जीवन के दो पहलु

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मानव जीवन के दो पहलु  है और नहीं। व्यक्ति है में जीवन जीता है वह सकरात्मक सोच और दृढ निश्चय का धनी है। सकरात्मक सोच कभी पीछे हटने नहीं देती है। वह हर परिस्थिति का हसं कर मुकाबला करता है। हर परिस्थिति जीवन की कला बन जाती है वह जानता है कि जीवन इसी का नाम है। जो हंसते हुए जीवन जीता है उसी के ह्दय मे भक्ती जाग्रत होती है। बाहरी संसार का व्यवहार और अन्दरूनी भगवान का  सिमरण  मनन एक साथ चलता है। वह जानता है जो भी कार्य मै करता हूँ वह मै नहीं करूंगा तब अन्य मेरे से भी अच्छा करने वाला है। वह संघर्ष और कठिनाई मे सामंजस्य बैठाकर जीवन को सरल बनाता है। वह हर परिस्थिति को गंभीरता पुरवक सोचता है। वह अपने कार्य कर्म को अपने जीवन की पुंजी मानता है कभी घबराता नहीं क्योंकि रामनाम की पुंजी हर कार्य को सरल बनाती है। भगवान से यह भी नहीं कहता है कि हे भगवान मेरे काज संवारो,क्योंकि भगवान के विश्वास से परिपूर्ण है। है मे परम तत्व परमात्मा समाए हुए हैं।हमे हैं  के साथ जीवन जीना है नहीं के साथ जीवन नहीं जीना है। जय श्री राम अनीता गर्ग



Human life has two sides and no. The person lives in life, he is rich in positive thinking and determination. Positive thinking never lets you hold back. He faces every situation with a smile. Every circumstance becomes an art of life, he knows that life is the name of it. Devotion awakens in the heart of the one who lives life laughing. The behavior of the outer world and the contemplation of the inner God go together. He knows that whatever work I do, that I will not do, then others are going to do better than me. He simplifies life by balancing struggle and difficulty. He takes every situation seriously. He considers his work as the capital of his life, never panics because the capital of Ramnaam makes every task easy. It does not even say to God that O God, take care of my kaj, because God is full of faith. The Supreme Tattva, the Supreme Soul, is contained in the Hai. Jai Shri Ram Anita Garg

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