क्या है भारतीय संस्कृति के आधारभूत तथ्य?

buddha flower buddhism

भारतीय संस्कृति के आधारभूत तथ्य ;-

1-क्या है दो पक्ष?-

1-कृष्ण पक्ष , 2-शुक्ल पक्ष

2-क्या है पञ्च ऋण ?-

1-ब्रह्म ऋण , 2-देवऋण 3-पितृऋण, 4-अतिथि / मानव ऋण –

5-भूतऋण

3-क्या है चार युग? –

1-सतयुग , 2-त्रेतायुग ,

3-द्वापरयुग , 4-कलियुग❗

4-क्या है चार धाम ?-

1-द्वारिका , 2-बद्रीनाथ ,

3-जगन्नाथपुरी , 4-रामेश्वरमधाम❗

5-क्या है चार पीठ ?-

1-शारदा पीठ (द्वारिका)

2-ज्योतिष पीठ (जोशीमठ बद्रिधाम)

3-गोवर्धन पीठ (जगन्नाथपुरी),

4-शृंगेरीपीठ❗

6-चार वेद के नाम;-

1-ऋग्वेद , 2-अथर्वेद , 3-यजुर्वेद , 4-सामवेद!

7-चार आश्रम ;-

1-ब्रह्मचर्य , 2-गृहस्थ , 3-वानप्रस्थ , 4-संन्यास

8-चार अंतःकरण ;-

1-मन , 2-बुद्धि , 3-चित्त 4-अहंकार❗

9-पञ्च गव्य ;-

1-गाय का घी , 2-दूध ,

3-दही , 4-गोमूत्र , 5-गोबर❗

10-पञ्च देव ;-

1-गणेश , 2-विष्णु , 3-शिव , 4-देवी , 5-सूर्य!

11-पंच तत्त्व ;-

1-पृथ्वी , 2-जल , 3-अग्नि , 4-वायु ,5-आकाश❗

12-क्या है छह दर्शन के नाम ? –

1-वैशेषिक , 2-न्याय , 3-सांख्य , 4-योग , 5-पूर्वमीमांसा , 6-उत्तर मीमांसा

13-क्या है सप्त ऋषि के नाम ?-

1-विश्वामित्र , 2-जमदाग्नि , 3-भरद्वाज , 4-गौतम , 5-अत्री , 6-वशिष्ठ 7- कश्यप❗

14-सप्तपुरी के नाम; –

1-अयोध्यापुरी

2-मथुरापुरी

3-मायापुरी (हरिद्वार)

4-काशीपुरी

5-कांचीपुरी

6-अवंतिकापुरी

7-द्वारिकापुरी

15-आठ योग ;-

1-यम , -नियम , 3-आसन 4-प्राणायाम , 5-प्रत्याहार 6-धारणा , 7-ध्यान, 8-समाधि

16-आठ लक्ष्मी के नाम; –

1- धनलक्ष्मी या वैभवलक्ष्मी 2- गजलक्ष्मी 3 अधिलक्ष्मी 4- विजयालक्ष्मी 5- ऐश्वर्य लक्ष्मी 6- वीर लक्ष्मी 7- धान्य लक्ष्मी

8- संतान लक्ष्मी

17-नव दुर्गा के नाम; –

1-शैल पुत्री 2-ब्रह्मचारिणी , 3-चंद्रघंटा , 4-कुष्मांडा , 5-स्कंदमाता , 6-कात्यायिनी , 7-कालरात्रि, 8-महागौरी 9-सिद्धिदात्री

18-दस दिशाएं ;-

1-पूर्व , 2-पश्चिम 3-उत्तर , 4-दक्षिण , 5-ईशान , 6-नैऋत्य , 7-वायव्य , 8-अग्नि 9-आकाश, 10-पाताल

19-मुख्य 10 अवतार ;-

1-मत्स्य , 2-कश्यप , 3-वराह, 4-नरसिंह , 5-वामन , 6-परशुराम , 7-श्री राम , 8-श्रीकृष्ण 9-बुद्ध 10-कल्कि

20-बारह मास ;-

1-चैत्र , 2-वैशाख , 3-ज्येष्ठ 4-अषाढ , 5-श्रावण , 6-भाद्रपद , 7-अश्विन , 8-कार्तिक , 9-मार्गशीर्ष , 10-पौष , 11-माघ , 12-फागुन❗

21-बारह राशी ;-

1-मेष , 2-वृषभ , 3-मिथुन 4-कर्क , 5-सिंह , 6-कन्या , 7-तुला , 8-वृश्चिक , 9-धनु , 10-मकर , 11-कुंभ , 12-कन्या❗

22-बारह ज्योतिर्लिंग के नाम ;-

1-सोमनाथ 2-मल्लिकार्जुन , 3-महाकाल , 4-ओमकारेश्वर , 5-बैजनाथ , 6-रामेश्वरम , 7-विश्वनाथ , 8-त्र्यंबकेश्वर , 9-केदारनाथ , 10-घुष्नेश्वर, 11-भीमाशंकर , 12-नागेश्वर!

