किसी ग्राममें एक विद्वान् स्त्री-पुरुष तथा उनके दो बच्चे रहते थे। बड़ा लड़का शान्त स्वभावका, पठनशील और विचारप्रिय था। छोटा बालक केवल विनोदी, चञ्चल स्वभावका तथा खेल – कूदप्रिय था।
एक दिन संध्या समय नित्यकी तरह बड़ा लड़का अपने माँ-बापके पास बैठा हुआ कोई इतिहासकी पुस्तकपढ़ रहा था। इधर छोटा बालक एक कार्डका मकान बनानेमें लगा था। वह उसके गिरनेके भयसे श्वास भी नहीं लेता था। इतनेमें ही बड़े लड़केने पुस्तक अलग रख दी और अपने पितासे पूछा- ‘पिताजी! कुछ वीर तो साम्राज्य विजेता कहे जाते हैं और कुछ साम्राज्य-संस्थापक कहे जाते हैं। क्या इन दोनों भिन्न शब्दोंके भाव भिन्न-भिन्न हैं ?’पिता अभी कुछ उत्तर देनेकी बात सोच ही रहा था कि तबतक छोटे बालकने कार्डका दूसरा महल तैयार कर लिया और प्रसन्नतासे उछल पड़ा। वह बोल उठा – ‘मैंने यह तैयार कर लिया।’ बड़ा भाई उसके कोलाहलपर बिगड़ पड़ा और,एक इशारेसे उसके सारे घरको जिसके निर्माण करनेमें उसे इतना श्रम और समयका व्यय हुआ था धराशायी कर डाला।
पिताने कहा-‘ – ‘मेरे पुत्र! बस, तुम्हारा छोटा भाई ‘निर्माता’ और तुम ‘विजेता’ हुए।’
– जा0 श0
A learned man and woman and their two children lived in a village. The elder boy was of a calm nature, well read and thoughtful. The little boy was only humorous, playful and loved to play.
One day in the evening, as usual, the elder boy was reading a history book sitting near his parents. Here the little boy was engaged in building a card house. He could not even breathe for fear of his falling. Meanwhile, the elder boy kept the book aside and asked his father – ‘Father! Some heroes are called empire conquerors and some are called empire-founders. Are the meanings of these two different words different?’ The father was still thinking of answering something that by then the little boy had prepared another palace of cards and jumped happily. He said – ‘I have prepared this.’ The elder brother got angry at his uproar and, with one gesture, razed his entire house which had cost him so much labor and time to build.
The father said-‘ – ‘My son! That’s it, your younger brother is the ‘producer’ and you are the ‘winner’.