प्रमात्मा तो!
कल्पना ओर समय से,भी, परे का विषय है!!
क्योकि!
इस पूरी स्वप्न रूपी सुष्टि का,
मालिक,
स्वयंम प्रकाशित,अनन्त, अखंड ओर अजन्मा है!!
शक़्कर को तो!
आपने बहोत अच्छी तरह देखा होंगा लेकीन,
मिठास को नही!!
वैसेही!
प्रमात्मा कोई देखने की,
चीज नही!!
यह तो!
स्व आत्म अनुभव का अभ्यास ओर जीते जी,
वैराग्य प्राप्ति मे जीने का विषय है!!
साकार से!
निराकार तक का,स्व आत्म अनुभव का अभ्यास,
ओर जीते जी, वैराग्य प्राप्ति मे जीने का विषय है,
मेरे भाई!!
God it is! It is a matter beyond imagination and time, too!
Because! Of this complete dream-like happiness, master, Self is illumined, eternal, unbroken and unborn.
To sugar! You must have seen very well but, No sweetness!!
Likewise! God has no one to see, Not a thing!!
This is! Practice of self experience and live life, It is a matter of living in attainment of detachment.
From a reality! Till the formless, the practice of self-realization, And live, it is a matter of living in the attainment of dispassion, My brother!!