य ईश्वर का ज्ञान होना माना गया है।
स्वयं भगवान ने दिया है गीता का उपदेश
विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है, क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं, जबकि गीता का जन्म स्वयं श्रीभगवान के श्रीमुख से हुआ है-
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता।।
श्रीगीताजी की उत्पत्ति धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को हुई थी। यह तिथि मोक्षदा एकादशी के नाम से विख्यात है। गीता एक सार्वभौम ग्रंथ है। यह किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसे स्वयं श्रीभगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर कहा है इसलिए इस ग्रंथ में कहीं भी श्रीकृष्ण उवाच शब्द नहीं आया है बल्कि श्रीभगवानुवाच का प्रयोग किया गया है।
इसके छोटे-छोटे 18 अध्यायों में इतना सत्य, ज्ञान व गंभीर उपदेश हैं, जो मनुष्य मात्र को नीची से नीची दशा से उठाकर देवताओं के स्थान पर बैठाने की शक्ति रखते हैं।
निष्काम कर्म करने की शिक्षा देती है गीता
महाभारत के अनुसार, जब कौरवों व पांडवों में युद्ध प्रारंभ होने वाला था। तब अर्जुन ने कौरवों के साथ भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य आदि श्रेष्ठ महानुभावों को देखकर तथा उनके प्रति स्नेह होने पर युद्ध करने से इंकार कर दिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जिसे सुन अर्जुन ने न सिर्फ महाभारत युद्ध में भाग लिया अपितु उसे निर्णायक स्थिति तक पहुंचाया। गीता को आज भी हिंदू धर्म में बड़ा ही पवित्र ग्रंथ माना जाता है। गीता के माध्यम से ही श्रीकृष्ण ने संसार को धर्मानुसार कर्म करने की प्रेरणा दी। वास्तव में यह उपदेश भगवान श्रीकृष्ण कलयुग के मापदंड को ध्यान में रखते हुए ही दिया है। कुछ लोग गीता को वैराग्य का ग्रंथ समझते हैं जबकि गीता के उपदेश में जिस वैराग्य का वर्णन किया गया है वह एक कर्मयोगी का है। कर्म भी ऐसा हो जिसमें फल की इच्छा न हो अर्थात निष्काम कर्म।
गीता में यह कहा गया है कि अपने धर्म का पालन करना ही निष्काम योग है। इसका सीधा का अर्थ है कि आप जो भी कार्य करें, पूरी तरह मन लगाकर तन्मयता से करें। फल की इच्छा न करें। अगर फल की अभिलाषा से कोई कार्य करेंगे तो वह सकाम कर्म कहलाएगा। गीता का उपदेश कर्मविहिन वैराग्य या निराशा से युक्त भक्ति में डूबना नहीं सिखाता, वह तो सदैव निष्काम कर्म करने की प्रेरणा देता है।
गीता जयंती के दिन क्या करें
कहा जाता है कि इस दिन भगवद्गीता के दर्शन मात्र का बड़ा लाभ होता है। यदि इस दिन गीता के श्लोकों का वाचन किया जाए तो मनुष्य के पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है। सनातन धर्म में इसका अत्यधिक महत्व है। गीता जयंती से जुड़े कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने से मनुष्य कभी भी कर्म पथ से नहीं भटकता साथ ही उसके पास धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, बुद्धि, साहित्य एवं संस्कारों का बसेरा रहता है। वह सदा ही अभिमान, अहंकार, लालच, काम, क्रोध, द्वेष से दूर रहता है।
गीता जयंती के दिन श्रीमद भगवद्गीता के दर्शन करें, इसके पश्चात् भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर उनसे सदा ही सद्बुद्धि देने के लिए प्रार्थना करें। संभव हो तो गीता कुछ श्लोकों को भी पढ़कर उनका अर्थ समझने का प्रयास करें।
नैनं छिदंति शस्त्राणी, नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयंतेयापो न शोषयति मारुतः ।।
सहित ऐसे अनेक श्लोक हैं जिन्हें पढ़ने और उनका अर्थ समझने से मनुष्य को जीवन के कष्टों से ना सिर्फ मुक्ति मिलती है, बल्कि वह जीवन के उस पथ को प्राप्त करता है जिसका ज्ञान स्वयं जगतज्ञानी परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया है।
इस दिन शंख का पूजन करना भी लाभकारी बताया गया है। पूजन के उपरांत शंख की ध्वनि से बुरी शक्तियां दूर होती हैं और लक्ष्मी का आगमन होता है। इस पूजन से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
इस दिन भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप का पूजन भी अत्यंत ही उत्तम माना गया है। कहा जाता है कि इससे समस्त बिगड़े हुए काम बनते हैं एवं मनुष्य के जीवन में शांति का आगमन होता है।
