भगवान मुझे अपना लो हे स्वामी भगवान नाथ आप मेरी ओर कब नज़र करोगे। मेरे स्वामी भगवान नाथ तुम हो कृपासिंधु हो। तुम दया का सागर हो। भगवान मै तुम्हारे योग्य तो नहीं हूं। तुम प्राण आधार हो।तुम जब तक मेरे हाथ को अपने हाथ में थाम नहीं लेते तब तक जगत की ठोकर खाती रहूँगी। भगवान जी देखो तुम रोम रोम मे व्यापक हो फिर भी तुम्हें निहार नहीं पाती हूँ। हे प्रभु प्राण नाथ तुम मेरे प्रियतम स्वामी हो ।मेरे नाथ एक तुम ही हो जब दिल की बात दिल से होती है। एक भक्त भगवान से जितनी बात करके दिल को तृप्त करता है। जगत में सबकुछ होते हुए भी दिल की बात नहीं कर सकता है भगवान भक्त के पल पल के साथी बन जाते हैं। भक्त भगवान के भाव मे खो जाता है। तुम से सुबह है तुम से शाम है ।हे भगवान ये दिल तङफता है तुम कंहा चले गए हो ।नैन नीर बहातें तुम कंहा चले गए हो ।दिल की धड़कन तुम्हें पुकारती है तुम चले आओ ।आ तो गए हो जरा थम जाओ ।दिल से दिल का मिलन हो जाए। भगवान को पुकारते हुए भक्त को ऐसे अह्सास होता है भगवान आए हैं दिल ये कहता है। ये महक है मेरे स्वामी की है
महक मे डुब जाऊं मैं ।ये महक जगत के किसी भी पदार्थ में नहीं है ये स्वामी आराध्य भगवान नाथ की महक दिल में उतरती जाती है। हमे होश रहता नहीं है। जय श्री राम अनीता गर्ग
Lord take me, O Swami Bhagwan Nath, when will you look at me? You are my lord Lord Nath, you are Kripasindhu. You are the ocean of mercy. God I am not worthy of you. You are the life support. Until you hold my hand in your hand, I will keep stumbling the world. Lord, look you are widespread in Rome, yet I cannot see you. Oh Lord Pran Nath you are my dearest lord. My Nath is the only one when you talk from heart to heart. A devotee satisfies the heart by talking to God. Despite everything in the world, he cannot talk about the heart, God becomes the companion of the devotee moment by moment. The devotee gets lost in the sense of God. There is morning from you, evening is from you. Oh God, this heart is concerned, where have you gone. Nain neer sheds, where have you gone. Heartbeat calls you to go. Come, you have gone, just stop. Let the heart meet. While calling out to God, the devotee feels like God has come, this is what the heart says. This is the smell of my lord I should be immersed in the fragrance. This fragrance is not in any substance in the world, the fragrance of this Swami Aaradhya Bhagwan Nath keeps descending in the heart. We are not conscious. Jai Shri Ram Anita Garg