एक मुसलमान भक्त थे। उनका नाम अहमदशाह था। उन्हें प्रायः भगवान् श्रीकृष्णके दर्शन होते रहते थे। अहमदशाहसे ये विनोद भी किया करते थे। एक दिन अहमदशाह एक लंबी टोपी पहनकर बैठे हुए थे। भगवानको हंसी सूझी। वे उनके पास प्रकट होकर बोले- ‘अहमद ! मेरे हाथ अपनी टोपी बेचोगे क्या ?’ अहमद श्रीकृष्णकी बात सुनकर प्रेमसे भर गये। पर उन्हें भी विनोद सुल्झा वे बोले-‘चलो हटो, दाम देनेके लिये तो कुछ है नहीं और आये हैं टोपी खरीदने!’
भगवान्-‘नहीं जी! मेरे पास बहुत कुछ है!’
अहमद – ‘बहुत कुछ क्या है, लोक-परलोककीसमस्त सम्पत्ति ही तो तुम्हारे पास है। पर वह लेकर मैं क्या करूँगा ?’
भगवान्–‘देखो अहमद ! यदि तुम इस प्रकार मेरी उपेक्षा करोगे तो मैं संसारमें तुम्हारा मूल्य घटा दूँगा। इसीलिये तो तुम्हें लोग पूछते हैं, तुम्हारा आदर करते हैं कि तुम भक्त हो और मैं भक्तके हृदयमें निवास करता हूँ। किंतु अब मैं कह दूँगा कि अहमद मेरी हँसी उड़ाता है, उसका आदर तुमलोग मत करना। फिर संसारका कोई व्यक्ति तुम्हें नहीं पूछेगा।’ अब तो अहमद भी बड़े तपाकसे बोले- ‘अजी! मुझे क्या डर दिखाते हो! तुम यदि मेरा मूल्य घटा दोगे तोतुम्हारा मूल्य भी मेँ घटा दूँगा। मैं सबसे कह दूँगा कि भगवान् बहुत सस्ते मिल सकते हैं, वे सर्वत्र रहते हैं, सबके हृदयमें निवास करते हैं। जो कोई उन्हें अपने हृदयमें झाँककर देखना चाहेगा, उसे वहीं मिल सकते हैं। कहीं जानेकी जरूरत नहीं। फिर तुम्हाराआदर भी घट जायगा।’
भगवान् हँसे और बोले— ‘अच्छा भैया! न तुम चलाओ मेरी न मैं चलाऊँ तेरी!’ ये अहमद निरन्तर भगवान्के ध्यानमें ही तल्लीन रहा करते थे । – राधा
He was a devout Muslim. His name was Ahmad Shah. He often used to have darshan of Lord Krishna. Ahmed Shahse used to make these jokes too. One day Ahmad Shah was sitting wearing a tall cap. God laughed. He appeared before him and said – ‘Ahmad! Will you sell your hat to me?’ Ahmed was filled with love after listening to Shri Krishna. But Vinod Suljha also said to them – ‘Let’s go, there is nothing to pay and have come to buy the cap!’
God-‘ No! I have a lot!’
Ahmed – ‘ What a lot, you have all the wealth of this world and the other world. But what shall I do with it?’
God-‘ Look Ahmed! If you ignore me like this, I will reduce your value in the world. That’s why people ask you, respect you that you are a devotee and I reside in the heart of a devotee. But now I will say that Ahmed makes me laugh, don’t respect him. Then no one in the world will ask you.’ Now even Ahmed said with great fervor – ‘Aji! What fear do you show me! If you reduce my value, I will also reduce your value. I will tell everyone that God can be found very cheaply, He lives everywhere, resides in everyone’s heart. Anyone who wants to look into his heart can find him there. No need to go anywhere. Then your respect will also decrease.
God laughed and said – ‘Good brother! Neither you run mine nor I run yours!’ This Ahmed used to be constantly engrossed in the meditation of God. – Radha