23-पंद्रह तिथियाँ ;-

1-प्रतिपदा , 2-द्वितीय , 3-तृतीय , 4-चतुर्थी , 5-पंचमी , -षष्ठी , 7-सप्तमी , 8-अष्टमी , 9-नवमी , 10-दशमी , 11-एकादशी 12-द्वादशी , 13-त्रयोदशी , 14-चतुर्दशी , 15-पूर्णिमा,

अमावास्या❗

24-स्मृतियो के नाम ;-

1.मनु स्मृति,

2.व्यास स्मृति,

3.लघु विष्णु स्मृति,

4.आपस्तम्ब स्मृति,

5.वसिष्ठ स्मृति,

6.पाराशर स्मृति,

7.वृहत्पाराशर स्मृति,

8.अत्रि स्मृति,

9.लघुशंख स्मृति,

10.विश्वामित्र स्मृति,

11.यम स्मृति,

12.लघु स्मृति,

13.बृहद्यम स्मृति,

14.लघुशातातप स्मृति,

15.वृद्ध शातातप स्मृति,

16.शातातप स्मृति,

17.वृद्ध गौतम स्मृति,

18.बृहस्पति स्मृति,

19.याज्ञवलक्य स्मृति

20.बृहद्योगि याज्ञवल्क्य स्मृति

25-18 मुख्य स्मृतिकार के नाम ;-

मनु, बृहस्पति, दक्ष, गौतम, यम, अंगिरा, योगीश्वर, प्रचेता, शातातप, पराशर, संवर्त, उशना, शंख, लिखित, अत्रि, विष्णु, आपस्तम्ब, हारीत।

26-जीव की दुर्गति का कारण ;-

1-आध्‍यात्मिक, 2-अधिदैविक 3-अधिभौतिक पाप।

27-सांख्‍य दर्शन के अनुसार मूल तत्‍व ;-

1-प्रकृति 2- महत्अं 3-हकार, 4-11 इन्द्रियां, 5- पांच तन्मात्राएं, 6-पांच महाभूत 7- पुरूष।

27-1-प्रकृति :-

प्रकृति बना है प्र और कृति के संयोग से। प्र का अर्थ है प्रकर्ष और कृति का अर्थ है निर्माण करना। जिन मूल तत्वों से मिलकर बाकी सब कुछ बनता है, उसे प्रकृति कहते हैं।

सत्व, रजः, तमः – इन तीन गुणों की साम्यावस्था को प्रकृति कहा जाता है। इस अवस्था में प्रकृति निष्क्रिय रहती है। इन तीनों गुणों में जब कभी कमी आती है या बढोत्तरी होती है, तब उस विषमता से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। उसमें विकृति आती है। प्रकृति की विकृति से ही जीव और जगत की सृष्टि होती है।

27-2-महतः

प्रकृति का प्रथम परिणाम महत्तत्व या बुद्धितत्व है।

27-3- अहंकार:

महत्तव की विकृति अहंकारतत्व है।

27-4-ग्‍यारह इन्द्रियां:

अंहकार तत्‍व के परिणाम हैं इन्द्रिय — विषय।

इन्द्रियां दो प्रकार की है –

बाह्य इन्द्रियां – दो प्रकार की होती है –

27-4a-ज्ञानेन्‍द्रियां

1- चक्षु

2- कर्ण

3- नासिका

4- जिह्वा

5- त्‍वक्

27-4b-(आ) कर्मेन्द्रियां

1- वाक्

2- पाणि

3- पाद

4- पायु

5- उपस्‍थ

( 11-) अन्‍तरेन्द्रिय – मन

27-(5) पंच तन्मात्राएं

पांच तन्मात्राएं अहंकारतत्‍व का एक परिणाम है। पांच तन्मात्राएं है —

1- रूप

2- रस

3- गन्‍ध

4- स्‍पर्श और

5- शब्‍द

27-(6) पंच महाभूत

उपर्युक्‍त वर्णित पंचतमात्रओं से ही पांच स्‍थूल त‍त्‍वों की उत्‍पति होती है। ये हैं –

1- क्षिति,

2- अप् (जल)

3- तेज (पावक)

4- व्‍योम (गगन , आकाश )

5- मरूत् (समीर)

27-(7) पुरूष

सांख्‍य मत के अनुसार इन 25 तत्‍वों का सम्‍यक ज्ञान ही पुरूषार्थ है।

सांख्‍य मत में, जीव और जगत की सृष्टि में ईश्‍वर को प्रमाणरूप में नहीं माना जाता।

जगत के दो भाग हैं -पुरुष और प्रकृति।

पुरूष और प्रकृति के अविभक्‍त संयोग से सृष्टि की क्रिया निष्‍पन्‍न होती है।पुरूष चेतन है, प्रकृति जड़।पुरूष और प्रकृति दोनों ही अनादि है।

