” मनमोहन तुझे रिझाऊं तुझे नित नए लाड लडाऊ

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कमल नारायण नाम का एक व्यक्ति जो कि कपड़े का बहुत बड़ा व्यापारी था। वह ठाकुर जी का बहुत बड़ा भक्त था ।भगत होने के साथ-साथ बहुत ही दयालु प्रवृत्ति का था ।वह जिस मंदिर में भी जाता दिल खोलकर दान करता अस्पतालों में दान करता ,गरीब कन्याओं की शादी करवाता इस तरह वह बहुत ही पुण्य कार्य करता व्यापार के लिए उसको अलग अलग शहरों में जाना पड़ता घर में तो ठाकुर जी की वह परिवार सहित बहुत सेवा करता ,लेकिन कभी व्यापार के लिए भी वह बाहर जाता तो वह जिस नगर में रहता उस नगर में किसी ना किसी मंदिर को ढूंढ ही लेता। उसको व्यापार करने में कम से कम 1महीना लगता था। 1 महीने वो एक ही जगह पर रहता था इसलिए वह अपना नियम पूरा करने के लिए वहां कोई ना कोई मंदिर ढूंढ लेता और वहां पर ठाकुर जी की खूब सेवा करता। उस मंदिर में खूब दान देता जितने भी भिखारी उस मंदिर में होते जितने दिन भी वहां जाता कभी किसी दिन कंबल ,कभी किसी दिन बर्तन और कभी किसी दिन खाने की चीजें उनको बांटता और भिखारी उसको बहुत सारा आशीर्वाद देते ठाकुर जी के साथ उसको गरीबों का भी आशीर्वाद मिल जाता था। लेकिन उसको एक पैसे का भी घमंड नहीं था ।
एक दिन ऐसे ही वह धर्मपुर नगर में व्यापार करने के लिए गया तो वहां उसको 2 महीने के लिए रहना पड़ गया वहां पर ठाकुर जी का एक बहुत ही भव्य और सुंदर मंदिर था जिसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली हुई थी और कमल नारायण की ऐसी किस्मत की उसको उस मंदिर में जाने का मौका मिला उस मंदिर की सुंदरता और भव्यता को देखकर कमल नारायण मंत्रमुग्ध हो गया ।वहां पर किशोरी जी और ठाकुर जी की बैठी हुई प्रतिमा थी वह प्रतिमा ऐसी थी जैसे साक्षात ठाकुर जी और किशोरी जी सामने बैठे हो और अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हो। दूर दूर से लोग उस मंदिर में दर्शन करने आते थे। कमल नारायण अपने आप को भाग्यशाली मान रहा था जो कि उसको इस मंदिर के दर्शन हुए और इस मंदिर में आने का मौका मिला वह इस मंदिर में वह अब हर रोज आने लगा आते आते वह मंदिर की हर सीढ़ी पर जो भी भिखारी बैठा होता था उनको रोज कुछ ना कुछ दान में देता वहां पर मंदिर की आखिरी सीढी पर एक भिखारी बाबा बैठे होते थे और वह हमेशा कोई ना कोई अपनी मधुर आवाज से आंखें बंद करके अपने हाथ में डफली लेकर बहुत ही सुंदर भजन गायन करते रहते थे ।उनका एक बहुत ही सुंदर भजन था ।

” मनमोहन तुझे रिझाऊं तुझे नित नए लाड लडाऊ बिठा के तुझे नैनन में छिपा के तुझे नैनन में “

