प्रेम और समर्पण

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जीवन में दो शब्द बहुत खास है
प्रेम और समर्पण

क्योंकि ये अस्तित्व के मंदिर के
दो विराट दरवाजे हैं।

एक का नाम प्रेम,
एक का नाम समर्पण ।

चाहो तो प्रेम से प्रवेश कर जाओ,
चाहो तो समर्पण से प्रवेश कर जाओ!!

शर्त एक ही हैः –
अहंकार दोनों में छोड़ना पड़ेगा!!

1 प्रेम

प्रेम का सिद्धान्त अटपटा है ..!
यहाँ एक और एक ग्यारह नही होते !!

न एक और एक “दो” ही होते हैं ..!
यहाँ तो एक और एक “एक” ही होते हैं ..!!

‌‌ 💘..ये प्रेम का अपना गणित है…💘 👉2समर्पण- ******

समर्पण में संदेह व तर्क की कोई
गुंजाइश नहीं होती।

समर्पण बिलकुल छोटे से स्तर से लेकर
सर्वोपर्री स्तर तक का हो सकता है …!!

जैसे की-वैदिक पथिक
समर्पण का अर्थ हुआ अपने मन
का अर्पण कर देना।

समर्पण का मतलब चाहतें, आकांक्षाएँ, इच्छाओं का परित्याग। समर्पण का मतलब है, अपने अहंकार का त्याग कर जिसके समक्ष हमनें समर्पण किया है उसके कहे अनुसार जीवन गुज़र करना।

आत्मसमर्पण का भी आध्यात्म में यही अर्थ है
कि अपनी आत्मा का समर्पण कर देना।



Two words in life are very special love and dedication

Because this is the temple of existence There are two huge doors.

One name love One name surrender.

If you want, enter with love, If you want, enter with dedication!!

The condition is the same:- The ego has to be dropped in both!!

1 love The theory of love is strange..! There are no one and eleven here!!

Neither one nor one is “two”..! Here there is only one and one “one”..!!

..this is love’s own math…💘 2surrender- ******

no doubt and logic in surrender There was no scope.

From the very lowest level of dedication Can be up to paramount level…!!

vedic wanderer Surrender means your mind To surrender

Surrender means renunciation of desires, aspirations, desires. Surrender means giving up our ego and living life according to the one to whom we have surrendered.

Surrender also has the same meaning in spirituality. To surrender your soul.

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