बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते हैं कि हमें अपने जीवन में समस्त कार्यों को एक निश्चित समय पर ही करना चाहिए.
घड़ी को बड़े ही ध्यान से देखिये, घड़ी भी हमें कुछ ज्ञान देती है. यदि देखा जाए तो घड़ी में लगी हुई सुईयों की वजह से ही घड़ी की कीमत होती है. यदि सुईयां न हो तो कोई भी घड़ी समय नहीं बता पाएगी.
हम यह भी देखते हैं कि कोई सुई दिन भर में एक चक्कर लगाती है तो कोई सुई एक घण्टे में या एक मिनट में ही एक चक्कर पूरा कर देती है. फ़िर भी ये सुईयां ही घड़ी को समय के साथ जोड़े रखती है.
हम इन्सान भी घड़ी की इन सुइयों की तरह ही है, जो जीवन में अपने रिश्तों को बनाए रखते हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई तेज है या कोई धीमा. मायने ये रखता है कि हम सभी आपस में जुड़े रहे. आजकल वैसे भी हम इंसान जितना आँनलाइन होते जा रहे है हमारी इंसानियत उतनी ही आँफलाइन होती जा रही है.
हम सब बड़े ही अजीब हैं, दूसरों से उम्मीदे लगा कर रखते हैं. जब ये उम्मीदें टूटने लगती हैं, तो हम परेशान होने लगते हैं और अपनी प्रत्येक परेशानी के लिए ईश्वर को दोषी ठहरा देते हैं. किसी शायर ने क्या शानदार लाइनें कही हैं “कहती हैं मुझे जिंदगी, कि मैं आदतें बदल लूं. बहुत चला मैं लोगों के पीछे, अब थोड़ा खुद के साथ चल लूं”.