यदि परिवार में कलह, क्लेश या झगड़े से संबंधित समस्याएं हैं तो गीता जयंती से ही भगवद्गीता के दर्शन करना प्रारंभ करना चाहिए, माना जाता है कि इससे मनुष्य में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
जिनके घर पर श्रीमद्भगवद्गीता नही है उनके लिए इस दिन इस पवित्र धार्मिक ग्रंथ को अपने घर लाना अत्यंत ही शुभ एवं लाभकारी माना गया है। कहा जाता है कि इससे मां लक्ष्मी सालभर के लिए घर में विराजमान होती हैं तथा कठिन परिस्थितियों में भी मनुष्य पथभ्रष्ट नहीं होता।
श्रीमद् भगवद्गीताजी की आरती
जय भगवत् गीते, मां जय भगवत् गीते,
हरि हिय कमल विहारिणि सुन्दर सुपुनीते। टेक।
कर्म सुकर्म प्रकाशिनि कामासक्तिहरा,
तत्वज्ञान विकाशिनि विद्या ब्रह्मपरा। जय…
निश्चल भक्ति विधायिनी निर्मल मलहारी,
शरण रहस्य प्रदायिनी सब विधि सुखकारी। जय…
राग-द्वेष विदारिणि कारिणि मोद सदा,
भव-भय हारिणि तारिणि परमानंदप्रदा। जय…
आसुर भाव विनाशिनि तम रजनी,
दैवी सद्गुण दायिनि हरि रसिका सजनी। जय…
समता त्याग सिखावनि हरिमुख की बानी,
सकल शास्त्र की स्वामिनी श्रुतियों की रानी। जय…
दया सुधा बरसावनि मातु कृपा कीजै,
हरि पद प्रेम दान कर अपने कर लीजै। जय…
महाभारत काल से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी
पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं –
1 युधिष्ठिर 2 भीम 3 अर्जुन
4 कुल। 5 सहदेव
( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )
यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।
वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं –
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
7. सह 8. विंद 9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल
43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी
64. दुष्पराजय 65. अपराजित
66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त
71 वातवेग 72 सुवर्च 73 आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु
83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी। 89. विरवि
90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु
96. सुजात। 97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी 99. विरज
100. युयुत्सु
( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम दुशाला था,
जिसका विवाह”जयद्रथ”सेहुआ था )
“श्री मद्-भगवत गीता”के बारे में-
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है….?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.
अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद
In Hindu culture, this day is celebrated as the symbolic birth anniversary of Srimad Bhagavad Gita. It is said that mere darshan of Bhagavad Gita on this day is of great benefit. If the verses of Geeta are recited on this day, the defects of the person’s previous birth are destroyed.
According to the Hindu calendar, the festival of Geeta Jayanti is celebrated on the Ekadashi of Shukla Paksha of Margashirsha month. This time this festival is on 22 December. Before the war broke out between the Kauravas and the Pandavas, who were thirsty for each other’s lives, Yogiraj Lord Shri Krishna had preached the Geeta to Arjuna, who was trapped in attachment and turned away from action, amidst the 18 Akshauhini army.
Shri Krishna preached to Arjun in verse form i.e. by singing, hence it is called Geeta. Since the preacher was God himself, this book was named Bhagavad Gita. There are many Vidyas described in the Bhagavad Gita, of which the four main ones are – Abhay Vidya, Samya Vidya, Ishwar Vidya and Brahma Vidya. It is believed that Abhaya Vidya removes the fear of death.
Samya Vidya frees one from attachment and hatred and creates a feeling of equanimity in the living being. Due to the influence of God’s knowledge, the seeker is saved from the vices of ego and pride. Brahma Vidya awakens the feeling of Brahma in the soul. On the greatness of Gita, Shri Krishna has said in Padma Purana that Gita alone is a sufficient scripture for liberation from the bondage of life (birth and death). The purpose of Geeta is considered to be the knowledge of God.
