नमस्कार भाव

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‌हम नमस्कार करते हैं  तब हाथ जोड़कर शिश नवा कर नतमस्तक होते हैं नमस्कार में दो हाथ दस ऊंगलियां एक रूप होती है शीश झुकता है तब हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु प्राण नाथ नाथ ये शीश रूपी अहंकार तेरे चरणों में समर्पित है हे नाथ ये इन्द्रियों एक रूप होकर तुम्हारे चरणाविनद मे नतमस्तक होता रहू इन सबके आप स्वामी हैं इनकी बागडोर पकङ कर रखना। हे भगवान नाथ ये आपकी मुझ दासी पर असीम कृपा है तभी इस दासी पर कृपा करके प्रभु आप  दिल मे आये हो मेरे प्रभु मेरे स्वामी मेरे भगवान बागडोर पकङ कर रखना हे नाथ यदि एक बार आप मेरे हाथ को पकड़ लोगे तभी सच्चा सहारा है। हे भगवान नाथ मेरी कर जोङकर शीश नवाकर तुम से विनती है कि तुम्हारी भक्ती के सागर में गहरी डुबकी लगा लु। हे मेरे मालिक इस समय दिल में बार बार अपवित्रता आ जाती है। नाथ तुम इस हाथ को थाम लोगे तभी तुम्हारे नाम चिन्तन में डुब जाऊ। भगवान तुम ही तुम हो जय श्री राम अनीता गर्ग



We do salutations, then we bow down with folded hands, two hands, ten fingers are one form, in salutation, the head bows down, then we pray to God that O Lord Pran Nath Nath, this head-like ego is devoted at your feet, O Nath May these senses be one form and bow down at your feet. Oh Lord Nath, this is your infinite grace on my maidservant, only then God has come in your heart by having mercy on this maidservant, my lord, my lord, my God, hold on to the reins, O Nath, if once you hold my hand, only then is the true support. O Lord Nath, after bowing my head, I request you to take a deep dip in the ocean of your devotion. O my master, at this time, impurity comes again and again in the heart. Nath, if you hold this hand, then only I will be immersed in contemplating your name. Lord you are you Jai Shri Ram Anita Garg

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One Response

  1. It’s hard to find educated people on this topic, but you seem like you know what you’re talking about! Thanks

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