कौन कबतक साथ देगा ?
एक आदमीके तीन दोस्त थे। जब वह आदमी मरने लगा तो तीनों दोस्त उसके पास आये। उसने तीनोंसे सहायता माँगी।
तब पहला दोस्त बोला-‘मैंने उम्रभर तुम्हारी सेवा) की है, लेकिन अब मैं बेबस हूँ और तुम्हारी कुछ सहायता नहीं कर सकता।’
दूसरा दोस्त बोला-‘मैं मौतको तो नहीं रोक सकता; हाँ, इतना अवश्य कर सकता हूँ कि तुम्हारे मरनेके बाद तुम्हें नहलाऊँ, नया कफन पहनाऊँ, जनाजा उठाऊँ, कब्रिस्तानतक तुम्हारे साथ जाऊँ, तुम्हें किसी अच्छी जगहपर दफनाऊँ और दफनानेके बाद तुम्हारी कब्रपर फूल चढ़ाकर लौट आऊँ ।’
अब तीसरा दोस्त बोला-‘दोस्त! तुम फिक्र मत करो। मैं मौतके बाद भी तुम्हारा साथ निभाऊँगा। कनमें तुम्हारे साथ रहूंगा और जब कयामतके दिन तुम कब्रसे निकलोगे, तब भी तुम्हारे काम आऊँगा।’
उन तीनों दोस्तोंके नाम क्रमशः माल (धन), इयाल (परिवार) और आमाल (कर्म) थे।
Who will support till when?
A man had three friends. When the man started dying, the three friends came to him. He sought help from all three.
Then the first friend said – ‘I have served you all my life, but now I am helpless and cannot help you.’
The second friend said – ‘ I cannot stop death; Yes, I can definitely do this much after your death that I bathe you, wear a new shroud, pick up the funeral procession, accompany you to the cemetery, bury you at a good place and return after offering flowers to your grave.’
Now the third friend said – ‘Friend! You don’t worry I will be with you even after death. I will always be with you and will be of use to you even when you come out of the grave on the day of doomsday.’
The names of those three friends were Maal (wealth), Iyal (family) and Amal (deeds) respectively.