[22]हनुमान जी की आत्मकथा
(“जानत प्रिया एकु मन मोरा”- एक अव्यक्त प्रेम )भाग-22 तत्व प्रेम कर मम अरु तोराजानत प्रिया एकु मन मोरा…(रामचरितमानस) हरि
(“जानत प्रिया एकु मन मोरा”- एक अव्यक्त प्रेम )भाग-22 तत्व प्रेम कर मम अरु तोराजानत प्रिया एकु मन मोरा…(रामचरितमानस) हरि
( मैं रामदूत हूँ माँ – हनुमान )भाग-21 रामदूत मैं मातु जानकीसत्य सपथ करुणानिधान की… (रामचरितमानस) मैं राम दूत हूँ माँ
(मैंने अशोक वाटिका में रामकथा सुनाई – हनुमान )भाग-20 रामचन्द्र गुन बरनैं लागा…(रामचरितमानस) कल एक विचित्र बात हो गयी… एक
आज के विचार (अशोक वाटिका में माँ वैदेही के दर्शन…)भाग-18 कृस तनु सीस जटा एक बेनी,जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी…(रामचरितमानस)
( रावण और माँ वैदेही का सम्वाद – हनुमान ) तेहि अवसर रावण तहँ आवा…(रामचरितमानस) पता नही आज क्यों अयोध्या
(मैंने लंका में माँ सीता को खोजा था – हनुमान) मन्दिर मन्दिर प्रति कर शोधा…(रामचरितमानस) साधकों ! मुझे पता नहीं
आज के विचार ( लंका में मुझे मेरा भाई मिला – हनुमान )भाग-17 तब हनुमन्त कहा सुनु भ्रातादेखी चहहुँ जानकी
आज के विचार (समुद्र को जब मैंने लाँघा – हनुमान)भाग-14 जिमि अमोघ रघुपति कर बाना,एही भाँति चलेउ हनुमाना !(रामचरितमानस) भरत
(मैंने देखी वो रावण की लंका – हनुमान) गयउ दसानन मंदिर माहीं…(रामचरितमानस) हनुमान जी ! रावण की लंका कैसी थी
आज के विचार ( जामवन्त ने मुझे मेरी शक्ति याद दिलाई – हनुमान )भाग-13 सुनतहिं भयहुँ पर्वताकारा…(रामचरितमानस) हम सब लोग