छाए काली घटायें तो क्या इनकी छतरी के निचे हु मैं,
आगे आगे ये चलता मेरे मेरे बाबा के पीछे हु मैं,
इसने पकड़ा मेरा हाथ है बोलो डरने की क्या बात है,
क्यों मैं भटकु यहाँ से वहा इनके चरणों में सारा यहा,
झूठे स्वार्थ के रिश्ते सभी खुशियों का खजाना यहा,
रहता हर दम मेरे साथ है,मुझको डरने की क्या बात है,
यहाँ लगती आनंद की छड़ी ऐसी महफ़िल सजता है ये,
हम क्यों न दीवाने बने ऐसे जलवे दिखता है ये,
करता किरपा की बरसात है मुझको डरने की क्या बात है,
इनकी महिमा का वर्णन करू मेरी वाणी में वो दम नहीं,
जब से इनका सहारा मिला फिर सताए को गम नहीं,
इनका सिर पे हाथ है डरने की क्या बात है,
If there is a black shadow, am I under their umbrella?
It goes on and on, I am behind my father.
He has caught my hand, tell me what is there to be afraid of,
Why do I wander from here to there, all here at his feet,
Relationships of false selfishness The treasure of all happiness is here,
Remains with me all the time, what is there to be afraid of me,
Here the stick of joy adorns such a gathering,
Why don’t we become crazy, it looks like this,
It’s raining Kirpa, what is there to be afraid of me,
Let me describe their glory, I do not have that power in my speech,
Ever since they got their support, then the persecuted did not feel sad,
They have a hand on their head, what is there to be afraid of?