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क्या है पूर्णांक संख्या 108 का रहस्य?-

19 FACTS;-

1-हमारे धर्म में 108 की संख्या महत्वपूर्ण मानी गई है। ईश्वर नाम के जप, मंत्र जप, पूजा स्थल या आराध्य की परिक्रमा, दान इत्यादि में इस गणना को महत्व दिया जाता है। जपमाला में इसीलिए 108 मणियाँ या मनके होते हैं। उपनिषदों की संख्या भी 108 ही है। विशिष्ट धर्मगुरुओं के नाम के साथ इस संख्या को लिखने की परंपरा है। तंत्र में उल्लेखित देवी अनुष्ठान भी इतने ही हैं “ओ३म्” का जप करते समय १०८ प्रकार की विशेष भेदक ध्वनी तरंगे उत्पन्न होती है जो किसी भी प्रकार के शारीरिक व मानसिक घातक रोगों के कारण का समूल विनाश व शारीरिक व मानसिक विकास का मूल कारण है।

2-108 मणियाँ या मनके होते हैं। उपनिषदों की संख्या भी 108 ही है।

ब्रह्म के 9 व आदित्य के 12 इस प्रकार इनका गुणन 108 होता है।

जैन मतानुसार भी अक्ष माला में 108 दाने रखने का विधान है। यह विधान गुणों पर आधारित है।

3-सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेता है।जाग्रत अवस्था में शरीर की कुल 10 हजार 800 श्वसन की कल्पना की गई है अतः समाधि या जप के दौरान भी इतने ही आराध्य के स्मरण अपेक्षित हैं। यदि इतना करने में समर्थ नहीं तो अंतिम दो शून्य हटाकर न्यूनतम 108 जप करना ही चाहिए।

4-108 की संख्या परब्रह्म की प्रतीक मानी जाती है। 9 का अंक ब्रह्म का प्रतीक है। विष्णु व सूर्य की एकात्मकता मानी गई है अतः विष्णु सहित 12 सूर्य या आदित्य हैं। ब्रह्म के 9 व आदित्य के 12 इस प्रकार इनका गुणन 108 होता है। इसीलिए परब्रह्म की पर्याय इस संख्या को पवित्र माना जाता है।

5-मानव जीवन की 12 राशियाँ हैं। ये राशियाँ 9 ग्रहों से प्रभावित रहती हैं। इन दोनों संख्याओं का गुणन भी 108 होता है।

6-नभ में 27 नक्षत्र हैं। इनके 4-4 पाद या चरण होते हैं। 27 का 4 से गुणा 108 होता है। ज्योतिष में भी इनके गुणन अनुसार उत्पन्न 108 महादशाओं की चर्चा की गई है।

7-ऋग्वेद में ऋचाओं की संख्या 10 हजार 800 है। 2 शून्य हटाने पर 108 होती है।

8-शांडिल्य विद्यानुसार यज्ञ वेदी में 10 हजार 800 ईंटों की आवश्यकता मानी गई है। 2 शून्य कम कर यही संख्या शेष रहती है।

9-जैन मतानुसार भी अक्ष माला में 108 दाने रखने का विधान है। यह विधान गुणों पर आधारित है। अर्हन्त के 12, सिद्ध के 8, आचार्य के 36, उपाध्याय के 25 व साधु के 27 इस प्रकार पंच परमिष्ठ के कुल 108 गुण होते हैं।

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10-संस्कृत वर्णमाला में 13 स्वर, 33 व्यंजन और 4 आयोगवाह ऐसे कुल मिलाकर के 50 वर्ण हैं ।स्वर को ‘अच्’ और ब्यंजन को ‘हल्’ कहते हैं ।

अ→ 1… आ→ 2 … इ→ 3 … ई→ 4 … उ→ 5… ऊ→ 6.… ए→ 7 … ऐ→ 8 ओ→ 9……औ→ 10… अं→ 11 … अ:→ 1 2.. ऋॄ → 13.. लॄ → 14

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क→ 1 … ख→ 2 … ग→ 3 … घ→ 4 … ङ→ 5 … च→ 6… छ→ 7 … ज→ 8 …झ→ 9…ञ→ 10 … ट→ 11… ठ→ 12 … ड→ 13 …ढ→ 14 … ण→ 15… त→ 16 … थ→ 17 … द→ 18 … ध→ 19… न→ 20 … प→ 21 … फ→ 22 … ब→ 23 … भ→ 24 … म→ 25 … य→ 26 … र→ 27… ल→ 28… व→ 29 … श→ 30 … ष→ 31 … स→ 32 … ह→ 33 … क्ष→ 34… त्र→ 35… ज्ञ→ 36 … ड़ … ढ़ …

