अपने आप को समझना

मैं जितने साल जी चुका हूँ, उससे अब कम साल मुझे जीना है। यह समझ आने के बाद मुझमें यह परिवर्तन आया है :

१किसी प्रियजन की विदाई से अब मैं रोना छोड़ चुका हूँ क्योंकि आज नहीं तो कल मेरी बारी है।

२उसी प्रकार,अगर मेरी विदाई अचानक हो जाती है, तो मेरे बाद लोगों का क्या होगा, यह सोचना भी छोड़ दिया है क्योंकि मेरे जाने के बाद कोई भूखा नहीं रहेगा और मेरी संपत्ति को कोई छोड़ने या दान करने की ज़रूरत नहीं है।

३ सामने वाले व्यक्ति के पैसे, पावर और पोजीशन से अब मैं डरता नहीं हूँ।

४खुद के लिए सबसे अधिक समय निकालता हूँ। मान लिया है कि दुनिया मेरे कंधों पर टिकी नहीं है। मेरे बिना कुछ रुकने वाला नहीं है।

५ छोटे व्यापारियों और फेरीवालों के साथ मोल-भाव करना बंद कर दिया है। कभी-कभी जानता हूँ कि मैं ठगा जा रहा हूँ, फिर भी हँसते-मुस्कुराते चला जाता हूँ।

६कबाड़ उठाने वालों को फटी या खाली तेल की डिब्बी वैसे ही दे देता हूँ, पच्चीस-पचास रुपये खर्च करता हूँl जब उनके चेहरे पर लाखों मिलने की खुशी देखता हूँ तो खुश हो जाता हूँ।

७सड़क पर व्यापार करने वालों से कभी-कभी बेकार की चीज़ भी खरीद लेता हूँ।

८बुजुर्गों और बच्चों की एक ही बात कितनी बार सुन लेता हूँ। कहने की आदत छोड़ दी है कि उन्होंने यह बात कई बार कही है।

९ गलत व्यक्ति के साथ बहस करने की बजाय मानसिक शांति बनाए रखना पसंद करता हूँ।

१० लोगों के अच्छे काम या विचारों की खुले दिल से प्रशंसा करता हूँ। ऐसा करने से मिलने वाले आनंद का मजा लेता हूँ।

११ब्रांडेड कपड़ों, मोबाइल या अन्य किसी ब्रांडेड चीज़ से व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना छोड़ दिया है। व्यक्तित्व विचारों से निखरता है, ब्रांडेड चीज़ों से नहीं, यह समझ गया हूँ।

१२ मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ जो अपनी बुरी आदतों और जड़ मान्यताओं को मुझ पर थोपने की कोशिश करते हैं। अब उन्हें सुधारने की कोशिश नहीं करता क्योंकि कई लोगों ने यह पहले ही कर दिया है।

१३ जब कोई मुझे जीवन की दौड़ में पीछे छोड़ने के लिए चालें खेलता है, तो मैं शांत रहकर उसे रास्ता दे देता हूँ। आखिरकार, ना तो मैं जीवन की प्रतिस्पर्धा में हूँ, ना ही मेरा कोई प्रतिद्वंद्वी है।

१४मैं वही करता हूँ जिससे मुझे आनंद आता है। लोग क्या सोचेंगे या कहेंगे, इसकी चिंता छोड़ दी है। चार लोगों को खुश रखने के लिए अपना मन मारना छोड़ दिया है।

१५ फाइव स्टार होटल में रहने की बजाय प्रकृति के करीब जाना पसंद करता हूँ। जंक फूड की बजाय बाजरे की रोटी और आलू की सब्जी में संतोष पाता हूँ।

१६ अपने ऊपर हजारों रुपये खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद के हाथ में पाँच सौ हजार रुपये देने का आनंद लेना सीख गया हूँ। और हर किसी की मदद पहले भी करता था और अब भी करता हूँ।

१७ गलत के सामने सही साबित करने की बजाय मौन रहना पसंद करने लगा हूँ। बोलने की बजाय चुप रहना पसंद करने लगा हूँ। खुद से प्यार करने लगा हूँ।

१८ मैं बस इस दुनिया का यात्री हूँl मैं अपने साथ केवल वह प्रेम, आदर और मानवता ही ले जा सकूंगा जो मैंने बाँटी हैl यह मैंने स्वीकार कर लिया है।

१९ मेरा शरीर मेरे माता-पिता का दिया हुआ हैl आत्मा परम कृपालु प्रकृति का दान है और नाम फॉइबा का दिया हुआ है… जब मेरा अपना कुछ भी नहीं है, तो लाभ-हानि की क्या गणना?

