है शिव शंकर भक्ति की ज्योति
अब तो जला दो मन में।
राग द्वेष से कलुषित ये मन।
उज्ज्वल हो पल छिन में।।
तेरी डमरू से निकले है
ओमकार स्वर प्रतिपल ।
मै रम जाऊँ तुझमे भगवन
तूँ रम जा नैनन में।।
है शिव……….
भस्म रमाये तन पे तूँ क्यों
इसका राज बतादो।
बीत गये कुछ अब न बीते
बाकी क्षण बातन में।।
है शिव……….
किसका ध्यान धरे कैलाशी
इसका ज्ञान अमर दो ।
तूँ है या फिर ध्यान धरे जो
वो बैठा कण कण में।।
है शिव……..
गीतकार-राजेन्द्र प्रसाद सोनी
Shiva Shankar is the light of devotion
Now burn it in your mind.
This mind tainted by anger and hatred.
Be bright in the moment.
have come out of your damru
Omkar swara pratipal.
I will fall in you God
You go to Ram in Nanan.
It’s Shiva……….
Why are you burning your body?
Tell me its secret.
Gone
In the rest of the moment.
It’s Shiva……….
Whose attention is Kailashi?
Immortalize this knowledge.
Are you there or who cares?
He is sitting in every particle.
It’s Shiva………
Lyricist – Rajendra Prasad Soni