राधेराधे! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं!
देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरूं!!
*साधकों के जीवन में सजगता और सतर्कता बहुत जरूरी है। यदि अपना मार्ग भगवद्भक्ति और समर्पण का है, तो हमें बार-बार यह जांच करते रहना चाहिए कि दिन भर जो भी कार्य हमारे शरीर-मन-बुद्धि से हो रहे हैं, क्या उन्हें हमने भगवान की कृपा-करुणा से होता हुआ जाना समझा है ? क्या हमने दीन -भाव से उन्हें भगवद् अर्पण किया है ? यदि नहीं, तो भगवान से अपनी भूलकी क्षमा मांगतेहुए साधन मार्ग पर दृढ़ता से बढ़ते रहने की शक्ति मांगनी चाहिए।
- यदि अपना मार्ग ज्ञान का है और स्वयं की सच्चिदानंद स्वरूप की झलक मिलनी शुरू हो गई है, तो इंद्रियसमूहसे होने वाले प्रत्येक क्रियाकलाप में निरंतर दृष्टा भाव बना रहना आवश्यक है। जो कुछ भी हमारे शरीर-मन-बुद्धि से हो रहा हो, उसे चैतन्यभावसे निरंतर देखते रहें कि यह हो रहा है और मैं केवल इसे होता हुआ देख रहा हूं।
- यदि निष्काम-कर्म का साधन मार्ग हमने चुना है, तो हर क्रिया-कलाप को स्मरण पूर्वक हमें इस प्रकार करना चाहिए कि उस काम को करते समय हमें याद रहे कि हम भगवान की दी हुई प्रेरणा और क्रियाशक्ति से उसे कर रहे हैं और उसके होने के बाद उसकी सफलता विफलता से निर्लिप्त रहकर उस कर्म का फल प्रभुचरणों में समर्पित कर दें।
मार्ग कोई भी हो, चलने में सजगता जरूरी है, अन्यथा सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। नारायण हरि!
Radheradhe! Sri Krishna Govinda Hare Murare
Vasudeva sutam devam kansa chanur mardana! Devakī Paramanandam Krishna Vande Jagadgurum!!
Awareness and vigilance are very important in the life of the seekers. If our path is that of devotion and surrender, then we should keep checking again and again that whatever works are being done by our body-mind-intellect throughout the day, have we understood them to be done by God’s grace-compassion. ? Have we offered them to God out of humility? If not, then asking God for forgiveness of your mistake, one should ask for the strength to keep moving firmly on the path of means. If one’s own path is that of knowledge and one has started getting glimpses of one’s own true nature, then it is necessary to have a constant sense of vision in every activity that takes place through the senses. Whatever is happening with our body-mind-intellect, keep watching it with conscious awareness that it is happening and I am only seeing it happening. If we have chosen the means path of Nishkaam-karma, then we should do every activity with remembrance in such a way that while doing that work we should remember that we are doing it with the inspiration and action power given by God and its existence. After his success, being detached from failure, dedicate the fruit of that action to the feet of the Lord.
Be it the road, alertness is necessary in walking, otherwise caution is lost, accidents happen. Narayan Hari!