भोले शंकर भोले सारे भगतो के रखवाले,
तीन लोक भण्डार भरे खुद भस्म रमाने वाले,
भोले शंकर भोले सारे भगतो के रखवाले,
गले में सर्पो की माला है भगल में उनके मृग शाळा है ,
हाथ में डमरू भाज रहा है त्रिभुन सारा नाच रहा है,
शीश जटा माथे चंदा भगतो का मन भी डोले,
भोले शंकर भोले सारे भगतो के रखवाले,
वो ही सब का दाता है उसका सब से नाता है,
उसकी शरण जो आएगा मुँह माँगा फल पायेगा,
दुनिया को भोजन देवे खुद खाये भंग के गोले,
भोले शंकर भोले सारे भगतो के रखवाले,
उसकी महिमा न्यारी है भोले ही संकट हारी है,
अमर नाथ है उसकी गुफा करले दर्शन इक गफा,
शिव शंकर महादेव है दाता उसका अब तो होले
भोले शंकर भोले सारे भगतो के रखवाले,
Bhole Shankar, the keeper of all devotees,
Those who consume themselves full of three public stores,
Bhole Shankar, the keeper of all devotees,
There is a garland of snakes around the neck.
The damru is playing in hand. Tribhun Sara is dancing,
The head of the head, Chanda Bhagto’s mind also stirred,
Bhole Shankar, the keeper of all devotees,
He is the giver of all, he is related to all,
Whoever seeks refuge in him will get the fruit,
Give food to the world and eat it yourself.
Bhole Shankar, the keeper of all devotees,
His glory is beautiful, even though the crisis is lost,
Amar Nath is his cave Karle Darshan Ek Gafa,
Shiv Shankar Mahadev is the giver to him now
Bhole Shankar, the keeper of all devotees,