जय श्रीकृष्ण
ये वृन्दावन परिक्रमा मार्ग में ठाकुर जी का लीला स्थान है l
अगर आप विशुद्ध भाव के साथ यहां आते हैं तो आप भी अपने रोम-रोम में दिव्याता को पाएंगे।
साधना करते विरक्त संतों के अनुभवों को आत्मसात करने में जरा भी संकोच न होगा जो कहते हैं, “यहां राधा रहती है।
” शांति के इस धाम में बिहारी विहारिणी का सरस वृंदावन बसता है।
संतों ने इस स्थान की पावनता, रमणीयता और दिव्या को भीड़-भाड़ और प्रचार-प्रसार से बचाए रखा है। राधा टीला हरिदासी संप्रदाय की छोटी गद्दी है।
वृंदावन में रोज 4:00 बजे राधा टीला में दाना डाला जाता है और …यहाँ आप हजारो की संख्या में कई सारे तोते, मोर, और बहुत ही अद्भुत पक्षियों के दर्शन कर सकते हैं,
और वो कोई साधारण पक्षी नही होते हैं वो सभी श्यामा जू के भक्त होते हैं।
कहते है राधाटीला में आज भी यहाँ श्यामा श्याम जूँ लीला करने पधारते है इसलिये निधीवन और सेवा कुँज की तरह संध्या के बाद यहाँ के दर्शन भी बंद कर दिये जाते है l
कहते है दिन के समय श्यामा श्याम जी पेड का रूप धारण कर लेते है और संध्या में पुनः अपने स्वरूप में प्रकट होते है l
आज भी हम ये दर्शन राधाटीला में कर सकते है..
वहाँ एक ही जड से निकले हुए है दो पेड है, एक जड में से निकले हुये होने के बावजुद भी एक पेड सफेद और एक पेड श्याम वर्ण का है।
l……… जो स्वयं श्यामा श्याम जी है l
कहते है एक लीला यहाँ यह हुई थी कि एक समय जब श्यामा श्याम जी जब रास कर रहे थे तो ठाकुर जी के भक्त गोपीयों को भुख लगने लगी l तब वहाँ खीर का भोग तो था पंरतु सभी खीर खाये कैसे.??
तब कान्हा जी ने एक पेड के पत्ते को लिया और उसे दोने का आकार दिया
( दोने:- वो जो पत्ते का होता है और प्रसाद वितरण के लिये उपयोग किया जाता है…)
फिर सभी ने मिलकर ठाकुर जी के द्वारा बनाये हुये दोनो में खीर ग्रहण कर अपनी भुख शांत की l
ठाकुर जी की लीला वश आज भी उस पेड में दोने के आकार में पत्ते आते है l ये दर्शन हम राधाटीला श्री वृन्दावन धाम में कर सकते है l
तो कहिए श्री राधे राधे
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Long live Shri Krishna
This is the Leela place of Thakur ji on Vrindavan Parikrama Marg. If you come here with a pure spirit, you will also find the divinity in your hair.
There will be no hesitation in imbibing the experiences of the estranged saints who say, “Here resides Radha.
In this abode of peace, the sage of Bihari Viharini resides in Vrindavan.
The saints have preserved the sanctity, elegance and divya of this place from overcrowding and publicity. Radha Tila is a small seat of Haridasi sect.
In Vrindavan, grains are poured into Radha Tila every day at 4:00 pm and here you can see thousands of parrots, peacocks, and very wonderful birds,
And they are not any ordinary birds, they are all devotees of Shyama Ju.
It is said that even today in Radhatila, Shyama Shyam lice come here to perform Leela, so like Nidhivan and Seva Kunj, the darshan of this place is also stopped after the evening.
It is said that Shyama Shyam ji assumes the form of a tree during the day and reappears in his own form in the evening. Even today we can do this darshan in Radhatila.
There are two trees that have emerged from the same root, in spite of being born out of one root, one tree is white and one tree is of black color.
l……… who is Shyama Shyam ji himself. It is said that a Leela happened here that once when Shyama Shyam ji was doing Raas, the devotees of Thakur ji started feeling hungry.
Then Kanha ji took the leaf of a tree and gave it the shape of a double. (Both:- That which is of leaf and is used for distribution of prasad…)
Then everyone together quenched their hunger by taking kheer prepared by Thakur ji.
Even today, due to the Leela of Thakur ji, leaves come in the shape of two in that tree. We can do this darshan in Radhatila Shri Vrindavan Dham.
So say Shri Radhe Radhe
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