एक साधक की भावना

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प्रभु! तीनो लोकों के स्वामी है, अरे वह तो जगत के स्वामी है ,अरे भैया जगत को प्रभु ने ही बनाया है ,सब कुछ प्रभु ही है ,जड़ चेतन में वही समाए हैं–

भगवान का दर्शन के लिए, छल कपट रहित ,निर्मल मन, कामना रहित ,भक्ति हो,,, भक्तों के हृदय में भगवान बसते हैं, उनसे हृदय की कोई बात छिपी नहीं, इसलिए भगवान को अंतर्यामी कहते हैं–

जीव अनादि है ,जब तक भगवत प्राप्ति नहीं होगी, फिर प्रारब्ध के अनुसार किसी माता की कोख (गर्भ) में नौ महीना उल्टा लटक कर,, कोल्हू में ऊख की तरह,, संसार में आना पड़ेगा,,, यह व्यवस्था कौन करता है,,,,? अदृश्य शक्ति प्रभु की योग माया,,,,

हरि बिनु मीत नहीं कोउ तेरे।

अरे मन! मैं तुझ से पुकार कर कहता हूं, सुन! श्रीहरि को छोड़कर तेरा कोई मित्र नहीं है, अतः तू मेरे गोपाल का भजन कर,,, यह संसार विषय रूपी विष का समुद्र है, जो कि सदा सब को घेरे रहता है। सूरदास जी कहते हैं—

श्यामसुंदर को छोड़कर मृत्यु के समय दूसरा कोई पास नहीं आता, उस समय केवल भजन ही सहायक हो सकता है।



Lord! He is the lord of all the three worlds, oh he is the master of the world, oh brother, the world has been created by GOD, everything is GOD, the roots are contained in the conscious-

For the vision of God, without deceit, pure mind, desireless, devotion, God resides in the heart of the devotees, nothing is hidden from them, therefore God is called Antaryami-

Jiva is eternal, till God is not attained, then according to destiny, nine months hanging upside down in the womb (womb) of a mother, like a sugarcane in a crusher, will have to come to the world,, Who makes this arrangement,? Yoga Maya of the invisible power Lord,

Hari Binu Meet Nahi Ko Tere.

Oh mind! I call upon you and say, Hear! You have no friend except Shri Hari, so worship my Gopal, this world is a sea of ​​poison, which always surrounds everyone. Surdas ji says-

Except Shyamsundara no one comes near at the time of death, at that time only Bhajan can be helpful.

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