God himself has given the teachings of Geeta
The birth anniversary of any book is not celebrated in any religion or sect of the world. Even in Hindu religion, the tradition of celebrating only Geeta Jayanti has been going on since ancient times, because other scriptures have been written or compiled by a human being, whereas Geeta itself was born from the mouth of Shri Bhagwan.
She herself emerged from the lotus face of Padmanābha
Shri Geetaji was born in Dharmakshetra Kurukshetra on the Ekadashi of Shuklapaksha in the month of Margashirsha. This date is known as Mokshada Ekadashi. Geeta is a universal scripture. This is not for any particular time, religion, sect or caste but for the entire human race. This has been said by Lord Krishna himself as an instrument to Arjun, hence the word Shri Krishna Uvaach has not been used anywhere in this book, rather Shri Bhagwanu Uvaach has been used.
Its 18 small chapters contain so much truth, knowledge and serious teachings, which have the power to lift human beings from the lowest state and place them in the place of gods.
Geeta teaches to do selfless work
According to Mahabharata, when the war between Kauravas and Pandavas was about to start. Then Arjun refused to fight with the Kauravas after seeing great personalities like Bhishma, Dronacharya, Kripacharya etc. and having affection for them. Then Lord Shri Krishna preached Geeta to Arjun, listening to which Arjun not only participated in the Mahabharata war but also took it to a decisive stage. Even today Geeta is considered a very sacred book in Hindu religion. It is through Geeta that Shri Krishna inspired the world to act according to religion. In fact, Lord Shri Krishna has given this advice keeping in mind the criteria of Kaliyuga. Some people consider Geeta to be a book of renunciation, whereas the renunciation described in the teachings of Geeta is that of a Karmayogi. The action should also be such that there is no desire for results i.e. selfless action.
It is said in Geeta that following one’s religion is selfless yoga. Its simple meaning is that whatever work you do, do it with full concentration and concentration. Don’t desire fruit. If we do any work with the desire of getting results then it will be called fruitful work. The teachings of Geeta do not teach us to immerse ourselves in workless renunciation or devotion full of despair, it always inspires us to do selfless work.
What to do on Geeta Jayanti
It is said that mere darshan of Bhagavad Gita on this day is of great benefit. If the verses of Geeta are recited on this day, the defects of the person’s previous birth are destroyed. It has immense importance in Sanatan Dharma. We are going to tell you some such measures related to Geeta Jayanti, by doing which a person never deviates from the path of action and also he remains blessed with wealth, opulence, prosperity, intelligence, literature and values. He always stays away from pride, ego, greed, lust, anger and malice.
On the day of Geeta Jayanti, have darshan of Shrimad Bhagavad Gita, after that have darshan of Lord Shri Krishna and pray to him to always give you good wisdom. If possible, read some verses of Geeta and try to understand their meaning.
Weapons cannot cut him, nor can fire burn him. It is not wetted by water nor dried by the wind
There are many such verses, by reading and understanding their meaning, a person not only gets freedom from the troubles of life, but he also attains the path of life, the knowledge of which has been given to Arjun by Lord Krishna, the world-wise God himself.
Worshiping conch shell on this day is also said to be beneficial. After the worship, the sound of the conch drives away evil powers and Goddess Lakshmi arrives. Lord Vishnu is extremely pleased with this worship.
Worship of the huge form of Lord Krishna on this day is also considered very auspicious. It is said that this removes all the bad things and brings peace in a person’s life.
If there are problems related to discord, strife or fights in the family, then one should start watching Bhagavad Gita from Geeta Jayanti itself, it is believed that this develops the ability of a person to take right decisions.
For those who do not have Shrimad Bhagavad Gita at home, it is considered very auspicious and beneficial to bring this holy religious book to their home on this day. It is said that with this, Goddess Lakshmi resides in the house for the whole year and the person does not go astray even in difficult circumstances.
Aarti of Srimad Bhagavad Gita
Jai Bhagavat Geete, Maa Jai Bhagavat Geete, Hari Hiya Kamal Viharini Sundar Supunite. Tech. Karma sukarma prakashini kamasaktihara, The knowledge that develops philosophy is Brahmapara. win… Nischal Bhakti Vidhayini Nirmal Malhari, Refuge mystery provider all methods pleasant. win… Raga-dvesh vidarini karini mod sada, Destroyer of fear of death, savior of supreme bliss. win… Asura bhaav vinashini tama rajni, Divine good qualities giver Hari connoisseur Sajni. win… Samata Tyag Sikhavani Harimukh Ki Bani, Queen of the Srutis, mistress of all scriptures. win… Daya Sudha Barsavani Matu Kripa Kije, Hari pad prem dan kar apne kar lije. win…
Some interesting information related to Mahabharata period
Pandavas had five brothers whose names are – 1 Yudhishthir 2 Bhima 3 Arjun 4 total. 5 Sahadev
(Apart from these five, Mahabali Karna was also the son of Kunti, but he is not counted among the Pandavas.)