ब्रह्म ~–

ब्रह्म = ब+र+ह+म = 23+ 27+ 33+ 25=108

11- एक अद्भुत अनुपातिक रहस्य…पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी सूर्य के व्यास के 108 गुना है। इसी प्रकार पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी भी चंद्रमा के व्यास का 108 गुना है।अर्थात मन्त्र जप 108 से कम नहीं करना चाहिये।

12-एक वर्ष में सूर्य 21600 कलाएं बदलता है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छःमाह उत्तरायण में रहता है और छः माहदक्षिणायन में। अत: सूर्य छः माह की एक स्थितिमें108000 बार कलाएं बदलता है।

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21600 कलाएं बदलता है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छःमाह उत्तरायण में रहता है और छः माहदक्षिणायन में। अत: सूर्य छः माह की एक स्थिति में108000 बार कलाएं बदलता है।

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8- ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है।

इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 में राशियों की संख्या 12 से गुणा करें तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है।

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9-108 में तीन अंक हैं 1+०+ 8 इनमें एक “ 1” ईश्वर का प्रतीक है। शून्य

“0” प्रकृति को दर्शाता है।आठ “ 8” जीवात्मा को दर्शाता है क्योकि योग के अष्टांग नियमों से ही जीव प्रभु से मिल सकता है । जो व्यक्ति अष्टांग योग द्वारा प्रकृति के विरक्त हो कर ( मोह माया लोभ आदि से विरक्त होकर ) ईश्वर का साक्षात्कार कर लेता है उसे सिद्ध पुरुष कहते हैं।

9-1-जीव “ 8” को परमपिता परमात्मा से मिलने के लिए प्रकृति “0” का सहारा लेना पड़ता है। ईश्वर और जीव के बीच में प्रकृति है। आत्मा जब प्रकृति को शून्य समझता है तभी ईश्वर “ 1” का साक्षात्कार कर सकता है। प्रकृति “0” में क्षणिक सुख है और परमात्मा में अनंत और असीम। जब तक जीव प्रकृति “0” को जो कि जड़ है उसका त्याग नहीं करेगा , शून्य नही करेगा, मोह- माया को नहीं त्यागेगा, तब तक जीव “ 8” ईश्वर “ 1” से नहीं मिल पायेगा पूर्णता ( 1+ 8= 9) को नहीं प्राप्त कर पायेगा ।

9-2- 9 पूर्णता का सूचक है।1+0+8==9 यह 9 अंक राज राजेश्वरी का प्रिय है ।जिस प्रकार भगवती नित्य पूर्ण है यह अंक भी पूर्ण है।

10 -जैन मतानुसार;-

अरिहंत के गुण – 12

सिद्ध के गुण – 8

आचार्य के गुण – 36

उपाध्याय के गुण – 25

साधु के गुण – 27

कुल योग – 108

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11 – वैदिक विचार धारा में मनुस्मृति के अनुसार;-

अहंकार के गुण = 2

बुद्धि के गुण = 3

मन के गुण = 4

आकाश के गुण = 5

वायु के गुण = 6

अग्नि के गुण = 7

जल के गुण = 8

पॄथ्वी के गुण = 9

2+ 3+ 4+ 5+ 6+ 7+ 8+ 9 =अत: प्रकॄति के कुल गुण = 44

जीव के गुण = 10

इस प्रकार संख्या का योग = 54

अत: सृष्टि उत्पत्ति की संख्या = 54

एवं सृष्टि प्रलय की संख्या = 54

दोंनों संख्याओं का योग = 108

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12-संस्कृत भाषा में 54 वर्णमाला है। इनमें एक स्त्री और दूसरा पुरुष रूप है। दोनों रूपों के अक्षरों की संख्या जुड़कर 108 हो जाती है।

13- पवित्र त्रेतवाद ( Holy Trinity );-

संख्या “1” एक ईश्वर का संकेत है।संख्या “0” जड़ प्रकृति का संकेत है।

संख्या “8” बहुआयामी जीवात्मा का संकेत है।यह तीन अनादि परम वैदिक सत्य हैं ।यही पवित्र त्रेतवाद ( Holy Trinity ) है ]

14-संख्या “ 2” से “ 9” तक एक बात सत्य है कि इन्हीं आठ अंकों में “0” रूपी स्थान पर जीवन है। इसलिये यदि “0” न हो तो कोई क्रम गणना

आदि नहीं हो सकती।“ 1” की चेतना से “ 8” का खेल । “ 8” यानी “ 2” से “ 9” । यह “ 8” है …मन के “ 8” वर्ग या भाव ।

ये आठ भाव ये हैं – 1- काम ( विभिन्न इच्छायें / वासनायें) 2-क्रोध 3-. लोभ 4-मोह 5-मद ( घमण्ड ) 6-मत्सर ( जलन ) 7-भय 8-आलस्य

