भक्त भगवान से प्रार्थना करता

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भगवान का चिन्तन, मनन, सिमरण, स्मरण करते हुए भक्त को सबकुछ प्रभु रूप दिखने लगता है। भक्त को अपने अन्तर्मन मे भी भगवान ही दिखाई देते हैं ऐसे लगता है सबकुछ परम पिता परमात्मा की एकरूपता है। भक्त को कुछ समझ नहीं आता है। भक्त देखता है कि इस मार्ग में भगवान के प्रति भक्त का प्रेम मार्ग में समर्पण भाव की गहराई नही है। भक्त भगवान से प्रार्थना भी नहीं कर सकता है। जिस दिन मै मिट जाता है तब भक्त को ये शरीर भी परम पिता परमात्मा श्री हरि का दिखता है। भक्त कहता है कि हे राम जी मुझे पल पल तुम्हें निहोरे करना तुम से दिल ही दिल में बात करना। इस तन और मन को मालिक के चरणों में समर्पित करना और भाव में भर कर तुम्हें दिल में छुपाकर नैनो में बिठालु मै हे प्रभु हे दीनदयाल हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ तुम मेरे प्राण प्रिय स्वामी भगवान नाथ हो मै तुमको प्रणाम करता रहूं ।प्रेम में भक्त भगवान से हर क्षण प्रार्थना करता है हे प्रभु भगवान नाथ ये तुम्हारी भाव पुरण स्तुति में जो आनंद हैं वह मै और तु के एक हो जाने में नहीं है। हे स्वामी नहीं कोई इच्छा नहीं कोई अरमान हो। मेरे प्रभु मेरे सबकुछ तुम ही तुम हो। तुम्हारी भाव पुरण स्तुति करता रहूँ जय श्री राम अनीता गर्ग



While contemplating, contemplating, remembering, remembering God, the devotee sees everything in the form of God. The devotee sees only God in his conscience, it seems that everything is the oneness of the Supreme Father, the Supreme Soul. The devotee does not understand anything. The devotee sees that in this path the devotion of the devotee towards God is not the depth of devotion. The devotee cannot even pray to God. The day I disappear, the devotee also sees this body of the Supreme Father, the Supreme Soul, Shri Hari. The devotee says that O Ram ji, make me look at you every moment and talk to you in my heart. Dedicating this body and mind to the Lord’s feet and filling you with emotion and hiding you in my heart, I sit in the nano, O Lord, O Deendayal, O my Swami Bhagwan Nath, you are my life dear Lord Lord Nath, I keep on bowing to you. Devotees in love Praying to God every moment, O Lord Lord Nath, the joy that is in your devotional praise is not in the union of me and you. O lord, no desire, no desire. You are my lord my everything. Keep on praising your spirit Jai Shri Ram Anita Garg

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