हे माधव! हे मेरे सार सर्वस्व ! हे आनंदघन ! हे करुणामूर्ति !
जैसे आपने सारे बृजवासियों को इंद्र के प्रकोप से गोवर्धन उठा के बचा लिया था। नाथ गोवर्धन पर्वत से भी ज्यादा बड़े विशालकाय जो मेरे पापों का ढेर है उससे मुझे कैसे निकालोगे।
मेरे नाथ! कैसे इस भव जंजाल से बाहर आ पाऊंगा। नित्य नए प्रलोभन , नित्य नई वासनाओं के हिलोरें , जब इनसे बचूं तो आपका ध्यान लग पावे। तत्क्षण यही स्मरण होता है ….शबरी जी , निषाद , जटायु इन्होंने क्या ही किया था जो निरामिषभोजी होने पर भी स्वयं आपने इनपे कृपा करी।
ऐसे ही इस दिन हीन दास पर भी कृपा करना। ऐसे ही अपने चरण शरण के सहारे मुझे भी उबार लेना।प्रभु एकमात्र आपमे मेरी आसक्ति हो ….आपही मुझे प्यार लगें। जग सारा ठोकर मार दे आप मेरी बाह मत छोड़ना….मत छोड़ना प्रभु मत छोड़ना…आपके बिना जी पाना होता है ? ये मैं सोच भी नही सकता।
हे भक्तवत्सल, हे कृपालु ठाकुर , हे नंदनंदन , हे अनंत जन्मों के मेरे सखा मैं आपसे बहोत प्यार करता हूँ। इतने छोटे से सीमित शब्दो मे कैसे अपने प्रेम का बखान करूँ। आप समझ जाइये।
Oh Madhav! O my essence! O joyful one! O compassionate one! Like you saved all the people of Brij from the wrath of Indra by lifting Govardhan. How can you get me out of the huge heap of my sins which is bigger than the Nath Govardhan mountain?
My Lord! How will I be able to come out of this world. There are always new temptations, new desires constantly stirred up, when I avoid them, you can get attention. This is what is remembered immediately…. Shabari ji, Nishad, Jatayu, what did they do, even though you were a naughty eater, you yourself blessed them.
Similarly, on this day also have mercy on the inferior servant. In the same way, with the help of your feet, rescue me too. Lord, may I be in love with you alone. May the whole world stumble, you don’t leave my arms. I can’t even imagine this.
O bhaktavatsal, O merciful Thakur, O Nandanandan, O my friend of infinite births, I love You very much. How can I describe my love in such small limited words? You understand