अग्रवाल समाज एक बुद्धिमान समाज

images 2022 09 20T202913.362


यह वाक्या, बात उस समय का है जब बादशाह अकबर था, एक दिन उसने बीरबल से पूछा, बीरबल हिंदुस्तान में सबसे बुद्धिमान समाज कौन सा है।
बीरबल :- हुजूर “अग्रवाल” सबसे बुद्धिमान समाज है।
अकबर तो हर बात का प्रमाण चाहता था।
अकबर:- हमें इसका दीदार (प्रैक्टिकल) रूबरू कराओ।
बीरबल ने सभी समाज और जातियों के दो दो लोगों को किले में बुलाया, जब सब लोग राजा के किले के दीवाने आम में आये तो दोनों “अग्रवाल” भाई सबसे आगे बैठे, जो अकबर के बिल्कुल नजदीक (अगर कभी मिले तो अकबर पहचान लें)
अब बीरबल ने अकबर का फरमान सबको सुनाया
बीरबल :- आप सभी लोग अपनी अपनी मूँछे बादशाह को भेंट करें। यह सुन दोनों “अग्रवाल” भाई धीरे धीरे लाइन में सबसे पीछे चले गए।
सब लोग आते गए और उनकी मूँछे कटती गई और अंत मे दोनों “अग्रवाल” भाई ही रह गए और अब उनका ही नंबर था।
तब “अग्रवाल” भाई बोले कि हम मूँछे तो कटवा लें “पर” एक बात हैं
बीरबल ने अकबर के कान में कहा कि देखिए अब इनके “पर” निकलने शुरू हो गए हैं।
अकबर:- बोले क्या बात है।
“अग्रवाल” भाई:- हमारे हिन्दू समाज में मूँछे तब कटती हैं जब पिता का स्वर्गवास हो जाता हैं और बड़े होने पर जब हमारी मूँछे निकलती है तब तक कम से कम 10,000 दीनारों का खर्चा आ जाता है। तब अकबर के आदेश पर 10,000 दीनार की थैली दी गई, “अग्रवाल” भाइयों ने थैली को तुरंत पकड़ लिया और बोले कि हुजूर इसकी क्या जरूरत हैं!
अकबर ने कहा कि भुगतान पूरा हुआ अब यह शाही मूँछे हो गई है दोनों “अग्रवाल” भाइयों ने मूछें ‌काटने की सहमति दे दी।
जब शाही हज्जाम ने उनकी मूंछों पर पानी लगाना शुरू किया, तभी शाही हज्जाम को अग्रवाल भाईयों ने दो झापड़ रसीद किये, हज्जाम चिल्लाया हुजूर मुझे मारा। अकबर के पूछने पर “अग्रवाल” भाई ने कहा कि यह इन शाही मूंछो पर बेअदबी से पानी लगा रहा हैं इसको बोलो की अदब और तमीज़ से पानी लगाए, अकबर भी हज्जाम से बोला कि अदब से पानी लगाओ।
अब जैसे ही शाही हज्जाम ने “अग्रवाल” भाई की मूँछों पर उस्तरा लगाया, तभी उस हज्जाम को चार झापड़ और रसीद किये।
अब शहंशाह अकबर आया और बोला कि हमारे हज्जाम को क्यों मारा? तब “अग्रवाल” भाई ने कहा कि हुजूर हमारे बुजुर्गों ने हमें यही शिक्षा दी है कि बादशाह सलामत की इज्जत के लिये अपना सिर कटवा देना पर उनकी मूँछे कभी झुकने नहीं देना। आपने इनका भुगतान कर दिया हैं अब यह शाही मूँछे आपकी हो गई हैं, हमारे रहते हुये यह आपकी मूँछें कैसे कोई काट सकता है।
बात बादशाह अकबर की समझ मे आई और शाही हज्जाम पर चिल्ला कर बोला कि यह शाही मूँछे हैं यह नहीं काटी जाएगी। जब दोनों “अग्रवाल” भाई वहाँ से विदा लेकर चले गए तब बीरबल ने बादशाह से कहा कि दोनों “अग्रवाल” भाई 10,000 दीनार की रकम भी ले गए, आपके शाही हज्जाम को 4, 6 झापड़ मार गए और अपनी मूँछे भी सही सलामत ले गए अब आप ही फैसला करें कि बुद्धिमान कौन हैं।
बादशाह अकबर ने कहा बीरबल तुम सही कह रहे हो वास्तव में “अग्रवाल” समाज का बुद्धिमानी में कोई जबाब ही नहीं हैं।”