ऐसे ही आंखें बंद करके यह भजन गाया करता था और साथ साथ में आंखों में उसके आंसू बहते रहते थे उसके साथ एक छोटा सा बालक भी बैठा होता था जो की बहुत ही सुंदर और आकर्षक था उसने शरीर पर केवल एक छोटी सी धोती पहनी होती थी सिर पर एक चोटी की हुई थी और कमर पर एक पितांबर बंधा होता था दिखने में वह भिखारी का बेटा नहीं लगता था लेकिन वो हमेशा उस भिखारी की कभी गोद में बैठता था कभी भिखारी के पीछे छिप जाता था कभी भिखारी की आंखों से आंसू पौंछता था और कभी उसके आंखों में आगे आए हुए बालों को अपने हाथों से पीछे करता था ।भिखारी मंदिर की आखिरी सीढ़ी पर बैठा होता था उसके साथ ही एक पत्थर का बेंच लगा होता था कमल नारायण वहां जाकर हमेशा बैठ जाता और उस भिखारी बाबा का भजन सुनकर मंत्र मुग्ध होता था। वह हमेशा भिखारी बाबा और उसके साथ बैठे बच्चे को हमेशा दो चीजें देता ।चाहे कंबल हो चाहे पैसे हो लेकिन जब भी वह उस बच्चे को अपने पास बुलाता तो बच्चा भिखारी बाबा के पीछे छिप जाता और मंद मंद मुस्कुराता। अब कमल नारायण को आए लगभग 2 महीने होने वाले थे ।1 दिन कमल नारायण मंदिर से होकर नीचे आ रहा था तो बाबा वही भजन गा रहे थे ।

“मनमोहन तुझे रिझाऊं तुझे नित नए लाड लडाऊ बिठा के तुझे में नैनन में छुपा के तुझे नैनन में “

