हनुमान जी को कथा करते हुए प्रार्थना

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जय श्री राम कथा प्रारम्भ होत है सुनो वीर हनुमान जय सियाराम जब कथा वाचक श्री राम जी की कथा करता है तब हनुमान जी की वन्दना करतेहुए कहता है। हे वीर हनुमान हे बल बुद्धि के दाता हे राम भक्त मै आप से विनती करता हूं।मेरी छोटी बुद्धि हैं मुझे कथा करनी नहीं आती है मेरी वाणी में समर्पित भाव भी नहीं है। हे हनुमानजी मेरे हृदय सिंहासन पर विराजमान होकर इस राम कथा में अमृत रस भर दो। हे हनुमानजी मैं तो निमित्त मात्र हूँ ।

हमारे दिल में तृष्णा बढे तो प्रभु प्राण नाथ से प्रेम की हो। परम पिता परमात्मा को हम आंखों में बसा ले जिससे कुछ भी करते हुए प्रभु हमारे दिल में बैठे रहे और हम भगवान के नाम धन के अमृत का रसपान करते रहे ।भगवान की विनती और स्तुति में जो भाव और आन्नद भरा हुआ है उसकी तुलना ही नहीं है । भाव विभोर हो हम परम पिता की प्रार्थना करते रहे और प्रार्थना करते करते हमारे दिल में प्रभु भगवान नाथ के दर्शन की इच्छा तृव हो भगवान से मिलन की तङफ बढ जाए जय श्री राम
अनीता गर्ग



The story of Jai Shri Ram begins, listen to Veer Hanuman, Jai Siyaram, when the story reader tells the story of Shri Ram, then he says while worshiping Hanuman. I request you, O brave Hanuman, the bestower of strength and wisdom, O devotee of Ram. I have a small intellect, I do not know how to tell stories, there is no devotion in my speech. O Hanumanji, sitting on the throne of my heart, fill the nectar juice in this Ram story. O Hanumanji, I am just an instrument.

If the craving increases in our heart, then we should have love for Lord Pran Nath. Let us settle the Supreme Father, the Supreme Soul, in our eyes, so that while doing anything, the Lord is sitting in our hearts and we keep drinking the nectar of wealth in the name of God. Is . May we keep on praying to the Supreme Father and while praying, the desire to see Lord Bhagwan Nath grow in our hearts and grow towards meeting with God. Jai Shri Ram Anita Garg

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