एक सामान्य आत्मा से महानात्मा तक की यात्रा का प्रतीक है -108.. इन आठ भावों में जीवन का ये खेल चल रहा है ।

15-समुद्र मंथन के समय जब क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकि नाग को देवता और असुरों ने अपनी-अपनी ओर खींचा था तब उसमे 54 देव और 54 राक्षस, कुल मिलाकर 108 लोग ही शामिल थे।

16-दक्षिण भारत की शाखा के सिद्धांत के अनुसार मानव शरीर में 108 प्रकार के प्रेशर प्वॉइंट्स होते हैं। जहां चेतना और देह मिलकर जीवन का सृजन करते हैं।108 डिग्री फ़ारेनहाइट शरीर का आंतरिक तापमान होता है इससे अधिक गर्म होने के कारण मानव अंग विफल हो सकते हैं।कहते हैं मनुष्य में कुल 108 भावनाएं होती हैं जिसमें से 36 भावनाओं का सम्बन्ध हमारे अतीत से, 36 का सम्बन्ध वर्तमान से और 36 का सम्बन्ध भविष्य से होता है। वहीं दूसरी ओर बौद्ध धर्म में 108 प्रकार के गुण विकसित करने और 108 प्रकार के अवगुणों से बचने के लिए भी मनुष्य को कहा जाता है। 17-भगवान शंकर द्वारा किया जाने वाला अलौकिक नृत्य होता है तांडव। इस नृत्य में कुल 108 मुद्राएं होती हैं। इतना ही नहीं महादेव के पास कुल 108 गण भी हैं, यही कारण है कि लिंगायत 108 मोतियों वाली माला का उपयोग करते हैं।

18- गंगा नदी जिसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है, वह 12 डिग्री के देशांतर और 9 डिग्री के अक्षांश पर फैली हुई है। अगर इन दोनों अंकों को गुना किया जाए तो 108 अंक मिलता है।

19-जापान के बौद्ध मंदिरों में, घंटों को नए साल का स्वागत करने और पुराने को समाप्त करने के लिए 108 बार बजाया जाता है।यह 108 सांसारिक प्रलोभन से संबंधित है। मनुष्य का लक्ष्य इसे हराकर मोक्ष प्राप्त करना होता है। बौद्ध धर्म की कई शाखाओं में यह स्वीकार किया गया है कि व्यक्ति के भीतर 108 प्रकार की भावनाएं जन्म लेती हैं। भंते गुणरत्न के अनुसार यह संख्या, सूंघने, सुनने, कहने, खाने, प्रेम, आक्रोश, दर्द, खुशी आदि को मिलाकर बनाई गई है।बोधिसत्व महामती ने भी भगवान् बुद्ध से 108 सवाल पूछे थे। इसके अलावा बौद्ध धर्म 108 निषेधों को भी बताता है। कई बौद्ध मंदिरों में सीढ़ियां भी 108 रखी गई हैं।

…..SHIVOHAM….



Basic facts of Indian culture;-

1-What is two sides?-

1-Krishna Paksha, 2-Shukla Paksha

2- What is Panch loan?

1-Brahma loan, 2-Dev loan, 3-Pitru loan, 4-Guest / human loan –

5- Past debts

3- What are the four ages? ,

1-Satyug, 2-Tretayug,

3-Dwaparayuga, 4-Kaliyuga

4-What is Char Dham?-

1-Dwarika, 2-Badrinath,

3-Jagannathpuri, 4-Rameshwaramdham.

5- What is Char Peeth?

1-Sharada Peeth (Dwarka)

2-Jyotish Peeth (Joshimath Badridham)

3-Goverdhan Peeth (Jagannathpuri),

4-Sringeripeeth❗

6-The names of the four Vedas;-

1-Rigveda , 2-Atharveda , 3-Yajurveda , 4-Samaveda!

7-four ashrams;-

1-Brahmacharya, 2-Grihastha, 3-Vanprastha, 4-Sanyas

8-Four conscience ;-

1-mind, 2-intellect, 3-mind 4-ego

9-Five Gavya ;-

1-Cow’s Ghee, 2-Milk,

3-Curd, 4-Cow urine, 5-Dung.

10-Panch Dev;-

1-Ganesh, 2-Vishnu, 3-Shiva, 4-Devi, 5-Surya!

11- Five elements;-

1-Earth , 2-Water , 3-Fire , 4-Air ,5-Sky❗

12- What are the names of the six visions? ,

1-Vaisheshika , 2-Nyaya , 3-Sankhya , 4-Yoga , 5-Purvamimansa , 6-Uttara Mimansa

13-What are the names of the seven sages?-

1-Vishwamitra, 2-Jamdagni, 3-Bhardwaj, 4-Gautam, 5-Atri, 6-Vashishtha 7-Kashyap.