तो कमल नारायण ने देखा कि वह भिखारी की आंखों में लगातार आंसू बह रहे हैं और वह छोटा सा बालक उनकी गोद में बैठकर उनकी आंखों से आंसू पौंछकर उनको लाड लड़ा रहा है ।तो जब उनका भजन खत्म हुआ तो कमल नारायण बाबा को बोला बाबा आप बहुत अच्छा भजन गाते हो मुझे आप का भजन बहुत अच्छा लगता है यह मुझे हमेशा याद रहेगा तो बाबाजी एकदम से कमल नारायण की तरफ देखकर बोले कि सेठ जी आप कौन हो तो सेठ जी ने कहा मुझे तो यहां आते 2 महीने हो गए तुम्हें नहीं पता मैं तो हर रोज यहां आकर मंदिर में तुम्हें दो चीजें देकर जाता हूं एक तुम्हारे लिए और एक तुम्हारे साथ जो बालक होता है उसके लिए तो वह बोला हां हां मेरी गोदी में दो चीजें तो पड़ी होती थी लेकिन मैं हमेशा हैरान होता था कि मैं तो अकेला हूं लेकिन यह दो चीजें कौन रख जाता है मेरी गोदी में ।
तो कमल बोला एक तो तुम्हारे लिए होती थी एक जो तुम्हारे साथ बालक होता तो उसके लिए होती थी तो वह हंसता हुआ बोला मैं दुनिया में अकेला हूं मेरा कोई भी नहीं है बालक कहां से आया तो कमल नारायण हैरान होता हुआ बोला नहीं मैंने खुद देखा है एक छोटा सा 6 साल का बालक धोती पहने हुए सुंदर चेहरे वाला कमर पर पीला पटका बांधकर कभी तुम्हारे आंसू पौछता है कभी सीढी में ऊपर जाता है और कभी वह सीढ़ी से नीचे उतरता है कभी वह तुम्हारे बालों को पीछे करता है और कभी वह तुम्हारी गोदी में बैठता है ।और जब मैं उसको बुलाता हूं तुम्हारे पीछे छिप जाता है ।तो वह बाबा हैरानी से यह सब बातें सुन रहे थे तो वह कमल को बोला कहीं तुम झूठ तो नहीं बोल रहे तो कमल नारायण ने कहा नहीं मुझे सौगंध है मैं सच कह रहा हूं ।इसलिए मै हमेशा तुम्हें दो चीजें देकर जाता था एक तुम्हारे लिए एक बालक के लिए यह सब बातें सुनकर बाबा एकदम से उछलकर खड़े हो गए और उन्होंने एक झोला सा पहना हुआ था और वह खुशी से जोर जोर से झूमने लगे ,अरे मेरे कान्हा मुझे रोज मिलने आते थे, वह तो निहाल हो गया वह भागा भागा मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगा अरे कान्हा क्या तुम मुझे मिलने आते थे अरे लाला क्या तू मेरे आंसू पौंछता था अरे ओ मुरली मनोहर मेरा भजन सुनने के लिए तू मेरे पास आता था ।कमल नारायण हैरान हो गया कि इस को क्या हो गया है लेकिन वह बाबा तो झर झर आंसू बहाता हुआ मंदिर की सीढ़ियों को चढ़ता जा रहा था उसके आंसू गिरने से सीढयो में फिसलन हो जाती थी और वह दो-तीन सीढ़ियां नीचे भी गिर गया लेकिन उसको कोई होश नहीं वह तो बस हाथ फैलाए हुए कान्हा की तरफ ठाकुर जी की तरफ किशोरी जी की तरफ भागा जा रहा था और खुशी से पागल होता जा रहा था कि मेरे कान्हा रोज मेरा भजन सुनने आते थे और वह भागता भागता मंदिर पहुंचा आज तो पुजारी जी ने भी उसको नहीं रोका और सीधा जाकर मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचकर ठाकुर जी के बैठी हुई प्रतिमा के पास जाकर ठाकुर जी के गोद में जाकर अपना सर रख दिया और आंसू बहाता हुआ बोला ,ठाकुर जी! आप तो हमेशा मेरी गोद में आकर खेलते थेआज मेरा सौभाग्य देखो कि आज मेरा सर आपकी गोद में है और ऐसे कहते-कहते उसकी आंखें खुली रह गई लेकिन ठाकुर जी ने उसको अपने धाम बुला लिया ।कमल नरायण भागा भागा ऊपर आया तो उसने देखा कि बाबा तो ठाकुर जी की गोद में बैठकर हमेशा के लिए उनके धाम पहुंच गया है तो पुजारी जी ने कमल नरायण से पूछा, बाबा को ऐसा क्या हुआ जो यह इतना विचलित होता हुआ और खुश होता हुआ ठाकुर जी के पास आ गया तो कमल नरायण ने उनको सारी बात बताई कि किस तरह से ठाकुर जी खुद उसका भजन सुनने के लिए उसके पास आते थे उसकी गोदी में बैठते थे। ये कमल नारायण के पुण्य कर्म का फल था जो कि बालक बने ठाकुर जी केवल उसको ही नजर आते थे। पुजारी लोग हैरान हो गए सब लोग जो मंदिर में आए हुए थे वह सब लोग हैरान हो गए और ठाकुर जी की और बाबा की जय-जयकार करने लगे ।
पुजारी जी तो अपने आप को कोसने लगे कि हम लोग तो रोज ठाकुर जी की सेवा करते हैं लेकिन हमारा ऐसा सौभाग्य नहीं कि ठाकुर जी हमारे पास आए और एक भिखारी जो कि सच्चे मन से ठाकुरजी को पुकारता था और ठाकुर जी उसके पास रोज आते थे ।
सब लोगों ने मिलकर उस भिखारी की शव यात्रा निकाली जिसमें ढोल ,मंजीरे छैने
बज रहे थे हरि नाम संकीर्तन हो रहा था राधे राधे सब गा रहे थे तो सब लोगों को बाबा की किस्मत पर हैरानी हो रही थी कि देखो कि एक भिखारी होकर इस की शव यात्रा एक संत की तरह निकल रही है ।इसलिए सच्चे मन से जो भी ईश्वर का भजन करता है और उसको लाडली लाल ठाकुर जी हमेशा उसको अपनी गोद में बिठाते हैं। लाडली जी हमेशा उसको अपनी गोद में बिठाती है और अंत में उसको महामंत्र के जाप से और राधा नाम की धूनी से विदा किया जाता है ।वहां पर विलाप नहीं वहां पर तो महामंत्र की धूनी गुजंती है ।इसलिए हमें किशोरीजू और ठाकुर जी का निरंतर भजन करते रहना चाहिए और सच्चे मन से उसकी शरण में रहना चाहिए। जैसे किशोरी जी और ठाकुर जी ने उस बाबा पर कृपा करी। किशोरी जी हमारी किस्मत भी ऐसे ही बनाना हमें भी महामंत्र और राधे नाम की धूनी से ही अपने धाम पर बुलाना ।।

जय जय श्री राम🙏🏻
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

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