हार गया मैं अब दुख सह के अब न रहा हिम्मत मेरे तन में,
आ जाओ है मेरे प्रभु जी अब न रहना इस जग में,
अब दुख जाए न सहा प्रभु मुझे कर दो रिहा
जिसको मैं अपना कहा वो नही मेरा है,
पीछे जो मुड़ के देखा घोर अंधेरा है,
निर्बल मन है डरा
खड़ा हूँ मैं जिस जग में बहुत बखेड़ा है,
काम क्रोध लोभ आ के चाहु दिस घेरा है,
हार के मैं तुमसे कहा,
किस मुह से दयानिधि तेरे पास आउ मैं
अपनी ही करनी पे रो रो पछताओ मैं।
“फनि” तो कही का न रहा
I have lost my heart, I no longer have the courage to bear the pain,
Come, my lord, don’t stay in this world anymore.
Don’t be sad now Lord release me
The one whom I called mine is not mine,
The darkness behind the one who looked back,
weak mind is scared
I am standing in a world where there is a lot of confusion,
Desire is the circle of lust, anger, greed,
I told you in defeat
With what mouth can Dayanidhi come to you?
I regret crying over my own actions.
“Fani” is no where