14-Names of Saptapuri; ,

1-Ayodhyapuri

2- Mathurapuri

3-Mayapuri (Haridwar)

4-Kashipuri

5-Kanchipuri

6-Avantikapuri

7-Dwarikapuri

15-Eight Yoga;-

1-Yama , -Niyama , 3-Asana 4-Pranayama , 5-Pratyahara 6-Dharana , 7-Dhyana, 8-Samadhi

16-Eight names of Lakshmi; ,

1- Dhanalakshmi or Vaibhavalakshmi 2- Gajalakshmi 3 Adhilakshmi 4- Vijayalakshmi 5- Aishwarya Lakshmi 6- Veer Lakshmi 7- Dhanya Lakshmi

8- Santan Lakshmi

17-Nava Durga’s name; ,

1-Shaila Putri 2-Brahmacharini , 3-Chandraghanta , 4-Kushmanda , 5-Skandamata , 6-Katyayani , 7-Kalaratri, 8-Mahagauri 9-Siddhidatri

18-Ten directions;-

1-East, 2-West, 3-North, 4-South, 5-Northeast, 6-Southwest, 7-Northwest, 8-Agni 9-Akash, 10-Patal

19- Main 10 incarnations;-

1-Matsya , 2-Kashyapa , 3-Varaha, 4-Narasimha , 5-Vamana , 6-Parashuram , 7-Sri Rama , 8-Sri Krishna 9-Buddha 10-Kalki

20-Twelve months;-

1-Chaitra, 2-Vaisakh, 3-Jyeshtha, 4-Ashadha, 5-Shravan, 6-Bhadrapada, 7-Ashwin, 8-Kartik, 9-Margashirsha, 10-Paush, 11-Magha, 12-Fagun.

21-Twelve zodiac signs;-

1-Aries, 2-Taurus, 3-Gemini, 4-Cancer, 5-Leo, 6-Virgo, 7-Libra, 8-Scorpio, 9-Sagittarius, 10-Capricorn, 11-Aquarius, 12-Virgo.

22-The names of twelve Jyotirlingas;-

1-Somnath 2-Mallikarjuna, 3-Mahakal, 4-Omkareshwar, 5-Baijnath, 6-Rameshwaram, 7-Vishwanath, 8-Trimbakeshwar, 9-Kedarnath, 10-Ghushneshwar, 11-Bhimashankar, 12-Nageshwar!

23- Fifteen dates;-

1-Pratipada , 2-Dwitiya , 3-Third , 4-Chaturthi , 5-Panchami , -Shashti , 7-Saptami , 8-Ashtami , 9-Navami , 10-Dashami , 11-Ekadashi 12-Dwadashi , 13-Triodashi , 14-Chaturdashi , 15-Purnima,

Amavasya❗

24- Names of the memories;-

1. Manu Smriti,

2. Vyas Smriti,

3.Laghu Vishnu Smriti,

4.Apasthamba Smriti,

5. Vasishtha Smriti,

6. Parashar Smriti,

7. Vrihatparashara Smriti,

8. Atri Smriti,

9. Short memory,

10. Vishwamitra Smriti,

11. Yama Smriti,

12. Short memory,

13. Large memory,

14. Micro-heated memory,

15.Vrdha Shatatapa Smriti,

16. Shatatapa Smriti,

17. Old Gautam Smriti,

18. Jupiter memory,

19. Yajnavalkya Smriti

20.Brihadyogi Yajnavalkya Smriti

25-18 Names of the chief memorialists ;-

Manu, Brihaspati, Daksha, Gautama, Yama, Angira, Yogishwara, Pracheta, Shatatapa, Parasara, Samvarta, Usana, Shankha, Likhita, Atri, Vishnu, Apasthamba, Harita.

26-The reason for the misery of the creature;-

1-spiritual, 2-supernatural 3-supernatural sin.

27-Basic elements according to Sankhya philosophy;-

1- Nature 2- Importance 3-Hakar, 4-11 Indriyas, 5- Five Tanmatras, 6- Five Mahabhutas 7- Purush.

27-1-Nature :-

Prakriti is made by the combination of Pra and Kriti. Pra means to shine and Kriti means to create. The basic elements from which everything else is made is called nature.

Sattva, Rajah, Tamah – the equilibrium of these three qualities is called nature. In this state nature remains inactive. Whenever there is a decrease or increase in these three qualities, then the balance of nature deteriorates due to that disparity. Distortion comes in that. The creature and the world are created only by the perversion of nature.

27-2-Mahat

The first result of nature is Mahat-tatva or Buddhit-tatva.

27-3- Ego:

The perversion of importance is egoism.

27-4-eleven senses:

The results of the element of ego are the sense objects.

