तर्ज – होंठों से छु लो तुम
इक रात तबस्सुम में, मिलने को श्याम आये,
आंखें बरसे मेरी, मेरे होंठ थे मुसकाये
हौले हौले दिल की, धड़कन धडकाई थी,
जब श्याम ने अंखियों से, मेरे अंखियां मिलाई थी,
नज़रों को नजारों में, बस श्याम नजर आये,
आंखें बरसे मेरी…….
होठों पर हकलाहट, कहना कुछ भी मुश्किल,
मैं डुब गया उन में, वो था मेरा साहिल,
कुछ भी ना छिपा उन से, हम कुछ ना कह पाये,
आंखें बरसे मेरी……
हर ओर फिज़ाओं में, इक खास तरन्नुम था,
सुध-बुध खोयी मैंने, वो भी मुझमें गुम था,
“बिट्टु” का जीवन तो, हो श्याम तो महकाये,
lines – touch you with the lips
One night in Tabassum, Shyam came to meet,
My eyes rained, my lips were smiling
There was a throbbing heart beat,
When Shyam had mixed my eyes with his eyes,
In the eyes of the eyes, only the black can be seen,
My eyes rained……
Stuttering on the lips, it is difficult to say anything,
I drowned in them, that was my Sahil,
Do not hide anything from them, we could not say anything,
My eyes rained……
Everywhere, there was a special trend,
I lost my senses, that too was missing in me,
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