प्रार्थना केवल शब्दों के समूह का नाम नहीं है अपितु प्रार्थना एक भाव दशा का नाम है। प्रार्थना शब्दों से भी हो सकती है मगर केवल शब्द कभी भी प्रार्थना नहीं हो सकते। प्रार्थना अर्थात वह स्थिति जब हमारे द्वारा प्रत्येक कहे अनकहे शब्द को प्रभु द्वारा सुन लिया जाता है। प्रभु की प्रत्यक्ष उपस्थिति के अनुभव का नाम ही प्रार्थना है। पुकार और प्रार्थना दोनों में थोड़ा फर्क है। पुकार अर्थात प्रभु से आग्रह, अपेक्षा और किसी चाह विशेष की स्थिति। प्रार्थना हृदय की वह भाव -दशा जब हमारे पास परम धन्यता के सिवा कुछ और शेष ना रहे। जो मिला है उसके लिए प्रत्येक क्षण अहोभाव से हृदय भर उठे और आँखे सजल होकर गोविन्द को याद करने लगे। पुकार में शब्दों की उपस्थिति होती है और प्रार्थना में प्राणों की। जैसे- जैसे शब्द मिटते हैं पुकार प्रार्थना बनती चली जाती है।प्रार्थना में भाव की गहराई में भक्त स्वयं भी नहीं होता है प्रार्थना क्षण भर में स्वामी के सामने नतमस्तक होने का भाव है।
प्रार्थना भाव दशा का नाम है। प्रार्थना शब्दों से भी हो सकती है मगर केवल शब्द कभी भी प्रार्थना नहीं हो सकते। प्रार्थना अर्थात वह स्थिति जब हमारे द्वारा प्रत्येक कहे अनकहे शब्द को प्रभु द्वारा सुन लिया जाता है। प्रभु की प्रत्यक्ष उपस्थिति के अनुभव का ध्यान प्रार्थना है। प्रार्थना बाहर के शब्दों का नाम नहीं है प्रार्थना अन्तर्मन की गहराई हैं। प्रेम और विरह का भाव प्रार्थना है। भक्त के दिल की विरह वेदना प्रार्थना रूप में प्रकट होती है। प्रार्थना वस्तु परिस्थिति मन्दिर मुर्ति पर आधारित नहीं है। प्रार्थना दिल की तरंग है। प्रार्थना के बोल भक्त के अन्दर कब फुट पङे भक्त नहीं जानता है।
जय श्री राम अनीता गर्ग
Prayer is not just the name of a group of words, but prayer is the name of a state of emotion. Prayer can be done with words but words alone can never be prayer. Prayer means the situation when every unsaid word we say is heard by the Lord. Prayer is the name of the experience of the direct presence of the Lord. There is a slight difference between a call and a prayer. Call means request, expectation and condition of any particular desire from the Lord. Prayer is that state of the heart when we have nothing left but supreme blessings. Every moment the heart filled with gratitude for what he had received and eyes began to remember Govind with gleaming. In the call there is the presence of the words and in the prayer there is the presence of the soul. As the words fade away, the call becomes prayer. In the depth of the feeling in prayer, the devotee is not even himself. Prayer is the feeling of bowing down before the master for a moment. Prayer is the name of Bhava Dasha. Prayer can be done with words but words alone can never be prayer. Prayer means the situation when every unsaid word we say is heard by the Lord. Prayer is the focus of experiencing the direct presence of the Lord. Prayer is not the name of the outside words, prayer is the depth of the inner being. The expression of love and separation is prayer. The pain in the heart of the devotee manifests itself in the form of prayer. Prayer situation is not based on temple idols. Prayer is a wave of the heart. The devotee does not know when the words of prayer are found inside the devotee.
Jai Shri Ram Anita Garg