There are two types of senses –

External senses – are of two types –

27-4a-The senses of perception

1- eye

2- Karna

3- nostrils

4- Tongue

5- Skin

27-4b-(a) Senses of action

1- speech

2- Water

3- Foot

4- Payu

5- Appearance

(11-) Inner sense – mind

27-(5) Five Tanmatras

The five tanmatras are a result of the ego principle. There are five Tanmatras –

1- Appearance

2- juice

3- Smell

4- touch and

5- word

27-(6) Panch Mahabhuta

The five gross elements originate from the above mentioned Panchatmatras. These are –

1- Damage,

2- Up (Water)

3- Tej (Pavak)

4- Vyom (sky, sky)

5- Marut (Samir)

27-(7) male

According to Sankhya opinion, proper knowledge of these 25 elements is the effort.

In Sankhya school, God is not considered to be the authority in the creation of the soul and the universe.

There are two parts of the world – Purusha and Prakriti.

The action of creation is accomplished by the inseparable combination of Purusha and Prakriti. Purusha is consciousness, Prakriti is inert. Both Purusha and Prakriti are eternal.

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What is the secret of integer number 108?

19 FACTS;-

1-The number 108 is considered important in our religion. This calculation is given importance in chanting the name of God, chanting mantras, circumambulating the place of worship or deity, charity etc. That’s why there are 108 gems or beads in Japamala. The number of Upanishads is also 108 only. It is a tradition to write this number along with the names of specific religious leaders. Goddess rituals mentioned in Tantra are also similar while chanting “Om” 108 types of special penetrating sound waves are generated which is the root cause of physical and mental development and complete destruction of any kind of physical and mental fatal diseases. .

There are 2-108 gems or beads. The number of Upanishads is also 108 only.

9 of Brahma and 12 of Aditya thus their multiplication is

According to Jain opinion also, there is a law to keep 108 beads in Aksha Mala. This legislation is based on virtues.

3-Generally, a person breathes 21600 times in 24 hours. Total 10 thousand 800 breaths of the body have been imagined in the waking state, so during samadhi or chanting, remembrance of the same number of adorable is expected. If you are not able to do this much, then at least 108 chants should be done by removing the last two zeros.

The numbers 4-108 are considered to be the symbol of Parabrahma. The number 9 is the symbol of Brahman. Unity of Vishnu and Surya has been considered, hence there are 12 Suryas or Adityas including Vishnu. Brahma’s 9 and Aditya’s 12, thus their multiplication is 108. That is why this number synonymous with Parabrahma is considered sacred.

5-There are 12 zodiac signs of human life. These zodiac signs are affected by 9 planets. The multiplication of these two numbers is also 108.

6-There are 27 constellations in the sky. They have 4-4 feet or steps. 27 multiplied by 4 is 108. In astrology also, 108 Mahadashas have been discussed according to their multiplication.

7-The number of Richas in Rigveda is 10 thousand 800. Removing 2 zeros is 108.

8-According to Shandilya Vidya, the need of 10 thousand 800 bricks has been considered in the sacrificial altar. The same number remains after subtracting 2 zeros.

9-According to Jain opinion, there is a law to keep 108 grains in Aksh Mala. This legislation is based on virtues. Arhant has 12, Siddha has 8, Acharya has 36, Upadhyay has 25 and Sadhu has 27.

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10-In the Sanskrit alphabet, there are 13 vowels, 33 consonants and 4 ayogavahs. There are 50 letters in total. Vowels are called ‘Ach’ and consonants are called ‘Hal’.

A→ 1… A→ 2 … E→ 3 … E→ 4 … U→ 5… O→ 6.… A→ 7 … A→ 8 O→ 9……A→ 10… An→ 11 … A:→ 1 2 .. ర → 13.. ర → 14

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a→ 1 … b→ 2 … c→ 3 … d→ 4 … e→ 5 … f→ 6… g→ 7 … h→ 8 …z→ 9…j→ 10 … t→ 11… th→ 12 … d→ 13 …N→ 14 … N→ 15… T→ 16 … Th→ 17 … D→ 18 … Th→ 19… N→ 20 … P→ 21 … F→ 22 … B→ 23 … B→ 24 … M→ 25 … Y→ 26 … R→ 27… L→ 28… W→ 29 … Sh→ 30 … S→ 31 … S→ 32 … H→ 33 … K→ 34… T→ 35… G→ 36 … D … D …

Brahma ~-

Brahma = B + R + H + M = 23 + 27 + 33 + 25 = 108

11- A wonderful proportional mystery… The distance between the Earth and the Sun is 108 times the diameter of the Sun. Similarly, the distance between the Earth and the Moon is also 108 times the diameter of the Moon. That is, mantra chanting should not be less than 108 times.

12-The sun changes 21600 arts in a year. The Sun also changes its position twice a year. Six months stays in Uttarayan and six months in Dakshinayan. Therefore, the Sun changes its phases 108000 times in a period of six months.

