पूर्वानुमानका महत्त्व

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पूर्वानुमानका महत्त्व

एक राजाको बन्दर पालनेका शौक था। उसका वह शौक ही उसका मनोरंजन था। वह समस्त प्रकारके बन्दरोंको एकत्रित करता, उन्हें खिलाता तथा अपने महलमें रखता था। महलमें भेड़ोंका भी एक झुण्ड था। उसमेंसे एक भेड़ प्रतिदिन रसोईकी ओर दौड़ जाती थी तथा कुछ खाद्य पदार्थ प्राप्त करनेका प्रयास करती थी, तब रसोइया उसके सिरपर एक मुक्का या छड़ी मारकर उसे भगाता था। प्रतिदिन यह भेड़ रसोईमें घुस जाती थी और तब रसोइया उसे भगानेके लिये मारता था।
बन्दरोंके सरदारने यह सिलसिला देखा। उसने अपने समस्त साथियोंको बुलाया तथा कहा-‘मेरे प्रिय भाइयो, हम संकटमें हैं। हमें तुरंत यहाँसे निकलना चाहिये। हमारा जीवन गम्भीर संकटमें फँसनेवाला है।’
सभी बन्दरोंने पूछा- ‘यह संकट क्या है? हमारा इतने सुन्दर ढंगसे ख्याल रखा जाता है, इतना अच्छा खानेको दिया जाता है। हमें भोजनकी कोई चिन्ता नहीं है- जो जंगलमें रहनेपर हमें होती। क्या समस्या है ? क्या संकट है ?’
तब सरदारने कहा- ‘मेरी बात सुनी। एक भेड़ है, जो प्रतिदिन राजाकी रसोईमें जाती है तथा रसोइया उसे पीटता है; यह अत्यन्त मूर्खतापूर्ण बात है कि पीटे जानेके बाद भी वह वहाँ प्रतिदिन जाती है। अब, एक दिन रसोइया उसपर इतना क्रोधित हो जायगा कि उसे जलती हुई लकड़ीके टुकड़ेसे पीटेगा। क्रोधवश उसे यह भान नहीं रहेगा कि वह उसे किस वस्तुसे पीट रहा है; जब वह उसकी पिटाई जलती हुई लकड़ीसे करेगा। तब क्या होगा? भेड़के शरीरकी ऊन आग पकड़ लेगी। भयभीत होकर वह इधर-उधर भागेगी तथा अस्तबलमें प्रवेश कर जायगी, जहाँ राजाके घोड़े बँधे हैं। अस्तबलमें सूखी घास भी है, जिसमें आग लग जायगी। उस आगसे थोड़े झुलस जायेंगे, जो कि राजाको अत्यन्त प्रिय हैं। तब, राजाको समाचार प्राप्त होगा; ‘अरे, महाराज। आपके घोड़े अधमरे हो गये हैं। उनकी त्वचा जल चुकी है।’ राजा कहेगा-‘वे अत्यन्त कीमती घोड़े हैं तथा वे मेरे लिये अत्यन्त आवश्यक हैं। अब उनकी सम्पूर्ण त्वचा जल चुकी है। इसका क्या उपाय है?’
बन्दरोंके सरदारने कहा-‘मेरे प्रिय बच्चो। इसका मात्र एक उपाय है; बन्दरोंकी चरबी अब तुम्हें संकट ज्ञात हुआ या नहीं।’
बन्दरोंने कहा- ‘वृद्धजन ! तुम्हें बिलकुल समझ नहीं है। तुम मूर्खतापूर्वक कुछका कुछ विचार कर रहे हो, कुछ नहीं में से कुछ गढ़ रहे हो। तुम्हारे मस्तिष्क में यह सब व्यर्थके विचारमात्र हैं। राजाद्वारा हमारा यहाँ भली-भाँति ख्याल रखा जा रहा है। हम यह स्थान छोड़कर नहीं जायेंगे। यदि तुम्हें जाना हो, तो जाओ।’
सरदारने कहा-‘ठीक है। मैंने अपनी सलाह दे दी है, मैं जा रहा हूँ।’ उसी दिन बन्दरोंके सरदारने महल छोड़ दिया। कालान्तर में उसने जो भविष्यवाणी की थी, वही हुआ। समस्त बन्दरोंको उबाला गया तथा उनकी चरबी उतारकर उसका लेप झुलसे हुए घोड़ोंपर कर दिया गया।.
