हे प्रभु हे स्वामी भगवान नाथ मै तुम्हे शिश नवाकर अन्तर्मन से प्रणाम और वन्दन करती हूँ। एक भक्त को नमन और वन्दन करने के लिए भी समय कहा मिलता है। वह तो हर क्षण अपने स्वामी भगवान् नाथ की पुकार लगाता है। भक्त के भीतर भगवान समाये हुए हैं भगवान मे भक्त समाया है उसको न खाने की सुधि हैं न चलने की सुधि हैं।क्योंकि भक्त भगवान् के रंग में रंगा हुआ है एक भक्त जागता हुआ सोया हुआ है। और सोया हुआ जाग रहा है।भक्त भगवान् में इतना लिन है कि बस उसके तो सब कुछ भगवान ही है पल पल अपने भगवान् नाथ को पुकारना और आंखों में बसा कर निहारता है। मौन रहकर भी अपने परमात्मा स्वामी भगवान् नाथ से बात कर रहा है और बोलते हुए भी चुप हैं भक्त के दिल की दशा को शब्दों में ब्यान नहीं कर सकते। मैं फिर कहती हे प्रभु, हे स्वामी, हे भगवान नाथ, हे प्राण प्रिय, हे मेरे अराध्य नाथ भगवान, हे मेरे जीवन जगत की ज्योति तुम मुझे दिखाई क्यों नहीं देते। हा नाथ क्या तुम मुझे भुल ही गए। मेरे प्रभु स्वामी भगवान् नाथ एक बार तो दर्शन दो, तुम मेरे प्राण नाथ हो। भक्त कभी अपने स्वामी को आंखों में बसाकर आखें बंद कर लेता है।तो कभी दिल में बिठा कर एक अद्भूत आनंद प्रेम में लीन शरीर तक का भान नहीं और आत्मा से कहता है कि हे आत्मा आज तेरे बङे भाग्य हैं आज तु परम पिता परमात्मा की बन जा और जन्म जन्मान्तर की प्यास बुझा ले। तुम ही मेरे राम हो मेरे भगवान् मै तुम्हारी किस तरह से वन्दना करु। मै समझ नहीं पाती हूँ। दिल की हर धङकन मेरे स्वामी भगवान् नाथ की पुकार कर रही है। मेरे परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ जगत के मालिक जगत का पालन करने वाले हैं।
भक्त के हदय में यह सब भाव तभी प्रकट होगें जब समर्पण भाव जागृत होगा भगवान भक्त के साथ लीला कर जाते हैं कभी दिखाई देते हैं कभी ओझल हो जाते भक्त प्रभु प्राण नाथ को जितना पुकारता है मिलन की तङफ गहरा जाती है यह सब भाव भक्ति करते हुए शरीर रूप से ऊपर उठने पर है जंहा भक्त और भगवान ही है।
भगवान दिल की गहराई से पकड़ाई में आ सकते हैं। पकङ में आने पर लिला धारी है। भक्त के साथ अनेक लीलाए करते हैं।दयानिधि की लीला कैसे भक्त के हदय में प्रभु मिलन की तङफ पैदा करती है अगली पोस्ट में जय श्री राम अनीता गर्ग
Oh Lord, O Swami Bhagwan Nath, I bow down to you and bow down to you from the bottom of my heart. Where is the time given to a devotee to bow down and offer obeisances. He calls out to his master Lord Nath every moment. He has no awareness of eating or walking. Because a devotee is engrossed in the Lord, a devotee is asleep while awake. And the sleeping one wakes up. The devotee is so attached to the Lord that only God is everything to him, moment by moment he calls to his Lord Nath and settles in his eyes and gazes. Even after remaining silent he is talking to his Supreme Soul, Lord Nath and while speaking he is silent, cannot describe in words the condition of the heart of the devotee. I say again, O Lord, O Lord, O Lord Nath, O dear life, O my beloved Nath God, why do not you see me the light of my life world. Ha Nath have you forgotten me? My lord swami Bhagwan Nath, give me darshan once, you are my soul. The devotee sometimes closes his eyes by settling his master in the eyes. Sometimes, sitting in the heart, a wonderful bliss does not even realize the body absorbed in love and says to the soul that today you are your master, Lord Nath. Be that and quench your thirst for birth after birth. You are my Ram, my God, how can I worship you? I can’t understand Every beat of the heart is calling out to my lord Bhagwan Nath. My Supreme Lord Swami Bhagwan Nath, the master of the world, is one in spite of being present in many forms, who maintains the world. There is no need to find them anywhere, they can get caught from the depths of the heart. Now on coming to the puck, there is a lila stripe. Performs many pastimes with the devotee. Jai Shri Ram Anita Garg
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