“पालनहारा मोर मुकुट मुरलीवाला” कथा

हर समय कण्ठी माला लेकर बैठे रहते हो ।
कभी कुछ दो पैसे का इंतजाम करो लड़की के लिए लड़का नहीं देखना।
आज फिर निर्मला ने रोज की तरह सुबह से ही बड़बड़ाना शुरु कर दिया।

अरे भाग्य वान ईश्वर पर विश्वास रखो ,
समय पर सब हो जाएगा ।
चौबे जी ने अपना गमछा संभालते हुए कहा।

इन चरणों में जो भी आये,
उसका जन्म सफल हो जाये।

निर्मला : हाँ ईश्वर तो जैसे घर बैठे ही लड़का भेज देंगे। भगवान के पास तो कोई काम है नहीं सिर्फ आपका ध्यान रखने के अलावा ।

अरे क्यों पूरा दिन चकचक करती रहती हो ? बैसे चौबेजी कभी गुस्सा नहीं होते।
वो तो बिमारी के चलते नोकरी छोड दी थी।
अब बस पूरा दिन बस गोपालजी की सेवा करते और उन्ही के बारे में ही सोचते हैं ।

निर्मला बोली जयपुर वाली मौसी बता रही थी ,
उनकी रिश्तेदारी में एक लड़का है ।
पर देखने तो जब आओगे ,
जब जेब में 1000-2000 रुपए होंगे ।
जो दस बीस रुपए बचते हैं ,
उन्हें भी अपने दोस्तों को उधार दे देते हो।
आज तक लौटाए हैं किसी दोस्त ने।

चौबेजी : आज तक कभी किसी चीज की कोई कमी हुई है । नहीं ना,
आगे भी नहीं होगी ईश्वर की कृपा से।
तुम तो मुझे भजन भी नहीं करने देती ।

निर्मला : भजन ही करना था तो शादी क्यों की ?
अब क्या वो बैठे-बिठाए तुम्हारी लड़की की शादी भी कर जाएंगे।

हाँ रहने दो बस । यह लो थैला पकड़ो और जाओ बाजार से रसोई के लिए सामान ले आओ और हां ,
जिस लडके के बारे में मैंने बात की है ।
उसके बारे में जरा सोचना परसों जाना है तुम्हें।
अब थोड़े बहुत पैसों के लिए हम एफडी तो तुडवाओगे नहीं सो जो यार दोस्तों को उधार दे रखे हैं उनसे जरा मांग लो।

थैला लेकर चौबेजी निकल तो गए लेकिन विचार यही है मन में। पैसों का इंतजाम कैसे होगा ?
सब्जी लेने से पहले जरा अपने एक दोस्त से अपने पैसों की बात कर ली जाए ।
जिस दुकान में काम करता है , वो भी पास ही है ।

मोहनलाल ने अपने मित्र को देखा तो गले लगा लिया । अरे चौबेजी कैसे आना हुआ ?

चौबेजी : कुछ ना भैया कुछ समस्या आन पड़ी है ।
पैसो की सख्त जरुरत है ?
अपने ही पैसे चौबेजी ऐसे मांग रहे हैं ,
जैसे उधार मांग रहे हो।

देखता हूँ साहब तो बिमार है चार दिन पहले ही दिल का दौरा पड़ा था।
अभी दस दिन पहले ही विदेश से आए हैं।
बैसे तो ऐसे 6 शोरूम है उनके पास।
पर चलो एक दो दिन में आएंगे तो मांग करके तुम्हें दे दूंगा।

और बताओ बिटिया ठीक है ? कैसा चल रहा है उसका योगा क्लास ?