अग्रवाल भाईयों को अग्रवाल मित्रों को शेयर ज़रूर करें।

🙏भगवान श्री अग्रसेन जी महाराज की जय



यह वाक्या, बात उस समय का है जब बादशाह अकबर था, एक दिन उसने बीरबल से पूछा, बीरबल हिंदुस्तान में सबसे बुद्धिमान समाज कौन सा है। बीरबल :- हुजूर “अग्रवाल” सबसे बुद्धिमान समाज है। अकबर तो हर बात का प्रमाण चाहता था। अकबर:- हमें इसका दीदार (प्रैक्टिकल) रूबरू कराओ। बीरबल ने सभी समाज और जातियों के दो दो लोगों को किले में बुलाया, जब सब लोग राजा के किले के दीवाने आम में आये तो दोनों “अग्रवाल” भाई सबसे आगे बैठे, जो अकबर के बिल्कुल नजदीक (अगर कभी मिले तो अकबर पहचान लें) अब बीरबल ने अकबर का फरमान सबको सुनाया बीरबल :- आप सभी लोग अपनी अपनी मूँछे बादशाह को भेंट करें। यह सुन दोनों “अग्रवाल” भाई धीरे धीरे लाइन में सबसे पीछे चले गए। सब लोग आते गए और उनकी मूँछे कटती गई और अंत मे दोनों “अग्रवाल” भाई ही रह गए और अब उनका ही नंबर था। तब “अग्रवाल” भाई बोले कि हम मूँछे तो कटवा लें “पर” एक बात हैं बीरबल ने अकबर के कान में कहा कि देखिए अब इनके “पर” निकलने शुरू हो गए हैं। अकबर:- बोले क्या बात है। “अग्रवाल” भाई:- हमारे हिन्दू समाज में मूँछे तब कटती हैं जब पिता का स्वर्गवास हो जाता हैं और बड़े होने पर जब हमारी मूँछे निकलती है तब तक कम से कम 10,000 दीनारों का खर्चा आ जाता है। तब अकबर के आदेश पर 10,000 दीनार की थैली दी गई, “अग्रवाल” भाइयों ने थैली को तुरंत पकड़ लिया और बोले कि हुजूर इसकी क्या जरूरत हैं! अकबर ने कहा कि भुगतान पूरा हुआ अब यह शाही मूँछे हो गई है दोनों “अग्रवाल” भाइयों ने मूछें ‌काटने की सहमति दे दी। जब शाही हज्जाम ने उनकी मूंछों पर पानी लगाना शुरू किया, तभी शाही हज्जाम को अग्रवाल भाईयों ने दो झापड़ रसीद किये, हज्जाम चिल्लाया हुजूर मुझे मारा। अकबर के पूछने पर “अग्रवाल” भाई ने कहा कि यह इन शाही मूंछो पर बेअदबी से पानी लगा रहा हैं इसको बोलो की अदब और तमीज़ से पानी लगाए, अकबर भी हज्जाम से बोला कि अदब से पानी लगाओ। अब जैसे ही शाही हज्जाम ने “अग्रवाल” भाई की मूँछों पर उस्तरा लगाया, तभी उस हज्जाम को चार झापड़ और रसीद किये। अब शहंशाह अकबर आया और बोला कि हमारे हज्जाम को क्यों मारा? तब “अग्रवाल” भाई ने कहा कि हुजूर हमारे बुजुर्गों ने हमें यही शिक्षा दी है कि बादशाह सलामत की इज्जत के लिये अपना सिर कटवा देना पर उनकी मूँछे कभी झुकने नहीं देना। आपने इनका भुगतान कर दिया हैं अब यह शाही मूँछे आपकी हो गई हैं, हमारे रहते हुये यह आपकी मूँछें कैसे कोई काट सकता है। बात बादशाह अकबर की समझ मे आई और शाही हज्जाम पर चिल्ला कर बोला कि यह शाही मूँछे हैं यह नहीं काटी जाएगी। जब दोनों “अग्रवाल” भाई वहाँ से विदा लेकर चले गए तब बीरबल ने बादशाह से कहा कि दोनों “अग्रवाल” भाई 10,000 दीनार की रकम भी ले गए, आपके शाही हज्जाम को 4, 6 झापड़ मार गए और अपनी मूँछे भी सही सलामत ले गए अब आप ही फैसला करें कि बुद्धिमान कौन हैं। बादशाह अकबर ने कहा बीरबल तुम सही कह रहे हो वास्तव में “अग्रवाल” समाज का बुद्धिमानी में कोई जबाब ही नहीं हैं।”

Please share Agrawal brothers to Agarwal friends.

🙏 Glory to Lord Shri Agrasen Ji Maharaj

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *