परमात्मा को पाना इतना मुश्किल नहीं है, जितना कि इंसान का सच्चे मायनों में इंसान बनना है। उसके लिए पहली शर्त यह है कि हम सभी का भला सोचें।
जैसी भावनाएं और विचार हमारे मन में भरे होंगे, वैसे ही वचन हमारी जुबान से निकलेंगे। मन में अगर बुराई भरी होगी, तो हमारे विचार और कर्म भी वैसे ही होंगे।
गंदगी को साफ करने के लिए क्षमा का पानी चाहिए, उससे मन की सारी मैल धुल जाएगी। भूल जाओ और माफ कर दो- यह रूहानियत का मूलमंत्र है।
एक आदमी एक महात्मा जी के पास आया और उन्हें गालियां देने लगा। गालियां देते-देते शाम हो गई। महात्मा जी चुपचाप गालियां सुनते रहे लेकिन उन्होंने कोई भी उत्तर नहीं दिया। जब वो आदमी वापस जाने लगा तो महात्मा जी बोले- मित्र! एक बात बताओ?
वो आदमी बोला-:-
पूछो, जो पूछना चाहते हो।
महात्मा जी ने पूछा- अगर एक आदमी किसी के लिए कोई उपहार लाए, और वो व्यक्ति उसे लेने से इंकार कर दे, तो वो उपहार किसके पास रहेगा?
वो आदमी बोला- उसी के पास रहेगा,
जो वह उपहार लाया है।
महात्मा जी बोले- आप जो उपहार (गालियां) मेरे लिए लाए हैं, मुझे वो स्वीकार नहीं है।
—:— तात्पर्य —:—
हमें ये सब बातें मात्र सुनकर ही नहीं छोड़ देनी हैं, बल्कि इन्हें अपने पल्ले से बांधनी चाहिएं और अपने जीवन में धारण करनी चाहिएं।
अगर हम इन्हें अपने जीवन में धारण करेंगे तो हमारे विचार बदल जाएंगे, और हमसे प्यार की किरणें प्रसारित होंगी। यह बनावट की या दिखावे की बात नहीं है, यह एक उच्च जीवन जीने की बात है..!!
।। जय सियाराम जी।।
।। ॐ नमह शिवाय।।
It is not so difficult to find God, as it is to become a human being in the true sense. The first condition for that is that we should think well of all.
As feelings and thoughts will be filled in our mind, so will the words come out of our tongue. If our mind is full of evil, so will our thoughts and actions.
To clean the dirt, water of forgiveness is needed, it will wash away all the dirt from the mind. Forget and forgive – this is the essence of spirituality.
A man came to a Mahatma ji and started abusing him. It was evening by abusing. Mahatma ji kept listening to the abuses silently but he did not give any answer. When that man started going back, Mahatma ji said – Friend! tell me one thing?
The man said-:- Ask what you want to ask.
Mahatma ji asked- If a man brings a gift to someone, and that person refuses to take it, then who will have that gift?
The man said – will remain with him, who brought the gift.
Mahatma ji said – I do not accept the gifts (abuses) you have brought for me.
—:— Meaning —:— We should not leave all these things only after listening, but we should tie them to our shoulders and wear them in our life.
If we wear these in our life then our thoughts will change, and rays of love will be transmitted to us. It is not a matter of appearance or appearance, it is a matter of living a high life..!! , Jai siyaram ji. , Oh no, except.