बढ़िया चल रहा है सुबह 5:00 बजे जाती है ,पूरा 5000 कमाती है। चौबेजी ने बड़े गर्व से कहा।

सर्वगुण संपन्न है जी हमारी लाली। कैबिन से बाहर निकले ही थे , एक जगह नज़र टिकी गई। इतनी सुंदर मूर्ति गोपाल की। चौबे जी अपलक देख रहे थे जैसे अभी बात करने लगेगी।
तभी मोहनलाल ने ध्यान भंग करते हुए कहा ,” बडे साहब ने आर्डर पर बनवाई है। बाहर से बनकर आई है । ऐसी दो बनवाई हैं ।”

रास्ते भर मूर्ति की छवि उनकी नजरों से ओझल नहीं हो रही थी ।
काश वो मूर्ति उनके पास होती।
भूल नहीं पा रहे हैं काश अगर उनके पास होती कैसे दिनभर निहारते रहते , क्या क्या सेवा करते सोचते सोचते ,
घर कब आया पता ही नहीं चला।

लेकिन घर के सामने इतनी भीड़ क्यों है ?
यह गाड़ी किसकी गाड़ी तो काफी महंगी लग रही है ? अपने घर के दरवाजे में घुसने ही वाले थे कि थैला हाथ से छीनकर निर्मला ने मुस्कुराकर उनका स्वागत किया।

कौन आया है ? अंदर सूट बूट में एक आदमी बैठा है। चौबेजी को देखते ही वो हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।

राधे राधे चौबे जी ने कहा। बैठिए पर क्षमा कीजिए मैंने आपको पहचाना नहीं।

अरे आप कैसे पहचानेंगे ? हम पहली बार मिल रहे हैं । उसने बड़ी शालीनता के साथ जवाब दिया।

जी कहिए , मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ ?

दरअसल मैं आपसे कुछ मांगने आया हूँ ।

सीधा-सीधा बताइए चौबे जी सोच में पडे थे जाने वह क्या मांग ले?
और इतने बड़े आदमी को मुझसे क्या चाहिए ?

आज से चार दिन पहले मैं सुबह की सैर के लिए गया था। लेकिन उस दिन मेरे साथ एक दुर्घटना हुई।
अचानक मुझे हार्टअटैक आ गया।
आसपास कोई नहीं था मदद के लिए।
ना मैं कुछ बोल पा रहा था ।
तभी एक लड़की स्कूटी पर आती दिखी।
मुझे सडक पर पड़े हुए देखकर उसने अपनी स्कूटी रोकी।

अकेली वो मुझे उठा नहीं सकती थी।
फिर अपनी स्कूटी से दूर से दुकान पर जाकर एक आदमी को बुलाकर लाई ।
उसकी मदद से उसने मुझे अपनी स्कूटी पर बिठाया और मुझे हॉस्पिटल लेकर गई। अगर थोड़ी सी भी देर हो जाती शायद मेरा अन्त निश्चित था।
और वो लड़की कोई और नहीं , आपकी बेटी थी।

उस आदमी ने हाथ जोड़ते हुए कहा , अगर आप लायक समझे ,
तो मैं अपने बेटे के लिए आपकी बेटी का हाथ मांगता हूं । ओर जो अनजान की मदद कर सकती है ।
वो अपने परिवार का कितना ध्यान रखेगी।”

चौबेजी एक दम जड़ हो गए ।
वह विश्वास नहीं कर पा रहे थे,
हे ईश्वर क्या यह सब सच में ये हो रहा है कि मुझे किसी के दरवाजे पर ना जाना पड़े।
इस स्थिति से बाहर निकले भी नहीं थे कि

तभी उन्होंने अपने पास रखे हुए बैग में से एक बाक्स निकाला।
उन्हें देते हुए कहा कि शगुन का एक छोटा सा उपहार है।
मना मत करना.. चौबेजी ने खोलते हुए देखा
इसमें वही बालगोपाल की मूर्ति थी ,
जिसे अभी शोरूम में देखकर आए थे।
जो आंखो के सामने से ओझल नहीं हो रही थी ।
जिसे देखते ही मन में ये ख्याल आयाथा कि काश मेरे मंदिर में होती ।

आज ऊपरवाले ने प्रमाणित कर दिया की मुझे उसका जितना ख्याल है उससे कहीं ज्यादा उसे मेरा ख्याल है..!!
🙏🏻🙏🏿🙏🏾जय श्री कृष्ण🙏🏽🙏🙏🏼



You always sit with a rosary around your neck. Never arrange some money for the girl, don’t see the boy. Today again Nirmala started babbling since morning as usual.

