वृन्दावन का सूक्ष्म स्वरूप भक्त का ह्दय

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बहुत सारे लोग हैं जो वृन्दावन में होते हुए भी वृन्दावन में नहीं होते और बहुत सारे लोग हैं जो वाह्य दृष्टि से वृन्दावन में न होते हुए भी सतत् वृन्दावन की ही सूक्ष्मता में ही अवस्थित रहते हैं। श्रेष्ठ कौन है इसका निर्णय नहीं किया जा सकता क्योंकि वृन्दावन को स्थूल स्वरूप भी बहुत श्रेष्ठ है और वृन्दावन का सूक्ष्म स्वरूप भी बहुत श्रेष्ठ है। दोनों श्रेष्ठ है।
हरि बोल  …

जो प्रेमी हैं उनका यही लक्षण है प्रेमी तो कभी वृंदावन से दूर जाता ही नहीं है। श्रीमनमहाप्रभु का नित्य वृन्दावन गम्भीरा में अवस्थित रहता है उसी कुञ्ज में सतत् अवस्थित रहता है।



There are many people who, despite being in Vrindavan, are not in Vrindavan, and there are many people who are constantly situated in the subtlety of Vrindavan even though they are not in Vrindavan from an external point of view. It cannot be decided who is the best because the gross form of Vrindavan is also very superior and the subtle form of Vrindavan is also very superior. Both are excellent. Hari speak…

This is the symptom of those who are lovers, the lover never goes away from Vrindavan. Sriman Mahaprabhu’s eternal Vrindavana is situated in Gambhira and is constantly situated in the same Kunj.

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