कशी नाथ हे विश्वेश्वर करूँ मैं दर्शन आकार
मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर
टिका राखी त्रिशूल पर कशी, यह तीरथ धाम तुम्हारा
नंगे पाँव गंगा जल के कर आता कावड़िया प्यारा
मुक्ति धाम कहते काशी को, आया तुम्हारे दर पर
मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर
जो भी तुमने दिया मुझे है, मैं वोही सौंपने आया
वारुणी ऐसी के संगम पर, मैं तुझे ढूंढने आया
देदो दर्शन विश्वेश्वर मेरे सारे पाप भुला कर
मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर
Kashi Nath Hey Vishweshwar, I should have darshan shape
Come sit on the throne of the mind, I am your chakkar
Kashi on the rakhi trident, this pilgrimage is yours
Kawadiya comes barefoot by doing Ganga water
Kashi is called Mukti Dham, came at your rate
Come sit on the throne of the mind, I am your chakkar
Whatever you have given to me, I came to hand it over
At the confluence of Varuni Aisi, I came to find you
Dedo Darshan Vishweshwar Forgetting all my sins
Come sit on the throne of the mind, I am your chakkar