२० अपनी सभी प्रकार की कठिनाइयाँ या दुख लोगों को कहना छोड़ दिया है, क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि जो समझता है उसे कहना नहीं पड़ता और जिसे कहना पड़ता है वह समझता ही नहीं।

२१अब अपने आनंद में ही मस्त रहता हूँ क्योंकि मेरे किसी भी सुख या दुख के लिए केवल मैं ही जिम्मेदार हूँl यह मुझे समझ आ गया है।

२२ हर पल को जीना सीख गया हूँ क्योंकि अब समझ आ गया है कि जीवन बहुत ही अमूल्य हैl यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं हैl कुछ भी कभी भी हो सकता है, ये दिन भी बीत जाएँगे।

२३ आंतरिक आनंद के लिए मानव सेवा, जीव दया और प्रकृति की सेवा में डूब गया हूँl मुझे समझ आया है कि अनंत का मार्ग इन्हीं से मिलता है।

२४ प्रकृति और देवी-देवताओं की गोद में रहने लगा हूँl मुझे समझ आया है कि अंत में उन्हीं की गोद में समा जाना है।

देर से ही सही, लेकिन समझ आ गया हैl शायद मुझे जीना आ गया हैl



I have fewer years to live now than I have lived. After understanding this, this change has happened in me:

1Now I have stopped crying due to the farewell of a loved one because if not today then tomorrow it is my turn.

2Similarly, I have given up thinking about what will happen to the people after me if my departure happens suddenly because after my departure no one will remain hungry and there is no need to leave or donate my property.

3. I am no longer afraid of the money, power and position of the person in front of me.

4. I make the most time for myself. I have accepted that the world does not rest on my shoulders. Nothing is going to stop without me.

5. Have stopped bargaining with small traders and hawkers. Sometimes I know that I am being cheated, yet I go on laughing and smiling.

6. I just give the torn or empty oil cans to the ragpickers, spend twenty-five-fifty rupees. When I see the happiness on their faces of getting lakhs, I become happy.

7Sometimes I even buy useless things from street vendors.

8 How many times do I hear the same thing from elders and children. Have given up the habit of saying that he has said this many times.

9. I prefer to maintain mental peace rather than argue with the wrong person.

10. I openly praise the good work or ideas of people. I enjoy the pleasure that comes from doing this.

11. Have stopped evaluating personality by branded clothes, mobile or any other branded thing. I have understood that personality shines through thoughts, not by branded things.

12 I keep my distance from people who try to impose their bad habits and rigid beliefs on me. Now let’s not try to improve them because many people have already done it.

13 When someone plays tricks to leave me behind in the race of life, I remain calm and give way to him. After all, I am neither in competition in life, nor do I have any rivals.

14I do only what makes me happy. I have stopped worrying about what people will think or say. To keep four people happy, he has given up his mind.

Instead of staying in a five star hotel, I prefer to go closer to nature. Instead of junk food, I find satisfaction in millet roti and potato curry.

16 Instead of spending thousands of rupees on myself, I have learned to enjoy giving five hundred thousand rupees to a needy person. And I used to help everyone before and I do it even now.

17 I have started preferring to remain silent instead of proving right in front of the wrong. I have started preferring to remain silent instead of speaking. I have started loving myself.

18 I am just a traveler in this world. I will only be able to take with me the love, respect and humanity that I have shared. I have accepted this.

19 My body is given by my parents, my soul is the gift of the most merciful Nature and my name is given by Phoiba… When I have nothing of my own, then what is the calculation of profit and loss?

20 I have stopped telling people about all my difficulties or sorrows, because I have understood that the one who understands does not have to say it and the one who has to say it does not understand.

21Now I remain engrossed in my own happiness because I am the only one responsible for my happiness or sorrow. I have understood this.

22 I have learned to live every moment because now I have understood that life is very precious. Nothing is permanent here. Anything can happen at any time, these days too will pass.

23 For inner happiness, I have immersed myself in service to humanity, kindness to animals and service to nature. I have understood that the path to infinity is found through these.

24 I have started living in the lap of nature and Gods and Goddesses. I have understood that in the end I have to merge into their lap.

Even if late, I have understood. Maybe I have learned how to live.

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