गतांक से आगे –
श्रीचक्रपाणि शरण जी ने चार मन्त्रराज श्रीगोपालमन्त्र के अनुष्ठान किये …इसके बाद तो इनके सामने कई दिव्य आत्मायें प्रकट होने लगीं…ये किसी को भी देखते थे तो उनके साथ आगे क्या होने वाला है ये इन्हें पता चल जाता था । इनके प्रसिद्ध शिष्य थे श्रीराधिका दास जी …उन्होंने एक दिन इनसे आज्ञा माँगी – महाराज जी ! मुझे आज बरसाना जाना है आप आज्ञा दें ….श्रीचक्रपाणि शरण जी ने कहा आज मत जाओ कल जाना …..पर इन्होंने जब ज़्यादा ज़िद्द की तो ये बोले ….मार्ग में दुर्घटना हो जाएगी ….ये नही गये ….पर सुबह पता चला कि श्रीवृन्दावन से बरसाने जाने वाली एक बस के पलटने से दस लोग मर गये थे ….राधिका दास जी ने हाथ जोड़कर पूछा ….आपको ये सब कैसे पूर्व भान होने लगा है । तब माथा में हाथ रखते हुये बड़े चिन्तातुर हो श्रीचक्रपाणि शरण जी बोले ….पता नही ये बिना मतलब की सिद्धि मेरे पास कहाँ से आगयी है ।
कुछ समय बाद एक शिष्य ने आकर कहा …मैं नेपाल जाना चाहता हूँ ….मेरी पत्नी बीमार है ….श्रीचक्रपाणि शरण जी बोले …वो मर चुकी है । ये सुनते ही उस शिष्य को बहुत बुरा लगा उसे लगा ये मुझे बाबाजी बनाना चाहते हैं इसलिये ये सब कह रहे हैं …वो बिना प्रणाम किए ही चला गया तो नेपाल पहुँच कर उसने देखा – सच में ही उसकी पत्नी की मृत्यु हो गयी थी ….वो तुरन्त नेपाल से आया और श्रीचक्रपाणि शरण जी से विरक्त दीक्षा लेकर बरसाने जाकर रहने लगा । पर इस सिद्धि से श्रीचक्रपाणि शरण जी बहुत परेशान रहने लगे थे …..क्या करें ! इनके कुछ समझ में नही आरहा था ।
श्रीप्रियाशरण बाबा श्रीनिम्बार्क संप्रदाय के बड़े सिद्ध महात्मा थे ये …उनसे इन्होंने अपनी इस सिद्धि के विषय में जब बताया तो प्रियाशरण बाबा बोले …मन्त्रराज गोपालमन्त्र का अनुष्ठान अब मत करो …ये सब उसी के कारण हो रहा है ..तुम तो युगलमन्त्र और महावाणी जी का पाठ , बस यही करो । युगलमन्त्र कामनाओं का नाश करती है …पर ये मन्त्रराज बहुत शक्तिशाली है ….इसके द्वारा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड आकर्षित होता है तुम्हारे प्रति , ब्रह्माण्ड के देव यक्ष आदि सब तुम्हारे आस पास सेवा के लिए उपस्थित होते हैं ….वो ये सब सिद्धियाँ देकर तुम्हें प्रसन्न करना चाहते हैं….इसलिए ये सब छोड़ो युगलमन्त्र का ही जाप करो । तब से श्रीचक्रपाणि शरण जी ने नित्य चार लाख युगलमन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर दिया था ..इसके बाद ये सब सिद्धियां चली गयी और निष्काम युगल सरकार के चरणों में रति इनकी सहज हो गयी थी ।
श्रीचक्रपाणि शरण जी नित्य निकुँज के परम उपासक होते हुये भी ये “अवतार” को कम नही मानते थे ….जैसे कई लोग कहते कि निकुँज की श्रीराधा रानी और बरसाने में प्रकटीं श्री भानु दुलारी अलग अलग हैं …पर इनका स्पष्ट मत था कि दोनों एक ही हैं । श्रीचक्रपाणि शरण जी तो कभी कभी यहाँ तक कहते थे कि हमारे लिये तो निकुंजेश्वरी श्रीराधारानी से भी ज़्यादा अपनी बरसाने में कीर्तिरानी की गोद में खेल रहीं श्रीराधा रानी लगती हैं….इस बात का कई तथाकथित रसिक लोग विरोध भी करते …पर इन्हें मतलब नही था ।
बिहारी जी बगीचा को बनाने वाले सेठ हरगुलाल ने जब भागवत पढ़ाने वाले परम विद्वान श्रीहरिप्रसाद शास्त्री जी को वहाँ भागवत पढ़ाने से मना कर दिया और कहा ये अवतार की कथाएँ हैं …अवतार वाले श्रीकृष्ण को कमतर बताकर निकुँज या गोलोक के श्रीकृष्ण को ही श्रेष्ठ बताया और भागवत न सुनकर केलिमाल या केवल महावाणी जी का ही पाठ करना और सुनना चाहिए ये कहा …तब इसका विरोध किया था श्रीचक्रपाणि शरण जी ने …और इन्होंने कहा था …सेठ जी ! अवतार नही होता तो तुम कैसे जान पाते गोलोक के या निकुँज के श्रीकृष्ण को ….हमें तो गोलोक-निकुँज के श्रीकृष्ण साथ अवतार के श्रीकृष्ण भी चाहियें । इनकी बात का सबने समर्थन किया । पर इनके गुरुदेव श्रीहरिप्रिया शरण देव जी कुछ नही बोले उस समय ….न इनकी बात का समर्थन किया ना विरोध ….तब इनके मन में ये हुआ कि कहीं मैं गलत तो नही हूँ ।
ये रात्रि में अपने स्थान युगल भवन में आकर सो गये …इनको स्वप्न आया …साक्षात् श्रीराधा रानी इनके सामने प्रकट हुयीं हैं….और मुस्कुराते हुये बोलीं …बृषभान लली श्रीराधा और निकुँजेश्वरी श्रीराधा में कोई भेद नही है ..दोनों मैं ही हूँ ….इतना कहकर वो अन्तर्ध्यान हो गयीं । श्रीचक्रपाणि शरण जी उसी समय उठकर अपने गुरुदेव के पास गये और जाकर अपनी सारी बातें सुनाईं तो गुरुदेव मुस्कुराते हुये बोले ..मुझे पता था कि श्रीजी ही तुम्हें समझा देंगी …इसलिए मैं कुछ नही बोला था …तुम्हारी बात सत्य है चक्रपाणि ।
साक्षात् श्रीजी के माध्यम हुए इस समाधान से ये बहुत प्रसन्न हुए थे ।
शेष कल
📖✨ Sri Chakrapanisharan Ji Maharaj ✨📖
Part – 7
ahead of speed