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21600 varies the arts. The Sun also changes its position twice a year. Six months stays in Uttarayan and six months in Dakshinayan. Therefore, the Sun changes its phases 108000 times in a period of six months.

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8- The universe is divided into 12 parts.

The names of these 12 parts are Aries, Taurus, Gemini, Cancer, Leo, Virgo, Libra, Scorpio, Sagittarius, Capricorn, Aquarius and Pisces. Nine planets Sun, Moon, Mars, Mercury, Guru, Venus, Saturn, Rahu and Ketu move in these 12 zodiac signs. Therefore, multiplying the number of zodiac signs in the number of planets by 12, then the number is 108.

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There are three numbers in 9-108 1+0+8 out of which one “1” is the symbol of God. Zero

“0” represents nature. Eight “8” represents the soul because the soul can meet the Lord only by the Ashtanga rules of yoga. The person who, being detached from nature (being detached from attachment, illusion, greed etc.) through Ashtanga Yoga, realizes God is called a perfect man.

9-1-Jiva “8” has to take support of Prakriti “0” to meet the Supreme Father Supreme Soul. Prakriti is between God and the soul. When the soul considers Prakriti as zero then only God can interview “1”. There is momentary happiness in nature “0” and infinite and infinite in God. As long as the soul does not renounce Prakriti “0” which is inert, does not make it zero, does not renounce illusion, then the soul “8” will not be able to meet God “1” in perfection (1+ 8= 9). Will not be able to get

9-2- 9 is the sign of completeness. 1+0+8==9 This number 9 is dear to Raj Rajeshwari. As Bhagwati is eternally complete, this number is also complete.

10-According to Jain opinion;-

Virtues of Arihant – 12

Properties of Siddha –

Acharya’s qualities – 36

Qualities of Upadhyaya – 25

Virtues of a Sage – 27

grand total – 108

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11 – According to Manusmriti in Vedic thought stream;-

Qualities of Ego = 2

Qualities of intelligence =

qualities of mind = 4

qualities of sky = 5

Properties of air = 6

Properties of fire =

Properties of water = 8

qualities of earth = 9

2+ 3+ 4+ 5+ 6+ 7+ 8+ 9 = So total qualities of nature = 44

Attributes of the creature = 10

Thus sum of number = 54

Hence number of creation = 54

And the number of creation holocaust = 54

Sum of both the numbers = 108

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There are 54 alphabets in Sanskrit language. One of them is female and the other is male. The number of letters in both the forms add up to 108.

13- Holy Trinity (Holy Trinity);-

The number “1” is the sign of a god. The number “0” is the sign of inert nature.

The number “8” signifies the multidimensional soul. These are the three eternal ultimate Vedic truths. This is the Holy Trinity.]

14- From the number “2” to “9”, one thing is true that in these eight numbers there is life in place of “0”. so if “0” is not there then no sequence count

etc. cannot happen. The game of “8” with the consciousness of “1”. “8” means “2” to “9”. This is the “8”…the “8” sections of the mind.

These eight emotions are – 1- Kama ( various desires / passions) 2- Anger 3-. Greed 4-Delusion 5-Madness ( Pride ) 6-Envy ( Jealousy ) 7-Fear 8-Laziness

The journey from an ordinary soul to a great soul is symbolized – 108.. This game of life is going on in these eight expressions.

15- At the time of Samudra Manthan, when Vasuki Nag tied on Mandar mountain on Kshir Sagar was pulled by gods and asuras towards themselves, then 54 gods and 54 demons, in total 108 people were included in it.

16-According to the theory of branch of South India, there are 108 types of pressure points in the human body. Where consciousness and body together create life. 108 degrees Fahrenheit is the internal temperature of the body, due to overheating, human organs can fail. It is said that there are total 108 emotions in humans, out of which 36 emotions are related to our past. From, 36 is related to the present and 36 is related to the future. On the other hand, in Buddhism, man is also told to develop 108 types of virtues and to avoid 108 types of demerits. 17-Tandav is a supernatural dance performed by Lord Shankar. There are a total of 108 postures in this dance. Not only this, Mahadev also has a total of 108 ganas, which is why Lingayats use a rosary with 108 beads.

18- The river Ganges which is considered very sacred in Hinduism, is spread over a longitude of 12 degrees and a latitude of 9 degrees. If these two numbers are multiplied, then we get 108 points.

19- In Buddhist temples of Japan, bells are rung 108 times to welcome the new year and end the old one. This is related to 108 worldly temptations. Man’s goal is to defeat it and attain salvation. It is accepted in many branches of Buddhism that there are 108 types of emotions born within a person. According to Bhante Gunaratna, this number is formed by combining smell, hearing, saying, eating, love, anger, pain, happiness etc. Bodhisattva Mahamati also asked 108 questions to Lord Buddha. Apart from this, Buddhism also tells 108 prohibitions. There are also 108 stairs in many Buddhist temples.

…..Shivoham….

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