एक महात्मा एक स्कूलके आगे रहा करते थे। एक दिन स्कूलके लड़कोंने उनको तंग करनेकी सोची। बस, एक लड़का आकर उनको गुदगुदाने लगा। महात्मा कभी ‘ही ही ही ही’ करते, कभी ‘ऊँ हूँ ऊँ हूँ’ करते और कुछ गुनगुनाने लगते। एक दिन एक आदमी एक हँडिया रसगुल्ला लेकर उनके पास आया और उसने कहा- ‘मेरा भतीजा बीमार है। बाबा ! आप उसे ठीक कर दीजिये।’ पहले तो वह जिस तरफ हँडिया करता उस ओरसे वे मुँह फेर लेते। बादमें उन्होंने हँडियामेंसे एक रसगुल्ला लेकर हँडिया फोड़ दी और कहने लगे ‘मेरे टूनलालको कौन मार सकता है?’ घर आकर उस आदमीने देखा कि लड़का बिलकुल स्वस्थ होनेकी ओर बढ़ रहा है। उस बीमार लड़केका नाम टूनलाल था। उसे महात्माजी बिलकुल नहीं जानते थे।
A Mahatma used to live in front of a school. One day the boys of the school thought of troubling him. Just a boy came and started tickling him. Mahatma would sometimes say ‘hee hee hee’, sometimes he would say ‘om ho om ho’ and some would start humming. One day a man came to him with a handia rasgulla and he said- ‘My nephew is ill. Dad ! You fix it.’ At first, they used to turn away from the direction in which he used to put the pot. Later, he took a rasgulla from the pot and broke it and said, ‘Who can kill my Toonlal?’ After coming home, the man saw that the boy was progressing towards full recovery. The name of that sick boy was Tunlal. Mahatmaji did not know him at all.