Keep in mind here that… out of the above five sons of Pandu, Yudhishthir, Bhima and Arjun Kunti’s mother was…and Nakul and Sahadev’s mother was Madri.
Whereas…. One hundred sons of Dhritarashtra and Gandhari….. The names of the Kauravas are – 1. Duryodhana 2. Dushasana 3. Duhsah 4. Duhshal 5. Jalasangh 6. Sam 7. Co 8. Vind 9. Anuvind 10. Durdharsha 11. Subahu. 12. Bad assault 13. Intolerance. 14. evil-faced 15. evil-eared 16. Vikarna 17. Shal 18. Satvan 19. Sulochan 20. Figure 21. Subfig 22. Chitraaksha 23. Charuchitra 24. Sharasana 25. Durmad. 26. Durvigaha 27. Vivitsu 28. Vikatananda 29. Urnabha 30. Sunabh 31. Nanda. 32. Upananda 33. Chitraban 34. Chitravarma 35. Suvarma 36. Durvimochan 37. Ayobahu 38. Mahabahu 39. Chitranga 40. Chitrakundala4 Bhimveg 42. Bhimbal 43. Balaki 44. Balvardhan 45. Ugrayudha 46. Sushena 47. Kundadhar 48. Mahodar 49. Chitrayudha 50. Nishangi 51. Pashi 52. Vrindaraka 53. Dridhavarma 54. Dridhaksatra 55. Somkirti 56. Anudar 57. Dadhasangha 58. Jarasangha 59. Satyasangha 60. Sadsuwak 61. Ugrasrava 62. Ugrasena 63. Senani 64. badly defeated 65. undefeated 66. Kundshayai 67. Vishalaksha 68. duradhar 69. firm-handed 70. well-handed 71 Wind speed 72 Suvarcha 73 Adityaketu 74. Bahwashi 75. Nagdatta 76. Ugrashayai 77. Armor 78. Crathan. 79. Latch 80. Bhimavikra 81. Dhanurdhar 82. Veerabahu 83. greedy 84. fearless 85. firm 86. firm chariot 87. unbearable 88. Kundabhedi. 89. Virvi 90. Chitrakundala 91. Pradham 92. Amapramathi 93. Long-haired 94. mighty 95. long-armed 96. Sujat. 97. Kanakadhvaja 98. Kundashi 99. Viraj 100. Yuyutsu
(Apart from these 100 brothers, the Kauravas also had a sister… whose name was Dushala, Who was married to “Jayadratha”
About “Shri Mad-Bhagwat Geeta”-
Om. Who told whom? A.- Shri Krishna narrated it to Arjun.
ॐ गणपतये नमः When did you hear it? A: I heard it about 7,000 years ago.
Om. On which day did God recite Geeta? A.- On Sunday.
Om. Which date? A. Ekadashi
Om. Where did you hear? A.- In the battlefield of Kurukshetra.
Om. How long did it take to hear? A.- In about 45 minutes
Om. Why did you hear? A.- To teach duty to Arjun who had deviated from duty and to teach religious knowledge to the coming generations.
Om. How many chapters are there? A: 18 chapters in total
Om. How many verses are there? A. 700 verses
Om. What is mentioned in Geeta? A.- The paths of knowledge-devotion-karma yoga have been explained in detail, by following these paths a person definitely becomes entitled to the supreme position.
Om. Geeta except Arjun Who else heard it? A.- Dhritarashtra and Sanjay
Om. Who had received the sacred knowledge of Geeta before Arjun? A.- To Lord Suryadev
Om. Which religious texts include Geeta? A.- In Upanishads
Om. Geeta is a part of which epic? A.- Geeta is a part of Shanti-Parva, a chapter of Mahabharata.
Om. What is the other name of Gita? A. The Gita Upanishad
Om. What is the essence of Geeta? A.- Taking refuge in Lord Krishna
Om. Who has said how many verses in the Gita? A. Sri Krishna: Arjuna said: Dhritarashtra said: Sanjay Ne-
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