तन मेरा मंदिर और मन है शिवाला ,
इसमें बसा है जी बस डमरू वाला,
दिन रात जपता हु बस उसकी माला,
इसमें बसा है जी धमरू वाला,
मुझको ना जाने ये क्या हो गया है,उसकी गली में दिल खो गया है,
ना जाने कैसा ये जद्दू ढाला,इसमें बसा है जी धमरू वाला,
भोले के संग कैसी लागी लगन है आई न नींदिया लगे भूख कम है,
ना पियु पानी न शुहू निवाला इस में बसा है जी डमरू वाला,
देखा यहाँ तक नजर मेरी जाये भोला ही भोला नजर मुझको आये,
रहता है आँखों में उसका उजाला इस में बसा है जी डमरू वाला,
Body is my temple and mind is Shivala,
It is settled in it, just the damru wala,
Day and night I chant just his rosary,
Ji Dhamru Wala lives in it,
I don’t know what has happened, my heart is lost in her street,
Don’t know how this jaddu was molded, it is settled in it, the dhamru wala,
What kind of passion is there with the innocent, I don’t feel sleepy, my appetite is low,
Neither piyu water nor shuhu morsel is settled in this, the damru wala,
Look till my eyes are seen
His light remains in his eyes, this is the damru wala,