आजा आजा केवट भईया हमें जाना गंगा पार है
मातपिता ने वन को भेजा वचन निभाना आज है
केवट हाथ जोड़ के थाडा करें बारम्बार प्रणाम है
मेरी तो लकड़ी की नाव तेरे जादू से भरे पांव है
पत्थर की जो शिला देखी उस पर चरन छुवाया है
चरन धुली से उस शिला को तुमने नारी बनाया है
चरण धुली तुम मुझको दे दो इस छोटे से काठ में
फिर मै तुमको बैठा लूंगा अपनी छोटी सी नाव में
चाहे मुझे प्रभु तार दे चाहे लक्ष्मण मुझे मार दे
जब तक चरण धुली न लेलू नहीं करूंगा पार मैं
प्रभु आज्ञा से चरण धुली ली एक बड़े से पात्र में
पितरों को सब पार करो अब बांट दी सारे गांव में
अभी न लूंगा मै उतराई बाद में तुम्हें चुकाना है
आज किया है मैने पार बाद में तुमको करना है
केवट जैसा हुआ न होगा इस सारे जहान में
प्रभु के चरणों को जिसने खुद रखा अपने हाथ में
Aaja aaja kevat bhaiya we have to go across the Ganges
Today is to fulfill the promise sent by the Mother Father to the forest.
Kevat bows with folded hands.
My wooden boat is your feet full of magic
Charan has been touched on the stone rock that I saw
You have made that rock a woman from Charan Dhuli
You give me your feet in this little wood
Then I’ll make you sit in my little boat
Whether Lord gives me strings or Lakshman kills me
I will not cross until my feet are washed
The feet were washed by the Lord’s permission in a big vessel.
Cross all the ancestors, now distributed in the whole village
I will not take it now, you have to pay later
I did it today, you have to do it later
It would not have happened like a boat in this whole world
The one who kept the feet of the Lord in his own hand