Shree Chakrapani Sharan ji performed rituals of four mantraraj Shree Gopalmantra…After this, many divine souls started appearing in front of him…Whenever he saw anyone, he used to know what was going to happen to him. His famous disciple was Shriradhika Das ji… One day he sought permission from him – Maharaj ji! I have to go to Barsana today, you give permission….Shri Chakrapani Sharan ji said don’t go today, go tomorrow…..but when he insisted more, he said….there will be an accident on the way….he did not go….but came to know in the morning That ten people had died when a bus going to Barsana from Sri Vrindavan overturned….Radhika Das ji asked with folded hands….how have you started to have a premonition of all this. Then Shree Chakrapani Sharan ji said, keeping his hand on his forehead, worried….. I don’t know from where this senseless achievement has come to me.
After some time a disciple came and said… I want to go to Nepal…. My wife is ill… Shree Chakrapani Sharan ji said… She is dead. On hearing this, that disciple felt very bad, he felt that he wants to make me Babaji, that is why he is saying all this… He left without saluting, then after reaching Nepal, he saw that in reality his wife had died…. He immediately came from Nepal and after taking initiation from Shree Chakrapani Sharan ji started living in Barsana. But Shri Chakrapani Sharan ji was very upset due to this achievement…..what to do! He was not able to understand anything.
Shree Priyasharan Baba was a very Siddha Mahatma of the Srinimbark sect… When he told him about his achievement, Priyasharan Baba said… Do not do the ritual of Mantraraj Gopalmantra now… All this is happening because of him… You are Yugalmantra and Mahavani ji. Lesson of, just do it. Yugalmantra destroys desires…but this mantraraj is very powerful….by this the whole universe is attracted towards you, the gods of the universe, Yaksha etc. are all present around you for service….they please you by giving all these achievements Want to….so leave all this and chant the couplet mantra only. Since then, Shree Chakrapani Sharan ji had started chanting four lakh couple mantras daily.. After that all these achievements went away and night at the feet of Nishkam couple government became easy for them.
Shree Chakrapani Sharan ji, despite being an ardent worshiper of Nikunj, did not consider the “Avatar” any less…. Like many people say that Nikunj’s Shriradha Rani and Shri Bhanu Dulari who appeared in Barsana are different… But he had a clear opinion that both are one and the same. Only Shrichakrapani Sharan ji sometimes even used to say that for us Shriradha Rani playing in the lap of Keertirani looks more like Nikunjeshwari Shriradharani in her showers….Many so-called lovers oppose this…but they did not mean it. .
When Seth Hargulal, the builder of Bihari ji garden, refused to teach Bhagwat to the supreme scholar Shri Hariprasad Shastri, who taught Bhagwat, and said that these are the stories of incarnation… Describing Shri Krishna of Avatar as inferior, Shri Krishna of Nikunj or Golok was the best and Instead of listening to Bhagwat, one should read and listen to Kelimal or only Mahavani ji, it was said… Then Shri Chakrapani Sharan ji had opposed it… and he had said… Seth ji! If there was no incarnation, how would you have been able to know Shri Krishna of Golok or Nikunj…. We need Shri Krishna of Golok-Nikunj as well as Shri Krishna of Avatar. Everyone supported his talk. But his Gurudev Shri Haripriya Sharan Dev ji did not say anything at that time….neither supported nor opposed his talk….then it occurred to him that I am not wrong.
At night they came to their place and slept in Yugal Bhavan…they had a dream…Shriradha Rani appeared in front of them….and smilingly said…there is no difference between Brishabhan Lalli Shriradha and Nikunjeshwari Shriradha…both are me…. Saying this, she disappeared. Shree Chakrapani Sharan ji got up at the same time and went to his Gurudev and when he narrated all his words, Gurudev smiled and said… I knew that Shreeji would make you understand… That’s why I did not say anything… Your words are true Chakrapani.
He was very pleased with this solution through the medium of Shreeji.
the rest of tomorrow