पूर्वानुमान के महत्त्वको स्पष्ट करनेके लिये यह एक बोधकथामात्र है। पूर्वानुमानमें कोई प्रत्यक्ष अर्थ नहीं प्रतीत होता; जब हम एक वस्तुको दूसरी वस्तुसे जोड़ रहे होते हैं। हमें किस प्रकार एक घटनाको दूसरी घटनासे जोड़ना है तथा यह अनुमान करना है कि भविष्यमें हमारे साथ क्या घटित होनेवाला है। वस्तुतः कारणको परिणामसे जोड़ने तथा परिणामोंको कारणोंसे जोड़नेकी क्षमताको पूर्वानुमान कहा जाता है।
मायामें लिप्त सांसारिक मनुष्यो ! तुम्हें ज्ञान नहीं हैं; एक दिन ऐसा आयेगा, जब तुम्हें उबाला जायगा अर्थात् समयाग्निमें पकाया जायगा तथा बन्दरोंका जो भाग्य हुआ, वही भाग्य तुम्हारा भी होगा। ऐसा घटित होनेसे पूर्व, क्या यह बुद्धिमत्ता नहीं होगी कि दूरदर्शी लोग इस सम्भावित संकटसे स्वयंको मुक्त करनेकी चेष्टा करें। संकट प्रत्येक स्थानपर है। हम ऐसे मायावी संसारमें रह रहे हैं, जहाँ प्रत्येक ओर संकट है। यदि हमें प्रतिपल मृत्यु अथवा विनाशके विचारसे प्रताड़ित नहीं भी किया जा रहा है, तो इसका यह तात्पर्य नहीं है कि हम इससे दूर हैं। अतः धैर्यपूर्वक वर्तमान परिस्थितियोंके आधारपर भावी संकटोंका आकलन करनेमें ही बुद्धिमानी है।
तात्पर्य यह है कि हमें इस नश्वर एवं मायावी संसारके लुभावने विषयोंमें आसक्त न होते हुए जन्म मरणके चक्रसे मुक्त होनेका उपाय करना चाहिये, अन्यथा मायाके प्रवाहमें पड़कर हमें भी जन्म जन्मान्तरतक नाना प्रकारके कष्ट उठाने पड़ेंगे।

पूर्वानुमानका महत्त्व
एक राजाको बन्दर पालनेका शौक था। उसका वह शौक ही उसका मनोरंजन था। वह समस्त प्रकारके बन्दरोंको एकत्रित करता, उन्हें खिलाता तथा अपने महलमें रखता था। महलमें भेड़ोंका भी एक झुण्ड था। उसमेंसे एक भेड़ प्रतिदिन रसोईकी ओर दौड़ जाती थी तथा कुछ खाद्य पदार्थ प्राप्त करनेका प्रयास करती थी, तब रसोइया उसके सिरपर एक मुक्का या छड़ी मारकर उसे भगाता था। प्रतिदिन यह भेड़ रसोईमें घुस जाती थी और तब रसोइया उसे भगानेके लिये मारता था।
बन्दरोंके सरदारने यह सिलसिला देखा। उसने अपने समस्त साथियोंको बुलाया तथा कहा-‘मेरे प्रिय भाइयो, हम संकटमें हैं। हमें तुरंत यहाँसे निकलना चाहिये। हमारा जीवन गम्भीर संकटमें फँसनेवाला है।’
सभी बन्दरोंने पूछा- ‘यह संकट क्या है? हमारा इतने सुन्दर ढंगसे ख्याल रखा जाता है, इतना अच्छा खानेको दिया जाता है। हमें भोजनकी कोई चिन्ता नहीं है- जो जंगलमें रहनेपर हमें होती। क्या समस्या है ? क्या संकट है ?’
