कई बार मन को समझाती हूं। नैन बन्द करके बैठ जाती हूं। और सोचती हूँ देख अब तेरी शरीर की मृत्यु हो गई है देख अब तुझे कुछ दिखाई दे रहा है अन्तर्मन से अवाज आती है नहीं कुछ दिखाई नहीं देता है। ये शरीर ये घर ये धन दौलत तेरी नहीं है तु कुछ भी नहीं करती है सबकुछ भगवान करते हैं ।ये घर जिसे हम अपना समझते हैं इस मे कितने ही आए और कितने ही और आएगे फिर हाथ को देखती ऊंगली हिलाती ऊंगली से राम धुन निकल रही है। फिर सोचती देख जब तक प्राण नाथ प्यारे अन्दर बैठे हैं तब तक यह ऊंगली हिलती है जिस दिन प्राण निकल जाएगे तब यह नश्ववर शरीर तो ऐसे ही होगा किरया थम जाएगी क्या ऊगली हिलेगी नहीं हिलेगी। जब तक प्राण हैं तब तक तु प्राण नाथ प्यारे की बन जा आत्म चिन्तन कर ले ।इस जगत के और काया के अधिन नहीं हो। जय श्री राम अनीता गर्ग
I explain to the mind many times. I sit down with my naan closed. And I think, now your body has died, see now you can see something, there is a voice from the inner soul, nothing is not visible. This body, this house, this wealth and wealth is not yours, you do nothing, God does everything. How many people come to this house, which we consider ours, and how many more will come, then looking at the hand, the ram tune is coming out of the finger shaking the finger. Is. Then thinking seeing that as long as Pran Nath beloved is sitting inside, then this finger moves, on the day when the life will leave, then this mortal body will be like this, will the work stop, will the finger not move. As long as there is life, you should become the soul of your beloved and meditate on yourself. Do not be under any other body of this world. Jai Shri Ram Anita Garg