बंगालके प्रसिद्ध विद्वान् श्रीविश्वनाथ शास्त्री एक बार दूसरे विद्वानोंसे शास्त्रार्थ कर रहे थे। जब विपक्षके विद्वान् शास्त्रार्थमें हारने लगे, तब उस पक्षके एक विद्वान्ने सूँघनेके तंबाकूकी डिबिया खोलकर सारी तंबाकू श्रीविश्वनाथ शास्त्रीके मुखपर फेंक दी। शास्त्रीजीने झटपट मुखपर पड़ी तंबाकू पोंछ डाली और हँसते हुए बोले- ‘यह तो कुछ क्षणके लिये प्रसङ्गके बाहरकीबात हो गयी, अब हमलोग अपने मूल विषयपर विचार करें।’
शास्त्रीजीका पाण्डित्य विपक्षको पराजित कर पाता या नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता; किंतु उनकी सहनशीलताने विपक्षको तत्काल पराजित कर दिया। दूसरे पक्ष विद्वान् लज्जित होकर उनसे क्षमा माँगने लगे। – सु0 सिं0
The famous scholar of Bengal Shri Vishwanath Shastri was once having a debate with other scholars. When the scholars of the opposition started losing in debate, then a scholar of that side opened a snuffbox and threw all the tobacco on the face of Shri Vishwanath Shastri. Shastriji quickly wiped the tobacco lying on his face and said laughing – ‘This has become out of context for a few moments, now let us consider our main subject.’
It cannot be said whether Shastri’s erudition would have been able to defeat the opposition or not; But his tolerance immediately defeated the opposition. The scholars on the other side felt ashamed and started apologizing to him. – Su 0 Sin 0