तब सरदारने कहा- ‘मेरी बात सुनी। एक भेड़ है, जो प्रतिदिन राजाकी रसोईमें जाती है तथा रसोइया उसे पीटता है; यह अत्यन्त मूर्खतापूर्ण बात है कि पीटे जानेके बाद भी वह वहाँ प्रतिदिन जाती है। अब, एक दिन रसोइया उसपर इतना क्रोधित हो जायगा कि उसे जलती हुई लकड़ीके टुकड़ेसे पीटेगा। क्रोधवश उसे यह भान नहीं रहेगा कि वह उसे किस वस्तुसे पीट रहा है; जब वह उसकी पिटाई जलती हुई लकड़ीसे करेगा। तब क्या होगा? भेड़के शरीरकी ऊन आग पकड़ लेगी। भयभीत होकर वह इधर-उधर भागेगी तथा अस्तबलमें प्रवेश कर जायगी, जहाँ राजाके घोड़े बँधे हैं। अस्तबलमें सूखी घास भी है, जिसमें आग लग जायगी। उस आगसे थोड़े झुलस जायेंगे, जो कि राजाको अत्यन्त प्रिय हैं। तब, राजाको समाचार प्राप्त होगा; ‘अरे, महाराज। आपके घोड़े अधमरे हो गये हैं। उनकी त्वचा जल चुकी है।’ राजा कहेगा-‘वे अत्यन्त कीमती घोड़े हैं तथा वे मेरे लिये अत्यन्त आवश्यक हैं। अब उनकी सम्पूर्ण त्वचा जल चुकी है। इसका क्या उपाय है?’
बन्दरोंके सरदारने कहा-‘मेरे प्रिय बच्चो। इसका मात्र एक उपाय है; बन्दरोंकी चरबी अब तुम्हें संकट ज्ञात हुआ या नहीं।’
बन्दरोंने कहा- ‘वृद्धजन ! तुम्हें बिलकुल समझ नहीं है। तुम मूर्खतापूर्वक कुछका कुछ विचार कर रहे हो, कुछ नहीं में से कुछ गढ़ रहे हो। तुम्हारे मस्तिष्क में यह सब व्यर्थके विचारमात्र हैं। राजाद्वारा हमारा यहाँ भली-भाँति ख्याल रखा जा रहा है। हम यह स्थान छोड़कर नहीं जायेंगे। यदि तुम्हें जाना हो, तो जाओ।’
सरदारने कहा-‘ठीक है। मैंने अपनी सलाह दे दी है, मैं जा रहा हूँ।’ उसी दिन बन्दरोंके सरदारने महल छोड़ दिया। कालान्तर में उसने जो भविष्यवाणी की थी, वही हुआ। समस्त बन्दरोंको उबाला गया तथा उनकी चरबी उतारकर उसका लेप झुलसे हुए घोड़ोंपर कर दिया गया।.
पूर्वानुमान के महत्त्वको स्पष्ट करनेके लिये यह एक बोधकथामात्र है। पूर्वानुमानमें कोई प्रत्यक्ष अर्थ नहीं प्रतीत होता; जब हम एक वस्तुको दूसरी वस्तुसे जोड़ रहे होते हैं। हमें किस प्रकार एक घटनाको दूसरी घटनासे जोड़ना है तथा यह अनुमान करना है कि भविष्यमें हमारे साथ क्या घटित होनेवाला है। वस्तुतः कारणको परिणामसे जोड़ने तथा परिणामोंको कारणोंसे जोड़नेकी क्षमताको पूर्वानुमान कहा जाता है।
मायामें लिप्त सांसारिक मनुष्यो ! तुम्हें ज्ञान नहीं हैं; एक दिन ऐसा आयेगा, जब तुम्हें उबाला जायगा अर्थात् समयाग्निमें पकाया जायगा तथा बन्दरोंका जो भाग्य हुआ, वही भाग्य तुम्हारा भी होगा। ऐसा घटित होनेसे पूर्व, क्या यह बुद्धिमत्ता नहीं होगी कि दूरदर्शी लोग इस सम्भावित संकटसे स्वयंको मुक्त करनेकी चेष्टा करें। संकट प्रत्येक स्थानपर है। हम ऐसे मायावी संसारमें रह रहे हैं, जहाँ प्रत्येक ओर संकट है। यदि हमें प्रतिपल मृत्यु अथवा विनाशके विचारसे प्रताड़ित नहीं भी किया जा रहा है, तो इसका यह तात्पर्य नहीं है कि हम इससे दूर हैं। अतः धैर्यपूर्वक वर्तमान परिस्थितियोंके आधारपर भावी संकटोंका आकलन करनेमें ही बुद्धिमानी है।
तात्पर्य यह है कि हमें इस नश्वर एवं मायावी संसारके लुभावने विषयोंमें आसक्त न होते हुए जन्म मरणके चक्रसे मुक्त होनेका उपाय करना चाहिये, अन्यथा मायाके प्रवाहमें पड़कर हमें भी जन्म जन्मान्तरतक नाना प्रकारके कष्ट उठाने पड़ेंगे।

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