Oh lucky one, have faith in God Everything will happen in time. Chaubey ji said while handling his pot.

Whoever comes to these steps, May his birth be successful.

Nirmala: Yes, God will send a boy as soon as he sits at home. God doesn’t have any work other than just taking care of you.

Hey, why do you keep on giggling the whole day? Baise Chaubeji never gets angry. She had left the job due to illness. Now the whole day we just serve Gopalji and think only about him.

Nirmala said, the aunt from Jaipur was telling, There is a boy in his relation. But when you come to see When there will be 1000-2000 rupees in the pocket. Those who save ten twenty rupees, You also lend them to your friends. A friend has returned it till today.

Chaubeji: There has never been any shortage of anything till date. no no, It will not happen in future also by the grace of God. You don’t even let me do bhajan.

Nirmala: Had to do bhajan then why did you get married? Now will he get your daughter married while sitting?

Yes leave it Take this bag grab and go get kitchen stuff from the market and yes, The boy I talked about. Just think about it, you have to go the day after tomorrow. Now we will not get FDs broken for a little bit of money, so ask those who have lent it to friends.

Chaubeji left with the bag, but this is the thought in his mind. How will the money be arranged? Before buying vegetables, talk about your money with a friend. The shop in which he works is also nearby.

Mohanlal saw his friend and hugged him. Hey Chaubeji, how did you come?

Chaubeji: Nothing, brother, some problem has arisen. In dire need of money? This is how Chaubeji is asking for his own money. Like asking for a loan.

I see sir is ill, he had a heart attack four days ago. He has just returned from abroad ten days back. By the way, they have 6 such showrooms. But let’s come in a day or two, then I will give it to you on demand.

And tell me daughter is it okay? How is her yoga class going?

It is going well, goes at 5:00 in the morning, earns full 5000. Chaubeji said proudly.

Our Lali is full of all virtues. Had just come out of the cabin, the eyes were fixed on one place. Such a beautiful idol of Gopal. Chaubey ji was looking at you as if she would start talking now. That’s why Mohanlal said while distracting, “Bade Sahab got it made on order. It has come made from outside. Two such ones have been made.”

The image of the idol was not disappearing from his eyes all the way. I wish he had that idol. Can’t forget, I wish if they had it, how they used to stare all day long, wondering what service they were doing, Didn’t even know when he came home.

But why is there so much crowd in front of the house? Whose car is this car looking very expensive? He was about to enter the door of his house when Nirmala welcomed him with a smile by snatching the bag from his hand.

Who has come ? A man in a suit boot is sitting inside. On seeing Chaubeji, he stood with folded hands.

Radhe Radhe Choubey ji said. Sit down but I’m sorry I didn’t recognize you.

hey how do you know We are meeting for the first time. He replied politely.

Tell me, what can I do for you?

Actually I have come to ask you something.

Tell me straight, Choubey ji was wondering what should he ask for? And what does such a big man want from me?

Four days ago today I went for morning walk. But that day I had an accident. Suddenly I got heart attack. There was no one around to help. Neither was I able to say anything. Only then a girl was seen coming on a scooty. Seeing me lying on the road, he stopped his scooty.

Alone she could not lift me. Then went to the shop from a distance on her scooty and called a man. With her help, she made me sit on her scooty and took me to the hospital. Had there been a little delay, perhaps my end would have been certain. And that girl was none other than your daughter.

The man said with folded hands, if you consider it worthy, So I ask for your daughter’s hand for my son. And who can help the unknown. How much will she take care of her family?”

Chowbeji became completely inert. He couldn’t believe it, O God, is all this really happening so that I don’t have to go to anyone’s door. Couldn’t even get out of this situation

Then he took out a box from his bag. Giving them said Shagun is a small gift. Don’t refuse.. Chaubeji saw opening In it was the idol of Balagopal. Which had just come after seeing in the showroom. Which was not disappearing in front of the eyes. As soon as I saw it, I thought that I wish it was in my temple.

Today God has proved that he cares for me more than I care for him..!! 🙏🏻🙏🏿🙏🏾 Jai Shri Krishna🙏🏽🙏🙏🏼

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